चंद्रयान के बाद अब ISRO साइंटिस्ट का सूर्य नमस्कार, आज होगी आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग, जानें कितना खास है ये मिशन

  • सूरज के अनसुलझे रहस्यों से उठेगा परदा
  • चंद्रयान के बाद अब ISRO साइंटिस्ट का सूर्य नमस्कार
  • चांद के बाद अब सूरज की बारी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-01 18:41 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज के दिन भारत अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रचने वाला है। हाल ही में इसरो के साइंटिस्ट ने चंद्रयान-3 को चांद पर सफल लैंडिंग कराके इतिहास रच दिया है। लेकिन भारत के वैज्ञानिक यहीं नहीं रुकने वाले हैं। आज यानी 2 सितंबर को इसरो के साइंटिस्ट आदित्य-एल 1 मिशन को लॉन्च करने वाले हैं। जिसकी लॉन्चिंग सुबह 11:50 बजे आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर सतीश ध्वन से से की जाएगी। यह मिशन के जरिए इसरो के साइंटिस्ट सूर्य का अध्ययन करने वाले हैं। बता दें भारत की ओर से यह पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा।

कितना खास है यह मिशन?

गौरतलब है कि इस मिशन के जरिए मौसम की गतिशीलता, सूर्य के तापमान, पराबैंगनी के धरती पर प्रभावों का पता लगेगा। साथ ही, सूर्य की हानिकारक किरणों को रोकने वाली पृथ्वी की ओजोन परत के बारे में अध्ययन किया जाएगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि सूर्य के अध्ययन से मौसम की भविष्यवाणी सटीक तरीके से की जाएगी। आदित्य-एल 1 के जरिए तूफान की तुरंत जानकारी मिलेगी, जिसके खतरे को भाफते हुए अलर्ट जारी किया जा सकेगा। जानकारी के मुताबिक, आदित्य एल1 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) को पुणे स्थित इंटर- यूनिवर्सिटी सेटंर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) ने तैयार किया है।

पूरे मिशन को आदित्य एल1 मिशन के रूप में जाना जाएगा, जिसमें आदित्य नाम सूर्य के नाम पर भी रखा गया है। यह मिशन धरती से 15 लाख किलोमीटर दूरी का सफर तय करेगा। सूर्ययान हमें मौसम समेत कई अहम चीजों के बारे में जानकारी उपल्ब्ध कराएगा। इस स्पेसक्राफ्ट में 7 अडवांस पेलोड्स लगे होंगे। इसके जरिए सूर्य की विभिन्न परतों के बारे में भी अध्ययन किया जाएगा।

भारत के लिए बेहद खास है यह मिशन

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सूर्य को करीब से जानने के लिए आदित्य एल 1 लॉन्च करने जा रही है। यह भारत के लिए बेहद ही खास है क्योंकि इसरो सूर्य के लिए पहली बार कोई अपना मिशन भेज रहा है। वो पृथ्वी से अतंरिक्ष में करीब 15 लाख किलोमीटर दूर जाएगा। जहां जाकर सूर्य का अध्ययन करने वाला है। शुक्रवार को ISRO वैज्ञानिकों की एक टीम आदित्य-एल1 मिशन के लघु मॉडल के साथ तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंची। लॉन्चिंग की तैयारियों के बारे में जानकारी देते हुए इसरो चीफ एस सोमनाथ ने गुरुवार को बताया था कि रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं। हमने प्रक्षेपण के लिए अभ्यास पूरा कर लिया है।

क्या है आदित्य-एल1?

आदित्य-एल1 को खास तौर पर डिजाइन किया गया है। इस यान को सूर्य के परिमंडल के दूर से अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। आदित्य-एल1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर जाने वाला है, इसरो इस यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 प्वाइंट की कक्षा में स्थापित करने वाला है। इस प्वाइंट पर स्थापित करने का इसरो का मुख्य उद्देश्य गुरुत्वाकर्षण को बेअसर करना है क्योंकि इस प्वाइंट पर सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बेअसर रहते हैं, जिसकी वजह से वस्तुएं इस जगह पर टिक जाती हैं। इसे सूर्य और पृथ्वी के अंतरिक्ष में पार्किंग प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है।

आदित्या एल1 का क्या रहेगा काम?

सूर्य का अध्ययन

अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन सौर परिमंडल की वर्तमान समझ को बढ़ना।

सूर्य को लेकर नया डेटा तैयार करना। 

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