मिसाइल मेकर MBDA ने कहा, मेटेओर- स्केलप से लैस राफेल भारत को देगा बेजोड़ युद्ध क्षमता
मिसाइल मेकर MBDA ने कहा, मेटेओर- स्केलप से लैस राफेल भारत को देगा बेजोड़ युद्ध क्षमता
डिजिटल डेस्क, पेरिस। भारत को पहला राफेल जेट दशहरे पर मिलने वाला है। ये मेटेओर विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल और स्कैल्प क्रूज़ मिसाइल से लैस होगा। यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए ने रविवार को कहा कि एयरक्राफ्ट में लगा सबसे उन्नत वैपन पैकेज भारत को क्षेत्र में बेजोड़ डीप स्ट्राइक क्षमता और एयर डॉमिनेंस प्रदान करेगा।
MBDA के भारत के प्रमुख लोइक पाइडेवाचे ने कहा कि "भारत को राफेल विमानों के साथ नई क्षमताएं मिलेंगी, जो देश में पहले कभी नहीं थी। इंडियन एयरफोर्स के लिए स्कैल्प और मेटेओर मिसाइल दोनों गेम चेंजर साबित होंगी।" उन्होंने कहा, राफेल एक बहुत ही बेहतर वेपन पैकेज के साथ सुसज्जित एक अद्भुत विमान है। कई महत्वपूर्ण बाजारों में इसे बड़ी सफलता मिली है। हम भारत को 36 राफेल की आपूर्ति करने वाली परियोजना का हिस्सा बनकर खुश हैं।"
उन्होंने कहा कि मेटेओर को दुनिया की सबसे अच्छी विजुअल रेंज मिसाइल माना जाता है जबकि स्कैल्प एक डीप स्ट्राइक वेपन है। इन दोनों मिसाइलों से लैस राफेल भारत को इस क्षेत्र में बेजोड़ हवाई प्रभुत्व हासिल करने में मदद करेगा।" बता दें कि मेटेओर बीवीआर एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) की एक अगली पीढ़ी है, जिसे एयर-टू-एयर कॉम्बैट में क्रांति लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इससे पहले शुक्रवार को वायुसेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने कहा था कि "राफेल जेट के बेड़े में शामिल होने से वायुसेना की लड़ाकू क्षमता में काफी इजाफा होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या आईएएफ 36 राफेल जेट विमानों का एक और बैच खरीदने पर विचार कर रहा है? आईएएफ प्रमुख ने कहा था कि ऐसा कोई प्रस्ताव टेबल पर नहीं है और एयरफोर्स पिछले साल घोषित 114 लड़ाकू जेट विमानों को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
36 राफेल जेट में से पहले चार विमान अगले साल मई तक भारत आएंगे। हालांकि पहला राफेल विमान भारत को अगले हफ्ते दशहरा पर ही मिल जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय यात्रा पर 7 अक्टूबर को फ्रांस जाने वाले हैं। मुख्य रूप से उनका ये दौरा पहले राफेल लड़ाकू जेट को रिसीव करने के लिए है।भारतीय वायुसेना ने राफेल का स्वागत करने के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर और पायलटों के प्रशिक्षण सहित पूरी तैयारी कर ली है।
सूत्रों ने कहा कि वायुसेना का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा, जिसे भारतीय वायुसेना के सबसे रणनीतिक रूप से स्थित ठिकानों में से एक माना जाता है। भारत-पाक सीमा वहां से लगभग 220 किलोमीटर दूर है। राफेल का दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल में हासिमारा बेस पर तैनात किया जाएगा। आईएएफ ने दोनों बेसों पर शेलटर्स, हैंगर और मेंटेनेंस फैसिलिटी जैसे आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
राफेल के मैन्युफैक्चरर डसॉल्ट एविएशन की मदद के लिए भारतीय वायुसेना की कई टीमें पहले ही फ्रांस का दौरा कर चुकी हैं ताकि भारत के हिसाब से इसमें ऑनबोर्ड मोडिफिकेशन किया जा सके। भारत को राफेल जेट इज़राइली हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार वॉर्निंग रिसीवर, लो बैंड जैमर, 10 घंटे की फ्लाइट डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम के साथ मिलेगा।
बता दें कि भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू जेट की खरीद के लिए लगभग 58,000 करोड़ रुपये की एक इंटर गवर्नमेंटल अग्रीमेंट पर साइन किए थे। डील के अनुसार, कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए जाने की तारीख से 67 महीने में जेट की डिलीवरी पूरी होनी है। ये फाइटर जेट कई शक्तिशाली हथियारों और मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है।