WOMEN'S DAY SPL: उन महिलाओं को सलाम, जिन्होंने डिफेंस में दिया अपना योगदान
WOMEN'S DAY SPL: उन महिलाओं को सलाम, जिन्होंने डिफेंस में दिया अपना योगदान
- देश की रक्षा के लिए जीवन को किया समर्पित
- विश्वभर में मनाया जा रहा महिला दिवस
- वो महिलाएं जिन्होंने डिफेंस में दिया योगदान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारत एक पुरुष प्रधान देश है। जहां पुरुषों की इजाजत के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता। इन अफवाहों को उन महिलाओं ने झूठा साबित किया है, जिन्होंने देश की आन-बान और शान के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। ये वे महिलाएं हैं, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की बात ना करते हुए खुद को सशक्त बनाया है। bhaskarhindi.com आज महिला दिवस के अवसर पर उन जांबाज महिलाओं को सलाम करता है जिन्होंने डिफेंस में जाकर देश की रक्षा का प्रण लिया...
घर से लेकर बाहर तक विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं अपने साहस का लोहा मनवा रही हैं। रिपोर्ट की मानें तो 31 दिसम्बर 2017 तक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी के मामले में CISF शीर्ष पर है। भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी CISF में 5.82%, CRPF में 2.55%, SSB में 2.36%, ITBP में 2.30%, BSF में 2.09% औऱ असम राइफल्स में 1.23% है। पिछले 30 सालों में, भारत में महिलाओं ने जांबाज़ी का लंबा सफर तय किया है। ये बदलाव कुछ प्रेरक महिलाओं के दिए गए योगदान का ही परिणाम है कि महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहीं हैं।
वो महिलाएं जिन्होंने बढ़ाया देश का नाम
इन महिलाओं के अलावा भी कई नाम ऐसे हैं जिन्होंने देश को गौरवांवित किया है। इन महिलाओं ने सभी दहलीजों को पार करते हुए एक मिसाल पेश की है। इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उन महिलाओं को याद करते हुए bhaskarhindi.com उनके परिश्रम और लगन को सलाम करता है।
मोहना सिंह
मोहना सिंह भारतीय वायुसेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट हैं। मोहना सिंह का जन्म 22 जनवरी 1992 को हुआ था। उन्हें 18 जून 2016 को पहली महिला फायटर पायलट के रूप में चुना गया। मोहना राजस्थान के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं, जिन्होंने डिफेंस में जाकर ना केवल देश को गौरवांवित किया है बल्कि देश की रक्षा के लिए उन्होंने नई मिसाल पेश करते हुए इतिहास रचा है।
माधुरी कानितकर
माधुरी कानितकर ने 29 फरवरी को लेफ्टिनेंट जनरल का पद संभाला है। सशस्त्र बल में इस रैंक पर पहुंचने वाली वह तीसरी महिला बन गई हैं। प्रमोशन के बाद उन्हें आर्मी मुख्यालय में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ में तैनात किया गया है, जो चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत आता है। माधुरी लेफ्टिनेंट जनरल बनने वाली पहली बाल रोग चिकित्सक भी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, माधुरी के पति राजीव कानितकर भी लेफ्टिनेंट जनरल रह चुके हैं। माधुरी और राजीव ऐसे पहले कपल हैं जो आर्म्ड फॉर्स में इस रैंक पर पहुंचे हैं। लेफ्टिनेंट राजीव कानितकर कुछ समय पहले आर्मी से रिटायर हुए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर पुणे में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज की पहली महिला डीन हैं और उन्हें आर्मी मेडिकल कोर में पहला बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी यूनिट स्थापित करने के लिए जाना जाता है।
शांति टिग्गा
