प्रचंड ने नेपाल, भारत की 1950 की शांति और मैत्री संधि की समीक्षा का आह्वान किया
काठमांडू प्रचंड ने नेपाल, भारत की 1950 की शांति और मैत्री संधि की समीक्षा का आह्वान किया
डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने शनिवार को नेपाल और भारत के बीच 1950 की संधि की समीक्षा करने का आह्वान किया। प्रचंड इस समय नई दिल्ली में हैं और उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की है। उन्होंने फाउंडेशन फॉर पब्लिक अवेयरनेस एंड पॉलिसी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कूटनीतिक बातचीत से दोनों देशों के बीच की समस्याओं को हल करने के बाद भी संधि की समीक्षा में कोई देरी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, इतिहास में कुछ मुद्दे बचे हैं जिन्हें नेपाल-भारत संबंधों और द्विपक्षीय सहयोग की क्षमता को पूरी तरह से महसूस करने के लिए सद्भाव में संबोधित करने की आवश्यकता है। 1950 की संधि, सीमा और ईपीजी रिपोर्ट से संबंधित मामलों को राजनयिक के माध्यम से हल करने की आवश्यकता है। अच्छे पड़ोसी की भावना से हम अपने संबंधों को समस्या मुक्त बना सकते हैं।
प्रचंड ने इस बात पर भी जोर दिया कि नेपाल-भारत प्रमुख समूह द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को स्वीकार किया जाना चाहिए और दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत किया जाना चाहिए। नेपाल और भारत के बीच के संबंध अनादि काल से मजबूत होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई समस्या है तो उसे कूटनीतिक बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है।
नेपाल और भारत ने 2016 में बदले हुए वैश्विक और क्षेत्रीय संदर्भ में नेपाल-भारत संबंधों के एक नए ब्लूप्रिंट की समीक्षा करने और सुझाव देने के लिए ईपीजी का गठन किया। पैनल ने 2018 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जहां उसने 1950 की शांति और मैत्री संधि की समीक्षा करने के साथ-साथ नेपाल-भारत खुली सीमा को सुव्यवस्थित करने का भी सुझाव दिया। लेकिन नई दिल्ली और काठमांडू के बीच अलग-अलग राय और विचारों के कारण, रिपोर्ट भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों को प्रस्तुत करने में विफल रही है, जिस पर जुलाई 2018 में ईपीजी की पिछली बैठक में सहमति हुई थी।
प्रचंड ने भारत से नेपाल के कृषि, बुनियादी ढांचे और पर्यटन में निवेश बढ़ाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने उल्लेख किया कि नेपाल सरकार ने निर्यात उद्योग को प्राथमिकता दी है और माना है कि इसमें निवेश करके उच्च रिटर्न प्राप्त करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि रामायण सर्किट, बौद्ध सर्किट , शिव सर्किट, और पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ, और जनकपुरधाम सहित अन्य धार्मिक स्थल हमारे सभ्यतागत बंधनों और धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रचंड के साथ बैठक में जयशंकर ने कहा कि पड़ोस पहले नीति के तहत नेपाल को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा, भारत हमेशा विकास और समृद्धि की नेपाल की इच्छा में एक विश्वसनीय भागीदार रहेगा, जो पहले पड़ोस की नीति को दर्शाता है। उन्होंने कहा, आर्थिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करके हमारे पड़ोसी संबंधों को मजबूत करने पर एक उपयोगी चर्चा हुई है।
(आईएएनएस)
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