गायों की डकार पर न्यूजीलैंड ने लगाई टैक्स, भड़के किसान, बोले बुरे वक्त में दिया था सरकार का साथ
न्यूजीलैंड में किसानों का विरोध प्रदर्शन गायों की डकार पर न्यूजीलैंड ने लगाई टैक्स, भड़के किसान, बोले बुरे वक्त में दिया था सरकार का साथ
- न्यूजीलैंड की सरकार ने नए कृषि टैक्स का प्रस्ताव रखा
डिजिटल डेस्क, वेलिंगटन। न्यूजीलैंड की सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसकी दुनियाभर में चर्चा हो रही है। न्यूजीलैंड की सरकार ने गायों के डकार पर टैक्स लगाने का फैसला लिया है। जिसका वहां के किसान जमकर विरोध कर रहे हैं। न्यूजीलैंड की सरकार ने गायों की डकार, ग्रीन हाउस एमिशन व अन्य कृषि से संबंधित मुद्दे पर बीते हफ्ते एक प्रस्ताव लाई थी। इसी को लेकर वहां के कई किसान सड़क पर उतर आए व सरकार के इस प्रस्ताव के खिलाफ लामबंध हो गए हैं।
किसानों की ओर से यह कहा गया है कि हम चाहते थे कि हमारा प्रदर्शन और बड़ा हो लेकिन उतना बड़ा नहीं हो पाया, जिसकी हमें आशा थी। गौरतलब है कि इस प्रर्दशन को देशव्यापी बनाने में लॉबी समूह ग्राउंडस्वेल का हाथ रहा। जिसने देशभर के शहरों, इलाकों और कस्बों जैसे लगभग 50 से अधिक जगहों पर विरोध प्रदर्शन को आयोजित करने में प्रर्दशनकारियों की मदद की। जिसमें विरोध प्रदर्शन के लिए गाड़ियां भी मौजूद रही।
इस वजह से लगाया गया टैक्स
सरकार ने बीते सप्ताह जलवायु परिवर्तन से दो-चार होने के लिए नए कृषि टैक्स का प्रस्ताव रखा। सरकार की ओर से दावा किया गया, ऐसा टैक्स दुनिया का पहला है जो किसानों के जलवायु के अनुकुल उत्पादों के लिए अधिक शुल्क देकर लागत की भरपाई करने में अहम योगदान देगा। बता दे कि न्यूजीलैंड की आबादी में ज्यादा लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। इससे उनकी पूरी कमाई खेती से ही होती है।
कृषि प्रधान है देश
न्यूजीलैंड में किसानों की संख्या अधिक होने के वजह से ये कृषि के जरिए ही अपना जीवन-यापन करते हैं। मीडिया रिपोर्टस् की माने तो देश में तकरीबन 10 मिलियन बीफ व डेयरी मवेशी के अलावा 26 मिलियन से अधिक भेड़े मौजूद हैं। बात करें न्यूजीलैंड की तो हाल ही के आकड़े के अनुसार इसकी आबादी लगभग 51 लाख दर्ज की गई है। इनका ग्रीन हाउस एमिशन का लगभग आधा हिस्सा मुख्य रुप से खेतों से ही आता है। इसमें गाय भी अपना अहम रोल अदा करती है। इन गायों की डकारों से निकलने वाली मीथेन खास तौर पर इसमें मदद पहुंचाती है।
किसानों का दावा ग्रीनहाउस में होगी वृद्दि
सरकार के इस प्रस्ताव पर कुछ किसानों ने कहा कि सरकार ने जिस प्रस्ताव को लाया है। वह वास्तव में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में और बढ़ोतरी होगी। वेलिंगटन में हो रहे विरोध प्रर्दशन में शामिल डेव मैककर्डी नाम के एक किसान ने कहा कि हमारे उम्मीद के मुताबिक किसान विरोध प्रर्दशन में शामिल नहीं हुए। खैर इस समय वसंत का मौसम जो चल रहा है सभी किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं।
टैक्स बढ़ा तो किसान बर्बाद हो जाएंगे
किसान मैककर्डी ने आगे कहा कि किसान पर्यावरण के अच्छे मित्र होने के साथ यह हमारे और हमारे परिवार का भी जीवन है। हम इसे बर्बाद करने या ना ही पैसा कमाने के लिए बल्कि सहेज कर रखने वाले लोग हैं। हम किसान लोग अपने खेतों से प्यार करते हैं। ये तमाम घटनाएं हमें परेशान करती हैं। आगे उन्होंने कहा कि जो प्रस्ताव फिलहाल लाया गया है, उसमें पेड़ और ब्रश का उचित तरीके से हिसाब नहीं किया गया है। साथ ही यह भी कहा कि अगर इससे आगे प्रस्तावित टैक्स बढ़ा तो सारे किसान बर्बाद होने के कगार पर आ सकते हैं।
गौरतलब है कि न्यूजीलैंड की इकॉनमी में किसानों का अहम योगदान है। न्यूजीलैंड डेयरी उत्पाद में अव्वल नबंर पर है, दूसरे देशों में भी इसका निर्यात करता है। किसान मैककर्डी ने कोरोना काल को याद करते हुए कहा कि जब देश में लॉकडाउन रहा, तब देश की इकॉनमी को बचाने में किसानों ने अहम भूमिका निभाई थी। अब बुरे दिन बीत गए तो सरकार ने किसानों के साथ भेदभाव करना शुरु कर दिया है।