संयुक्त राष्ट्र ने मनाया पहला इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस

संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र ने मनाया पहला इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-11 04:00 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क,संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने एक विशेष कार्यक्रम के साथ इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय इस्लामोफोबिया दिवस मनाया। इस मौके पर वक्ताओं ने मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत, भेदभाव और हिंसा के खिलाफ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनिया भर में लगभग 2 अरब मुस्लिम मानवता को उसकी सभी राजसी विविधता में प्रतिबिंबित करते हैं। लेकिन वे केवल अपने विश्वास के कारण अक्सर कट्टरता और पूर्वाग्रह का सामना करते हैं।

इसके अलावा, मुस्लिम महिलाओं को उनके लिंग, जातीयता और विश्वास के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यूएन प्रमुख ने जोर देकर कहा कि मुसलमानों के प्रति बढ़ती नफरत कोई अकेली घटना नहीं है। उन्होंने कहा, यह जातीय-राष्ट्रवाद, नव-नाजी श्वेत वर्चस्ववादी विचारधाराओं के पुनरुत्थान का एक अटूट हिस्सा है, और हिंसा मुसलमानों, यहूदियों, कुछ अल्पसंख्यक ईसाई समुदायों और अन्य सहित कमजोर आबादी को लक्षित करती है। भेदभाव हम सभी को कम करता है और यह हम सभी पर निर्भर करता है कि हम इसके खिलाफ खड़े हों। हमें कभी भी कट्टरता को नहीं समझना चाहिए। गुटेरेस ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए कार्य योजना जैसे संयुक्त राष्ट्र के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामाजिक एकता में राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक निवेश बढ़ाने का भी आह्वान किया।

उन्होंने कहा, कट्टरता जब भी और जहां भी अपना बदसूरत सिर उठाती है, हमें इसका सामना करना चाहिए। इसमें इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह फैलने वाली नफरत से निपटने के लिए काम करना शामिल है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने दुनिया भर के उन धार्मिक नेताओं का भी आभार व्यक्त किया, जो संवाद और पारस्परिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए एकजुट हुए हैं। यह कार्यक्रम पाकिस्तान द्वारा सह आयोजित किया गया था, जिसके विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने रेखांकित किया कि इस्लाम शांति, सहिष्णुता और बहुलवाद का धर्म है। जरदारी ने कहा, 9/11 की त्रासदी के बाद से, दुनिया भर में मुसलमानों और इस्लाम के प्रति दुश्मनी और संस्थागत संदेह बढ़ गया है। एक कथा प्रचारित की गई है, जो मुस्लिम समुदायों और उनके धर्म को हिंसा और खतरे से जोड़ती है।

उन्होंने कहा, अफसोस की बात है कि यह इस्लामोफोबिक नैरेटिव केवल प्रचार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मुख्यधारा के मीडिया, शिक्षाविदों, नीति निमार्ताओं और राज्य मशीनरी के वर्गों द्वारा इसे स्वीकार किया गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष साबा कोरोसी ने बताया कि इस्लामोफोबिया जेनोफोबिया या अजनबियों के डर में निहित है, जो भेदभावपूर्ण प्रथाओं, यात्रा प्रतिबंधों, अभद्र भाषा, धमकाने और अन्य प्रकार के दुर्व्यवहार में प्रकट होता है।उन्होंने देशों से धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता को बनाए रखने का आग्रह किया, जिसकी गारंटी नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध के तहत दी गई है। उन्होंने कहा, इस्लामोफोबिया या इसी तरह की किसी भी घटना को चुनौती देने, अन्याय को खत्म करने और धर्म या विश्वास के आधार पर भेदभाव की निंदा करने या उनकी कमी की निंदा करने की जिम्मेदारी हम सभी की है।

गौरतलब है कि 15 मार्च, 2022 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसे पाकिस्तान द्वारा इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से पेश किया गया था। इसने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया।

 

 (आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Tags:    

Similar News