यूएस-ईरान तनाव: अमेरिका ने कतर में F-22 स्टेल्थ लड़ाकू विमान तैनात किए
यूएस-ईरान तनाव: अमेरिका ने कतर में F-22 स्टेल्थ लड़ाकू विमान तैनात किए
- F-22 रैप्टर स्टेल्थ विमानों को "अमेरिकी बलों और हितों की रक्षा" के लिए तैनात किया
- अमेरिकी वायुसेना की मध्य सैन्य कमान ने एक बयान में तैनात किए गए विमानों की जानकारी दी
- सेना ने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि कुल कितने विमानों को तैनात किया गया है
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिका और ईरान के बीच चल रही तनातनी कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। अमरीका ने शुक्रवार को पहली बार कतर में रडार से बच निकलने में सक्षम F-22 लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। अमेरिकी वायुसेना की मध्य सैन्य कमान ने एक बयान में कहा कि F-22 रैप्टर स्टेल्थ विमानों को "अमेरिकी बलों और हितों की रक्षा" के लिए तैनात किया गया है। हालांकि सेना के इस बयान में इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि कितने विमानों को कतर भेजा गया है। वहीं इससे संबंधित एक तस्वीर भी सामने आई है। जिसमें कतर के अल उदीद एयर बेस के ऊपर से उड़ान भरने वाले पांच जेट्स को दिखाया गया है।
नेवी का ड्रोन मारने का आरोप
पिछले दिनों ईरान ने अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया था, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया था। ड्रोन मार गिराने की घटना की पुष्टि अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड ने की थी और कहा था कि ईरान ने अमेरिकी नेवी का ड्रोन मार गिराया है। अमेरिकी सेना ने इसे बिना किसी कारण का हमला बताया था। इस घटना की प्रतिक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे ईरान की बड़ी गलती बताया था। इसके बाद ट्रंप ने ईरान पर हमला करने के भी आदेश दिए थे लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया था। ट्रंप ने कहा था कि हमले के आदेश को 10 मिनट पहले रद्द किया गया क्योंकि इसमें ईरान के लगभग 150 लोग मारे जा सकते थे।
ईरान पर दोबारा प्रतिबंध
आपको बता दें कि ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु करार से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहराया था जिसके बाद अमेरिका ने ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए थे। इससे पहले जब ओमान की खाड़ी में दो बार तेल टैंकरों पर हमला किया गया तो अमरीका ने ईरान पर आरोप लगाया। हालांकि ईरान ने ऐसे किसी भी हमले में हाथ होने से इनकार किया था।
1,500 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती
इन घटनाओं के के बाद मई माह में अमेरिका ने था कि वह ईरान के 'गंभीर खतरे' से निपटने के लिए पश्चिम एशिया में 1,500 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर रहा है। हालांकि हाल ही में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा था कि यदि इस्लामी देश परमाणु हथियार की इच्छा त्याग दे तो वह उसके सबसे अच्छे मित्र होंगे और देश एक अमीर देश हो सकता है।