पाकिस्तान चुनाव 2024: पाकिस्तान में ऐसे बनेगी सरकार, बहुमत न मिलने पर इस फॉर्मूले से तय होता है 'कौन बनेगा पीएम'?
- पाकिस्तान में सियासी घमासान जारी
- इमरान खान सरकार बनाने की तैयारी में जुटे
- शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो की दावेदारी हुई मजबूत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में हर राजनीतिक दल बहुमत से दूर है। जिसके चलते पड़ोसी मुल्क की सियासत में गहमागहमी की स्थिति बनी हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने 75 सीटें हासिल की हैं। वहीं, बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के पास 54 सीटें हैं। इन दोनों पार्टियों की कोशिश है कि कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर नई सरकार बनाई जाए।
इधर, पाकिस्तान के चुनावी नतीजे के बाद नवाज शरीफ ने कहा कि वह पाकिस्तान की राजनीतिक में अस्थिरता को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि देश के हित और भलाई के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे।
इधर, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की भी मुश्किलें बरकरार है। वह सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाए हैं। हालांकि, पाक में इमरान खान के समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवारों ने सबसे अधिक 101 सीटें जीती हैं। वह भी सरकार बनाने की कोशिश में जुटे हैं। इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) लगातार सरकार बनाने के लिए सहयोगियों की तलाश में लगी हुई है। पड़ोसी मुल्क में उर्दू भाषी लोगों की मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) को 17 सीट मिली हैं। इसके अलावा 12 सीट पर अन्य छोटे दलों ने जीत हासिल की।
बहुमत नहीं मिलने पर PM का चुनाव
पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए कुल 336 में से 169 सीटों की जरूरत होती है। पाकिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इसके बाद तीन सप्ताह के भीतर ही राष्ट्रपति नेशनल असेंबली बुलाने का प्रस्ताव पेश करेंगे। फिर नया स्पीकर चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद स्पीकर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को सदन में बहुमत पेश करने के लिए कहते हैं।
स्पीकर सबसे पहले प्रधानमंत्री पद के लिए अधिक सीट जीतने वाली पार्टी को बहुमत साबित करने को लिए कहती है। अगर सबसे अधिक सीटें जीतने वाली पार्टी बहुमत नहीं साबित कर पाती है तो दूसरी सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी को सदन में बहुमत पेश करने का मौका दिया जाता है। सदन में यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक कोई एक गठबंधन बहुमत हासिल न कर ले।
बहुमत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री चुना जाता है। इसके बाद फिर साधारण प्रक्रिया के तहत पीएम शपथ लेते हैं और मंत्रिमंडल का विस्तार होता है। फिर कार्यवाहक प्रधानमंत्री नई सरकार को सत्ता सौंप देते हैं।