Britain: हांगकांग के साथ प्रत्यर्पण संधि में बदलाव करेगा ब्रिटेन, चीन के नए सुरक्षा कानून के विरोध में फैसला

Britain: हांगकांग के साथ प्रत्यर्पण संधि में बदलाव करेगा ब्रिटेन, चीन के नए सुरक्षा कानून के विरोध में फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-20 13:30 GMT
Britain: हांगकांग के साथ प्रत्यर्पण संधि में बदलाव करेगा ब्रिटेन, चीन के नए सुरक्षा कानून के विरोध में फैसला
हाईलाइट
  • ब्रिटेन की सरकार हांगकांग के साथ अपनी प्रत्यर्पण व्यवस्था में बदलाव करने जा रही
  • चीन के हांगकांग पर थोंपे गए नए सुरक्षा कानून के चलते ब्रिटेन यह कदम उठा रहा
  • ब्रिटेन ने 5जी नेटवर्क से चीन की हुवावे को 2027 के अंत तक पूरी तरह हटाने की घोषणा की थी

डिजिटल डेस्क, लंदन। ब्रिटेन की सरकार हांगकांग के साथ अपनी प्रत्यर्पण व्यवस्था में बदलाव करने जा रही है। चीन के हांगकांग पर थोंपे गए नए सुरक्षा कानून के चलते ब्रिटेन यह कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि उन्हें नए कानून और चीन में कथित मानवाधिकारों के दुरुपयोग के बारे में चिंता है, विशेष रूप से उइगर अल्पसंख्यकों को लेकर। इससे पहले ब्रिटेन ने 5जी नेटवर्क से चीन की हुवावे को 2027 के अंत तक पूरी तरह हटाने की घोषणा की थी।

ब्रिटेन ने बताया सीनो-ब्रिटिश जॉइंट डिक्लेरेशन का उल्लंघन
बता दें कि जॉनसन की सरकार लगातार हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के चीन के फैसले की आलोचना कर रहा है। ब्रिटेन ने चीन सरकार पर सीनो-ब्रिटिश जॉइंट डिक्लेरेशन के उल्लंघन का आरोप लगाया है। चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के जवाब में ब्रिटेन ने हांगकांग के नागरिकों को ब्रिटिश नागरिकता देने का फैसला भी लिया था। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने संसद में कहा था कि हम अपने पुराने साथी के साथ नियमों और दायित्वों के लिए खड़े हैं। इस कानून के तहत 30 लाख हांगकांग निवासियों को ब्रिटेन में बसने का अवसर दिया जाएगा।

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पिछले महीने पास हुआ था नया कानून
बता दें कि चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने पिछले महीने सर्वसम्मति से हांगकांग के लिए नेशनल सिक्योरिटी लॉ को पारित किया था। इस कानून के पारित होने से हांगकांग के अधिकारों, स्वायत्तता में कटौती हो गई है। इस कानून में जेल में अधिकतम सजा उम्रकैद है। जानकारों का कहना है कि नेशनल सिक्योरिटी लॉ के पास होने से राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर हांगकांग की आजादी अब खत्म हो गई है।

राजद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की परिभाषा तय करने का अधिकार अब चीन और उसकी कठपुतली चीफ एक्जीक्यूटिव सरकार को मिल गया है। इस लॉ के बहाने अब लोकतंत्र समर्थकों और आजाद हांगकांग की मांग करने वालो को निशाना बनाया जा रहा है। जानकार इसे हांगकांग की लोकतंत्र की उम्मीदों के ताबूत में आखिरी कील बता रहे हैं। नेशनल सिक्योरिटी लॉ के लागू होने के 24 घंटे से कम समय में प्रदर्शन कर रहे कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।

हांगकांग को अपने कब्जे में लेना चाहती है चीनी सरकार
1997 में हांगकांग की 99 साल की लीज खत्म होने से पहले 1984 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर और चीन के प्रमुख झाओ ज़ियांग ने सीनो ब्रिटिश जॉइंट डिक्लेरेशन पर साइन किया था। इस डिक्लेरेशन के तहत दोनों देश इस बात पर राजी हुए कि चीन 50 साल के लिए "एक देश-दो व्यवस्था" की नीति के तहत हांगकांग को कुछ पॉलिटिकल और सोशल ऑटोनॉमी देगा। इसके बाद चीन ने हांगकांग को विशेष प्रशासनिक क्षेत्र का दर्जा दिया।

अब हांगकांग के पास अपना एक मिनी संविधान था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे नागरिक अधिकार थे। हालांकि इस नए सिस्टम में हांगकांग के लोगों पर 50 साल की तलवार भी लटक रही थी जिसके बाद उन्हें दिए गए स्वायत्तता के अधिकार छीन लिए जाने थे। 50 साल की मियाद 2047 में पूरी होनी है, लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार 50 साल का भी इंतजार करने को राजी नहीं है। वो अभी से हांगकांग को अपने कब्जे में लेना चाहती है। इसी वजह से वह नेशनल सिक्योरिटी लॉ लेकर आई है।

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