2-3 हफ्ते में सामान्य हो जाएगा सऊदी का तेल उत्पादन, कच्चे तेल की कीमतें 6% घटी
2-3 हफ्ते में सामान्य हो जाएगा सऊदी का तेल उत्पादन, कच्चे तेल की कीमतें 6% घटी
- खबरें आ रही है कि दो से तीन सप्ताह के अंदर तेल उत्पादन पूरी तरह से सामान्य हो जाएगा
- खबरों के सामने आने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में करीब 6 प्रतिशत की गिरावट देखी गई
- सऊदी अरब में आरामको के तेल संयंत्रों पर ड्रोन हमले का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। सऊदी अरब में आरामको के तेल संयंत्रों पर ड्रोन हमले का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। इस हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखी गई थी। हालांकि, अब खबरें आ रही है कि दो से तीन सप्ताह के अंदर तेल उत्पादन पूरी तरह से सामान्य हो जाएगा। इन खबरों के सामने आने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में करीब 6 प्रतिशत की गिरावट देखी जा रही है। हालांकि ये अभी भी शुक्रवार की कीमतों के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर ने दो सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि सऊदी अरब का तेल उत्पादन जल्द ही सामान्य हो जाएगा। अगले दो से तीन सप्ताह में आउटपुट के पूरी तरह से सामान्य होने की उम्मीद है। इससे पहले कहा जा रहा था कि तेल उत्पादन को सामान्य होने में कई महीने लग सकते हैं। रॉयटर्स ने बताया, "सऊदी अरब तेल उत्पादन में प्रति दिन 5.7 मिलियन बैरल का 70% आउटपुट दोबारा हासिल करने के करीब है।" उन्होंने कहा, "इस संकट के दौरान सऊदी अरब के तेल निर्यात पर प्रभाव स्टोरेज के कारण कम से कम रहा है।"
बता दें कि 14 सितंबर को आरामको पर ड्रोन हमला हुआ था। इसके बाद कच्चे तेल के दाम में सोमवार को भारी उछाल देखा गया। ब्रेंट क्रूड ऑइल 19.5 प्रतिशत बढ़कर 71.95 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। कच्चे तेल का वायदा 1988 में शुरू हुआ था। उसके बाद से डॉलर मूल्य के लिहाज से यह सबसे बड़ी वृद्धि थी। अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट वायदा 15.5 प्रतिशत बढ़कर 63.34 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। हालांकि कुछ देर इसमें थोड़ी गिरावट देखी गई थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरामको पर हुए ड्रोन हमले के बाद कहा था कि "ऐसा लग रहा हा ईरान इन हमलों के पीछे है। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि वह युद्ध नहीं चाहते गै। दूसरी ओर, ईरान ने ट्रंप के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। गौरतलब है कि पिछले साल ट्रंप के ईरान के साथ परमाणु समझौते से हटने और उनके तेल निर्यात पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के बाद से अमेरिका और ईरान के बीच संबंध बेहद खराब हो गए हैं।