नेपाल में गिरी 'प्रचंड' सरकार: संसद में विश्वास मत हारे पीएम पुष्प कमल दहल, दिया इस्तीफा, दो साल में तीसरी बार सत्ता परिवर्तन
- नेपाल में गिरी प्रचंड सरकार
- केपी शर्मा ओली की सीपीएन-यूएमएल से टूटा गठबंधन
- विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पड़ोसी देश नेपाल की सियासत में शुक्रवार का दिन काफी उथल-पुथल भरा रहा। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने पद से इस्तीफा दे दिया है। जानकारी के मुताबिक वे सदन में विश्वासमत हासिल नहीं कर पाए। इस तरह वे केवल 1 साल 6 महीने यानी डेढ़ साल ही पीएम रहे सके।
275 में से केवल 63 सांसदों का मिला सपोर्ट
फ्लोर टेस्ट में उन्हें संसद के 275 सांसदों में से केवल 63 का ही सपोर्ट मिला। बाकी के 194 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया। उन्हें अपनी सरकार को बचाने के लिए 138 सांसदों के समर्थन की जरुरत थी।
क्या है अल्पमत में आने की वजह?
पीएम प्रचंड की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल की सरकार गिरने की वजह उसका केपी शर्मा ओली की सीपीएन-यूएमएल से गठबंधन टूटना है। इस महीने की शुरुआत में ही ओली की पार्टी ने प्रचंड की पार्टी से गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया था। जिससे उनकी सरकार अल्पमत में आ गई थी।
ऐसे में पीएम पुष्प कमल दहल को नेपाली संविधान के आर्टिकल 100(2) के अंतर्गत 1 महीने के भीतर बहुमत साबित करना था। जिसमें वो फेल हो गए।
ओली की पार्टी ने थामा देउबा की नेपाली कांग्रेस का दामन
प्रचंड की पार्टी से समर्थन वापस लेकर सीपीएन-यूएमएल ने अब ने देश की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस से गठबंधन करने का निर्णय किया है। 4 महीने पहले सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड की सरकार को समर्थन दिया था। तब प्रचंड ने शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस से गठबंधन तोड़ा था। बता दें कि शेर बहादुर देउबा भारत के समर्थक माने जाते हैं वहीं ओली चीन के करीबी।
चुनाव में किसी पार्टी को नहीं मिला था बहुमत
नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव हुए थे। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। 275 सीटों सबसे ज्यादा नेपाली कांग्रेस ने 89, सीपीएन-यूएमएल ने 78 और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने 32 सीटें जीती थीं।
तीन बड़ी पार्टियों में सबसे कम सीटें हासिल करने के बावजूद भी प्रचंड 25 दिसंबर, 2022 को गठबंधन के सहारे पीएम बन गए थे। उन्हें देउबा की नेपाली कांग्रेस का समर्थन मिला था। हालांकि, ये गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं चल पाया और 15 महीने बाद मार्च 2024 में टूट गया।
इसके बाद प्रचंड ने फिर केपी ओली का सहारा लेकर सरकार बनाई। यह गठबंधन भी 18 महीने ही चल पाया और टूट गया। इस तरह नेपाल में पिछले 2 साल में तीसरी बार सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक नई सरकार में डेढ़ साल तक केपी शर्मा ओली पीएम बनेंगे। इसके बाद देउबा प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे।