पंजशीर में कब्जे के लिए आगे बढ़ रहा तालिबान, मसूद ने किया ताकीद- जंग के लिए तैयार हैं
तालिबान को चेतावनी पंजशीर में कब्जे के लिए आगे बढ़ रहा तालिबान, मसूद ने किया ताकीद- जंग के लिए तैयार हैं
- पंजशीर में तालिबान की धमक
- किया बड़ा दावा!
डिजिटल डेस्क, अफगानिस्तान। अफगानिस्तान का पंजशीर प्रांत अब मुश्किलों से घिरता नजर आ रहा है। तालिबान के लड़ाको ने अब पंजशीर घाटी की तरफ कूच कर दिया हैं। खबरों के मुताबिक तालिबानी लड़ाको ने पंजशीर के इलाके को चारों तरफ से घेर लिया हैं। अहमद मसूद ने तालिबान को हिदायत दी है कि वे तालिबान को अपने कब्जे वाले इलाकों को नहीं सौंपेंगे। उन्होंने कहा है कि तालिबानी ताकतों के सामने हम नहीं झुकेंगे। अफगानिस्तान के कुल 34 प्रांतो में अब तक 33 प्रांतो पर तालिबान का नियंत्रण हो चुका है। अब पंजशीर पर काबू पाने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं।
अल-अरबिया टीवी चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू में अहमद मसूद ने कहा कि वे युद्ध नहीं करेंगे लेकिन किसी भी तरह के आक्रमण का विरोध करेंगे। अहमद मसूद ने कहा है कि अगर तालिबान के साथ बातचीत असफल होती है तो युद्ध की संभावनाओं को टाला नहीं जा सकता है। तालिबान की भागीदारी के साथ देश पर शासन करने के लिए एक व्यापक सरकार की जरूरत है। अगर तालिबान ने इस मुद्दे पर बातचीत टाली तो युद्ध अनिवार्य हो जाएगा।
अहमद मसूद ने कहा कि तालिबान का विरोध करने वाले अफगानी नागरिक अलग-अलग इलाकों से रैली कर पंजशीर घाटी में इकट्ठा हो गए। अहमद मसूद ने अफगान संकट को लेकर पश्चिमी देशों से भी मदद मांगी हैं।
तालिबान के खिलाफ एकजुट ‘पंजशीर’
अहमद मसूद ने कहा कि वे पंजशीर घाटी में है। पंजशीर घाटी के सभी लोग एकजुट हैं। वे सभी अपने जमीन सम्पत्तियों का बचाव करना चाहते हैं। वे अधिनायकवादी सत्ता के खिलाफ हैं। अहमद मसूद के मुताबिक पंजशीर अफगानिस्तान के ज्योग्राफी का सबसे छोटा प्रांत है। संप्रभुता, शांति, सहिष्णुता स्वीकृति और संयम के ले लिए लोग पंजशीर में इकट्ठा हैं। अहमद मसूद ने कहा कि हम पंजशीर में अपने सभी मूल्यों के लिए एकजूट हैं और हमारे ध्वज और बैनर की लड़ाई हैं। हम यहां पंजशीर के लिए ही नहीं बल्कि पूरे अफगानिस्तान के लिए खड़े हैं।
पंजशीर पर कब्जा आसान नहीं!
पंजशीर में तालिबान की जंग इतनी आसान नहीं हैं। तालिबान में 10 हजार से ज्यादा फौजी अफगानिस्तान से लड़ने के लिए खड़े हैं। पंजशीर में तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और अफगानिस्तान के वॉर लॉर्ड कहे जाने वाले जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम की फौजें शामिल हैं। वही अशरफ गनी सरकार में रक्षामंत्री जनरल बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने भी एलान कर दिया कि वे पंजशीर के साथ रहेंगे। ऐसे में तालिबान पंजशीर घाटी में कैसे भेदेगा किला? ये बड़ी चुनौती बनी हुई है।