शांति टिग्गा ने पति की मृत्यु के बाद जब भारतीय सेना ज्वाइन की थी तब उनके दो बच्चे थे, लेकिन उन्होंने अपने फिजिकल टेस्ट में पुरुष प्रतिभागियों को भी पीछे छोड़ 50 मीटर की दौड़ को 12 सेकेंड में पूरा किया था। शांति टिग्गा ने 2011 में टेरिटोरियल आर्मी की 969 रेलवे इंजिनियर रेजिमेंट में शामिल हुईं। 35 साल की उम्र में उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की। उनके इंस्ट्रक्टर उनके फायरिंग स्किल्स से इतने प्रभावित थे कि उन्हें अपनी ट्रेनिंग के लिए बेस्ट ट्रेनी अवार्ड दिया गया। उनसे पहले भारतीय सेना में कोई महिला जवान नहीं थी।
गुंजन सक्सेना
गुंजन सक्सेना युद्ध क्षेत्र में विमान उड़ाने वाली पहली महिला पायलट हैं। कारगिल युद्ध के दौरान, फ्लाइंग ऑफिसर गुंजन सक्सेना ने युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरने वाली पहली इंडियन एयर फोर्स की पहली महिला अधिकारी बनकर इतिहास रचा था। 1994 में गुंजन सक्सेना, 25 युवा महिलाओं में से एक थीं जिन्होंने भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षु पायलटों के पहले बैच को ज्वाइन किया। कारगिल के दौरान, उन्होंने युद्ध क्षेत्र में दर्जनों हेलिकॉप्टरों से उड़ान भर कर सेना को हवाई मदद की और घायल भारतीय सेना के सैनिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। बाद में, वह शौर्य वीर पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं। गुंजन सक्सेना के जीवन पर आधारित एक फिल्म बन रही है जिसमें जाह्नवी कपूर गुंजन सक्सेना का किरदार निभा रही हैं।
अंजना भदुरिया
अंजना भदुरिया ने महिलाओं के प्रथम बैच में शामिल होकर स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। अंजना भारतीय सेना में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला है। वह हमेशा भारतीय सेना में एक अधिकारी बनना चाहती थीं। माइक्रोबायोलॉजी में MSC की डिग्री प्राप्त करने के बाद अंजना ने महिला विशेष प्रवेश योजना के माध्यम से सेना में महिला अधिकारियों को शामिल करने के एक विज्ञापन पर आवेदन किया और 1992 में भारतीय सेना में महिला कैडेट्स के पहले बैच में भर्ती की गईं।
पुनिता अरोड़ा
पुनिता अरोड़ा इंडियन आर्मी की पहली महिला ले. जनरल रहीं। पुनिता अरोड़ा पंजाबी परिवार से थीं। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद वह यूपी के सहारनपुर शहर में रहने लगीं। वह पहली इंडियन महिला थीं जिन्होंने इंडियन आर्म्ड फोर्स में दूसरी रैंक प्राप्त की थी। इसके अलावा इंडियन नेवी में भी उन्होंने सर्जन वाइस एडमिरल रैंक प्राप्त की थी। उसके बाद आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज 2004 में कमांडेंट के रूप में काम करने वाली देश की पहली महिला थीं।
प्रिया झिंगन
प्रिया झिंगन भारतीय सेना की पहली महिला कैडेट थी जिन्हें रोल नम्बर- 001 मिला था। झिंगन ने हमेशा से ही सेना में शामिल होने का सपना देखा था। यहां उन्हें सभी 'सर' कहकर बुलाते थे और वे पुरुष कैडेट्स की तरह ही रहती थीं। सेना में भर्ती होने के बाद 1992 में, उन्होंने सेना प्रमुख को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अन्य महिलाओं को भी भारतीय सेना में शामिल करने का सुझाव दिया था। उनकी बात मानी गई और 24 महिला कैंडिडेट्स भारतीय सेना में शामिल हुईं।
पद्मावती बंदोपाध्याय
पद्मावती बंदोपाध्याय इंडियन एयर फोर्स की पहली महिला 'एयर मार्शल' हैं। वो पहली भारतीय महिला हैं जो इंडियन एयर फोर्स में 'एयर मार्शल' थीं। 1968 मे वह YAF से जुड़ी और 1978 उन्होंने डिफेन्स सर्विस स्टाफ कॉलेज से कोर्स पूरा किया। ये कोर्स करने वाली भी वह पहली महिला थीं। उन्होंने 1971 में इंडिया-पाकिस्तान युद्ध में भी अपना योगदान दिया है। इसके लिए उन्हें विशिष्ट मैडल से सम्मानित किया गया।