पुतिन की चाल: भारत को छल रहे हैं रूसी राष्ट्रपति पुतिन! क्रूड ऑयल से इस तरह भारत से कमा रहे हैं मोटा मुनाफा, जानिए पूरा मामला

  • पुतिन, भारत को दे रहे हैं धोखा?
  • तेल की उत्पादकता को कम कर कमा रहे हैं मोटा मुनाफा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-05 09:52 GMT

डिजिटल डेस्क, मास्को। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि, उनकी बुद्धि की वजह से आज भारत की स्थिति बहुत बेहतर है। भारत उन चुनिंदा देशों में खड़ा हो गया है जिसके समक्ष दुनिया के सभी देश टकटकी लगाकर देख रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत अधिक डॉलर में रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है और उसकी कीमत कम करने के लिए रूस के आगे अपनी बात कही है। मौजूदा समय में क्रूड ऑयल की कीमत में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस के दो सबसे बड़े खिलाड़ी रूस और सऊदी अरब हैं। जिन्होंने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर दी है जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत में आग लग गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस और सऊदी अरब ने अपने यहां कच्चे तेल की उत्पादक को कम करके कीमत को बढ़ाया है ताकि ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। दोनों देशों ने जुलाई के महीने में तेल उत्पादन में कटौती का फैसला किया था। जिसकी वजह से इंटरनेशल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल बढ़ गई। मौजूदा समय में 93 डॉलर प्रति बैरल बिक रहा है। रॉयटर्स के मुताबिक, रूस भारत को करीब 80 डॉलर प्रति बैरल पर तेल बेच रहा है, जो पश्चिमी देशों से निर्धारित की गई मूल्य सीमा से लगभग 20 डॉलर महंगा है। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने जब से उत्पादक में कमी की है और प्रति बैरल का दाम बढ़ाया है उसे प्रति बैरल पर 60 डॉलर का मुनाफा हो रहा है।

रूस-सऊदी अरब ने की तेल की उत्पादन में कमी

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार देश है। साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान पश्चिम देशों ने रूस पर कई तरह का प्रतिबंध लगा दिया था। इस दौरान भारत ने समुद्र के माध्यम से तेल खरीदा था। युद्ध के दौरान भारत-रूस से कम दाम पर कच्चा तेल खरीद कर उसे रिफाइन कर यूरोप के बाजार में उच्च दाम पर बेचता था लेकिन अब रूस ने अपनी उत्पादकता में कमी कर दी है जिसकी वजह से भारत ऐसा नहीं कर पा रहा है। भारत अपने जरूरत के लिए 87 फीसदी तेल विदेशों से आयात करता है। लेकिन रूस और सऊदी अरब की गठजोड़ व तेल की उत्पादन की कटौती की वजह से भारतीय तेल बाजार पर असर पड़ रहा है। भारतीय बाजार को देखते हुए भारत सरकार तेल उत्पादक देशों से लगातार संपर्क में है लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं दिखा रहा है।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की अपील

तेल उत्पादक की कमी के बीच रूस ने डीजल और गैसोलिन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। रूस के इस कदम से दुनियाभर में तेल संकट को बढ़ावा मिल सकता है। रूसी प्रतिबंध की वजह से दुनियभर में यूराल की मांग भी बढ़ गई है क्योंकि ये तेल आम तौर पर डीजल से अधिक आउटपुट देता है। ये भारत की कुल रिफाइन ईंधन खपत का लगभग 2/5वां हिस्सा है। बीते दिन यानी 4 अक्टूबर को भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तेल उत्पादक देशों से तेल उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी।

रूस से तेल की कम हुई खरीददारी

उर्जा खपत पर नजर रखने वाली कंपनी वॉर्टेक्सा के मुताबिक, भारत ने बीते महीने रूस से प्रतिदिन 14.6 बैरल क्रूड ऑयल खरीदें हैं। जबिक जुलाई के महीने में ये आकंड़ा बढ़कर 19.1 लाख बैरल था। जबिक जुलाई में भारत ने सऊदी अरब से 4.84 लाख बैरल और अगस्त के महीने में 8.20 लाख बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा था। रूस और भारत के रिश्ते काफी बेहतर है लेकिन पुतिन की चालाकी देख भारत भी सकते में है।

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