भारतीय मूल के ब्रिटिश पीएम पर जमकर भड़का चीन, ब्रिटिश मंत्री के दौरे की बौखलाहट कुछ इस तरह की जाहिर

चीन-ताइवान विवाद भारतीय मूल के ब्रिटिश पीएम पर जमकर भड़का चीन, ब्रिटिश मंत्री के दौरे की बौखलाहट कुछ इस तरह की जाहिर

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-09 08:28 GMT
हाईलाइट
  • मंदी की आहट के बीच अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश में ब्रिटेन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के पीएम का पद संभालते ही ऐसा फैसला लिया है जिससे चीन आगबबूला हो गया है। दरअसल, सुनक ने अपने व्यापार मंत्री ग्रेग हैंडस को ताइवान दौरे पर भेजा है। जिस पर चीन ने नाराजगी जताते हुए इसे वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन बताया है। ब्रिटेन के मंत्री हैंडस अपने ताइवान दौरे में 8 नवंबर से शुरु हुए अंतराष्ट्रीय व्यापार विभाग के वार्षिक वार्ता की सह-मेजबानी करेंगे साथ ही वे ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन से मुलाकात भी करेंगे। बता दें कि कोविड महामारी के बाद यह किसी भी ब्रिटिश मंत्री की पहला ताइवान दौरा है। इस दौरे को राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

आगबबूला हुआ ड्रेगन

ब्रिटेन के व्यापार मंत्री की इस ताइवान दौरे पर चीन आगबबूला हो गया है। उसने ब्रिटेन के इस कदम को वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन बताया है। चीनी सरकार के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि ब्रिटेन को ताइवान के साथ किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करना चाहिए। 

मंदी की आहट के बीच अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश में ब्रिटेन

गौरतलब है कि इस समय ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं है। उस पर मंदी का खतरा बना हुआ है। देश में बढ़ रही महंगाई की वजह से ही पूर्व पीएम लिज ट्रस को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। ऐसे में अब नवनिर्वाचित पीएम सुनक के सामने देश को महंगाई के संकट से उबार कर उसे आर्थिक रुप से मजबूत करनी की चुनौतियां हैं। 

ब्रिटेन की तरह ही ताइवान भी ग्लोबल टेक्नोलॉजी के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है। ऐसे में दोनों देश एक दूसरे के महत्वपू्र्ण सहयोगी साबित हो सकते हैं। वैसे भी ब्रेक्जिट से अलग होने के बाद ब्रिटेन प्रशांत महासागर क्षेत्र के देशों से अपने व्यापारिक संबंध मजबूत करना चाहता है। ब्रिटेन के समाचार पत्र द टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुनक के मंत्री के इस दौरे से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करने में सहायता मिल सकती है। अखबार के मुताबिक इस दौरे में ताइवान द्वारा ब्रिटेन को इलेक्ट्रॉनिक समेत कई अन्य जरुरी सामानों की आपूर्ति करने वाले फैसले पर मुहर लग सकती है। 

अमेरिकी नेता के ताइवान दौरे पर भी नाराजगी जता चुका है चीन

इससे पहले अगस्त में भी अमेरिकी संसद की नेता नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे को लेकर भी चीन ने नाराजगी जताई थी। उसने पेलोसी के दौरे के बाद ताइवान बॉर्डर पर बड़े स्तर का सैन्य अभ्यास किया था। साथ ही चीनी राष्ट्रपति शी जिंनपिंग ने अमेरिका को आग से न खेलने की चेतावनी भी दी थी। 

बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और वह किसी अन्य देश के ताइवान के साथ राजनायिक संबंधों को नहीं मानता है। वहीं ताइवान खुद को एक अलग देश मानता है। उसका खुद का संविधान है और यहां लोकतांत्रिक तरीके चुनी हई सरकार है। 

सुनक बता चुके हैं चीन को सबसे बड़ा खतरा

ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक भी ब्रिटेन को घरेलू और वैश्विक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बता चुके हैं। इसी साल जुलाई में प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल हुए सुनक ने चीन पर कड़ा रुख अपनाने का वादा करते हुए कहा था कि "हम अपनी यूनिवर्सिटीज से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को बाहर निकाल देंगे। साथ ही उच्च शिक्षा प्रतिष्ठानों को मिलने वाली £50,000 ($60,000) से अधिक की विदेशी फंडिंग का पता लगाएंगे। ब्रिटेन की घरेलू जासूसी एजेंसी MI5 का इस्तेमाल चीनी जासूसी से निपटने में मदद के लिए किया जाएगा। साइबर स्पेस में चीनी खतरों से निपटने के लिए नाटो-स्टाइल में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रयास करेंगे।"

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