हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के विवादित बयानों की जंगी मैदान में कूदे नेता और अभिनेता, दक्षिण नेताओं ने कहा खतरे में पड़ सकती है एकता, अखंडता और विविधता
राष्ट्रभाषा V/S राजभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के विवादित बयानों की जंगी मैदान में कूदे नेता और अभिनेता, दक्षिण नेताओं ने कहा खतरे में पड़ सकती है एकता, अखंडता और विविधता
- खतरे में लोकल भाषा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गर्मी के बढ़ते तापमान के बीच हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने को लेकर जारी विवाद के सियासी मैदान में नेताओं के साथ साथ अभिनेताओं की एंट्री बड़े धमाकों के साथ हो रही है, जिसने सियासी पारा और चढ़ गया है।
बीजेपी वरिष्ठ नेता व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हिंदी भाषा पर दिए गए बयान पर पूरे भारत में गर्माहट पैदा कर दी है। शाह ने कहा था कि अब वक्त आ गया है कि राजभाषा हिंदी को देश की एकता का अहम हिस्सा बनाया जाए। इसके बाद देश में अन्य भाषाओं के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया।
राजनेताओं के बयानों से शुरू हुए विवादित मामले में बॉलीवुड नेताओं की एंट्री से मामले ने और तूल पकड़ लिया। अब हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के बयान को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा माना जाने लगा है। हालांकि यह मामला देश की आजादी से पहले और संविधान सभा में उठा था, तब संविधान सभा में विचार विमर्श के बाद हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने को लेकर दक्षिण भारत शुरू से ही मुखर रहा है। वो इसे देश की विविधता एकता के लिए खतरे मानते हुए अन्य भाषाओं को दबाने के तौर पर देखता है। कुछ लोगों की अपने इलाके की लोकल भाषा होती है, जिसके खोने का डर हमेशा बना रहेगा। वैसे भी भारत से सैकड़ों भाषाएं लुप्त हो गई है या अपनी अंतिम सैया पर है। किच्चा सुदीप ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं है। बॉलीवुड अब पैन इंडिया फिल्म बना रहा है। वो लोग तमिल और तेलुगु में फिल्में डब कर सक्सेस के लिए संघर्ष कर रहे हैं। फिर भी वे सफल नहीं हो पा रहे हैं, लेकिन आज हम लोग ऐसी फिल्में बना रहे हैं, जो हर जगह देखी और सराही जा रही हैं , और सक्सेस हो रही है । केजीएफ के पहले आरआरआर, पुष्पा और "वलिमै" जैसी फिल्मों ने भी हिंदी बेल्ट में खूब धमाका मचाया था।
इस विवाद में फिल्म मेकर राम गोपाल वर्मा ने कहा उत्तरी अभिनेता साउथ अभिनेताओं के साथ के सामने असुरक्षित और ईर्ष्यालु महसूस कर रहे हैं।
हिंदी भाषा को लेकर कन्नड़ एक्टर किच्चा सुदीप ने बयान दिया था, जो विवाद में बदल लगा, उन्होंने कहा था कि हिंदी अब राष्ट्रभाषा नहीं रही और बॉलीवुड पैन इंडिया फिल्में बना रहा है। इसके बाद अभिनेता अजय देवगन ने कन्नड़ अभिनेता के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किच्चा सुदीप मेरे भाई, आपके अनुसार अगर हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फिल्मों को हिंदी में डब करके क्यूं रिलीज करते हैं? हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी। जन गण मन।" हालांकि स्टार अजय देवगन ये बात किस नजरिए और नॉलेज से कह रहे है नहीं पता,क्योंकि भारतीय संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं है। जिस पर अजय देवगन की आलोचना हो रही है। अजय देवगन के जवाब पर किच्चा सुदीप ने कमेंट कर बाद में सफाई भी दी। सुदीप ने कहा, मेरे कहने के पीछे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने, उत्तेजित करने या फिर किसी विवाद को बढ़ावा देने का मकसद नहीं है।
अजय देवगन के बयान पर दक्षिण भारत के कई नेताओं ने तीखी आलोचना की है, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने ट्वीट कर अजय देवगन के व्यवहार को हास्यास्पद बताया है। उन्होंने अभिनेता अजय को उनकी पहली फिल्म की भी याद दिलाते हुए कहा कि अजय देवगन को यह महसूस करना चाहिए कि कन्नड़ सिनेमा हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को पछाड़ रहा है। कन्नड़ियों के ही प्रोत्साहन से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का विकास हुआ है। देवगन को यह भी नहीं भूलना चाहिए उनकी पहली फिल्म फूल और कांटे बेंगलुरु में एक साल तक चली थी। कुमारस्वामी ने किच्चा सुदीप के बयान के पक्ष में उतरते हुए कहा कि स्टार किच्चा सुदीप का यह कहना की हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, बिल्कुल सही है। उनके बयान में गलती खोजने की कोई बात नहीं है। अजय देवगन न सिर्फ हाइपर नेचर के हैं, बल्कि अपना हास्यास्पद व्यवहार भी दिखाते रहते हैं।
उनके साथ ही कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने भी अजय के बयान का जवाब देते हुए पलटवार किया, नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने कहा- "हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा कभी नहीं थी और न कभी होगी। हमारे देश की भाषा की विविधता का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। सभी भाषा का अपना समृद्ध इतिहास होता है, जिस पर लोगों को गर्व होता है। मुझे कन्नड़ होने पर गर्व है।
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने ट्वीट कर कहा कि लोग अपनी मर्जी से हिंदी सीख सकते हैं, लेकिन हिंदी को थोपा जाना अस्वीकार्य है। पनीरसेल्वम ने कहा- उनकी पार्टी अन्नादुरै की विचारधारा के अनुरूप तमिल और अंग्रेजी दो भाषाओं की नीति पर दृढ़ता से कायम है।
मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने तमिषानंगु (तमिल देवी) की एक तस्वीर साझा की और साथ ही तमिल राष्ट्रवादी कवि भारतीदासन की एक पंक्ति लिखी कि ‘तमिल हमारे अस्तित्व की जड़ है।
Hi @KicchaSudeep, You are a friend. thanks for clearing up the misunderstanding. I’ve always thought of the film industry as one. We respect all languages and we expect everyone to respect our language as well. Perhaps, something was lost in translation