ल्हासा-काठमांडू रेल प्रोजेक्ट को लेकर उठ रहे सवाल,पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद अब नेपाल में भी चीन खर्च करेगा बड़ी रकम
ड्रेगन की चाल में फंसेगा नेपाल ! ल्हासा-काठमांडू रेल प्रोजेक्ट को लेकर उठ रहे सवाल,पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद अब नेपाल में भी चीन खर्च करेगा बड़ी रकम
- आने वाले समय में इसकी लागत और भी बढ़ सकती है।
डिजिटल डेस्क,दिल्ली। पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद अब नेपाल भी चीन की चाल में फंसने वाला है। इतिहास कहता है कि जिस देश ने भी चीन के साथ कोई प्रोजेक्ट पर काम किया है वह देश धीरे-धीरे तबाह होने की स्थिति में आ जाता है। हाल के दिनों में पाकिस्तान और श्रीलंका इसके उदाहरण है। ये दोनों ही देशों ने चीन से कर्ज लिया और उनके प्रोजेक्ट्स को भी अपने यहां बनाने की अनुमति दी। बाद में हाल यह हुआ की दोनों ही देशों की इकॉनमी धराशायी होती गई। अब नेपाल भी चीन के चुंगल फंसता दिखाई दे रहा है। दरअसल ल्हासा और काठमांडू के बीच बन रहे रेल लाइन प्रोजक्ट को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस प्रोजेक्ट पर बहुत अधिक रकम खर्च होने वाली है। यही नहीं उनका कहना है कि आने वाले समय में इसकी लागत और भी बढ़ सकती है।
कुछ दिनों पहले ही चीन में फुदान विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर झांग जिआदोंग ने इस प्रोजेक्ट के बारे में कहा था कि प्रस्तावित नेपाल-चीन सीमा पार ल्हासा-शिगात्से-केरुंग-काठमांडू रेलवे की लागत लगभग 8 बिलियन डॉलर हो सकती है। वहीं प्रोफेसर ने शुरुआती स्टडी का जिक्र करते हुए कहा कि यह रेलवे प्रोजेक्ट 500 किलोमीटर से अधिक लंबा होगा और चीनी मानकों के हिसाब से भी लागत कम नहीं है। झांग ने इस परियोजना की लागत को लेकर विश्वविद्यालय की बेवसाइट पर लिखा ""यह लागत केवल एक शुरुआती अनुमान है, क्योंकि बड़े पैमाने पर इसका सर्वे किया जाना बाकी है। एक बार परियोजना का निर्माण शुरू होने के बाद लागत और बढ़ सकती है.""
बता दें रेल्वे लाइन की कुल लंबाई 599.41 किमी होगी, जिसमें 527.16 किमी खंड चीन में और 72.25 किलोमीटर नेपाल में होगा। बताया जा रहा है कि केरुंग (पाइकू झील) से काठमांडू तक का खंड 170.41 किमी लंबा होगा।