भारत में आयोजित एससीओ की मीटिंग अटेंड करने पहुंचे पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो, पाकिस्तानी पत्रकार ने भारत से रिश्ते सुधारने को लेकर अपने ही हुक्मरानों को दिखाया आईना
बिलावल का भारत दौरा भारत में आयोजित एससीओ की मीटिंग अटेंड करने पहुंचे पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो, पाकिस्तानी पत्रकार ने भारत से रिश्ते सुधारने को लेकर अपने ही हुक्मरानों को दिखाया आईना
- कितना जरूरी है भारत आना?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) के लिए पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के मौजूदा विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत दौरे पर आए हुए हैं। जिनके स्वागत में अभी तक तो भारत ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है और उम्मीद की कोई गुंजाश भी नहीं है। लेकिन पाकिस्तान के लिए यह दौरा बड़ा अहम माना जा रहा है। गोवा में 4 और 5 को आयोजित होने वाली एससीओ की मीटिंग पाकिस्तान के लिए बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति बद से बदतर हो गई है। चाहें वो आर्थिक स्तर पर हो या राजनैतिक, सारे जगह फेल ही हुआ दिखाई दे रहा है।
आपको बता दें कि, बिलावल भुट्टो गोवा पहुंच चुके हैं जहां पर वो एससीओ की मीटिंग में हिस्सा लेंगे। भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की बात करें तो आजादी के बाद से कभी भी ठीक नहीं रहा है। बिलावल भुट्टो का दौरा एक ऐसे समय में हो हुआ है जब भारत आतंकवाद को लेकर काफी सजग है और पड़ोसी मुल्क को आतंक पर लगाम लगाने की बात कह रहा है। खैर 12 साल के बाद कोई पाकिस्तान का विदेश मंत्री पहली बार भारत के दौरे पर आया है। जिसे पाकिस्तानी मीडिया भारत से बेहतर संबंध बनाने के रूप में देख रही है और भुट्टो के इस दौरे को लेकर कई तरह के चर्चाएं भी चल रही है।
नहीं होगी मुलाकात
पाकिस्तान, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का भारत के दौरे को बेहद ही खास मान रहा है। पाक मीडिया में चर्चा चल रही है कि ये 12 साल में पहली दफा है कि कोई विदेश मंत्री हिंदुस्तान गया हो। बता दें कि, साल 2011 में पाक कि विदेश मंत्री रहीं हिना रब्बानी खार भारत दौरे पर आई थीं। जो उस समय भारत के रहें विदेश मंत्री एसएस कृष्णा से मुलाकात की थीं। हालांकि, इस बार ऐसी कोई चर्चा नहीं है कि पाक के विदेश मंत्री भारत के फॉरेन मिनिस्टर एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे।
बिलावल के नाना आ चुके हैं भारत दौरे पर
बिलावल से पहले उनके खानदान से तीन लोग भारत दौरे पर आ चुके हैं। सबसे पहले भुट्टो के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो साल 1972 में भारत का दौरा किया था। उस समय जुल्फिकार पाकिस्तान के पीएम थे। जो साल 1971 में पाक और भारत के युद्ध के बाद आए थे। भारत दौरे पर जुल्फिकार "शिमला समझौते" पर दस्तखत करने के लिए आए हुए थे।
बिलावल के माता-पिता भी आ चुके हैं भारत
भुट्टो परिवार से साल 2002 में पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो भारत दौरे पर आई थीं। अपने इस दौरे में उन्होंने तत्कालिन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की थी। जबकि साल 2012 में बिलावल के पिता और पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे आसिफ अली जरदारी भारत दौरे पर आए थे। जिन्होंने तत्कालिन पीएम मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। बता दें कि, पिता के दौरे पर बिलावल भुट्टो भी उनके साथ रहे थे।
कितना जरूरी है भारत आना?
बिलावल का एससीओ के बैठक को लेकर पाकिस्तान की वरिष्ठ पत्रकार आरजू काजमी कहती हैं कि, भारत दौरा पाक के लिए बेहतर हो सकता है। अगर पाकिस्तान के हुक्मरान चाहें तो। आरजू कहती हैं कि आज दुनिया भारत की ओर देखती है न कि भारत। लेकिन इन सबसे उलट पाकिस्तान की आज हालत किसी से छिपी नहीं है आज अवाम आटे की बोरी लेने के लिए एक दूसरे के खून के प्यासे बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। बिलावल के भारत दौरे को लेकर आरजू आगे कहती हैं कि, हाल के दिनों में जिस तरह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर साहब के खिलाफ भुट्टो ने टिप्पणी की थी उसका उन्हें खेद जताना चाहिए और भारत से बेहतर रिश्ते को लेकर बात करनी चाहिए क्योंकि भारत को पाकिस्तान की जरूरत नहीं है बल्कि पाक को भारत की जरूरत है।
बिलावल आए क्यों हैं?
दरअसल, पाकिस्तानी विदेश मंत्री एससीओ के बैठक में शामिल होन के लिए आ चुके हैं। वो पाक का प्रतिनिधित्व इस बैठक में करेंगे जहां पर हर तरह के पहलुओं पर चर्चा होगी। बता दें कि एससीओ का गठन 15 जून साल 2001 में हुआ था। तब इसकी चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गीस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने स्थापना की थी। बाद में इस सदस्य का हिस्सा भारत और पाक बने थें। जिसका उद्देश्य नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने और करोबार व निवेश को व्यापक विस्तार देने का था। आज पूरी दुनिया को पाक की स्थिति पता है कि कैसे वो कगाल हो चुका है। इसी से उबरने के लिए और चीन को खुश करने के लिए भारत दौरे पर भुट्टो आए हुए हैं। बता दें कि, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खासता है और कर्ज से उबरने के लिए चीन की ओर टकटकी लगाए हुए है। इसी को देखते हुए भुट्टो ने भारत का दौरा किया है।