खाद्य संकट पर अमेरिका द्वारा आयोजित मंत्रिस्तीय बैठक में भारत आमंत्रित

अमेरिका खाद्य संकट पर अमेरिका द्वारा आयोजित मंत्रिस्तीय बैठक में भारत आमंत्रित

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-11 09:00 GMT
खाद्य संकट पर अमेरिका द्वारा आयोजित मंत्रिस्तीय बैठक में भारत आमंत्रित
हाईलाइट
  • अनाज उत्पादक देशों के साथ सहयोग

डिजिटल डेस्क, संयुक्त राष्ट्र। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन द्वारा वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर आयोजित मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत को भी आमंत्रित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि सिंडी मैककेन ने मंगलवार को वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विदेश मंत्रियों की यह बैठक 18 मई को न्यूयॉर्क में आयोजित होगी।

उन्होंने बताया कि बैठक में तात्कालिक मानवीय जरूरतों की समीक्षा की जायेगी तथा भविष्य में ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिये जरूरी कदमों पर चर्चा की जायेगी। बैठक में तात्कालिक समाधानों के साथ ही दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने पर चर्चा होगी। मैककेन ने कहा कि अमेरिका सभी अनाज उत्पादक देशों के साथ सहयोग करता है और इसका उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उपजे खाद्य संकट को खत्म करना है।

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया 70 साल बाद ऐसे गंभीर खाद्य संकट से गुजर रही है। सिंडी मैककेन ने बताया कि इस बैठक के अगले दिन सुरक्षा परिषद में संघर्ष और खाद्य सुरक्षा विषय पर चर्चा होनी है।

उन्होंने कहा कि दुनिया में गेहूं के पांचवें बड़े तथा सूरजमुखी तेल के दूसरे बड़े निर्यातक देश यूक्रेन पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हमले का दूरगामी प्रभाव देखा जा सकता है। जो देश पहले से ही मानवीय संकट से गुजर रहे थे, उन पर इसका अधिक प्रभाव पड़ा है। यह प्रभाव दीर्घकालिक भी होगा। उन्होंने कहा कि पुतिन के हमले ने फसलों की बुवाई को प्रभावित किया। उन्होंने बंदरगाह पर अवरोध लगा दिया, खेतों में बारूदी सुरंग बिछा दी, बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर दिया और पूरी वैश्विक खाद्य प्रणाली में तबाही मचा दी।

गौरतलब है कि करीब 100 मिलियन टन के गेहूं भंडार वाले देश भारत के नेताओं ने गत माह अमेरिका से खाद्य संकट को खत्म करने में सहयोग को लेकर बातचीत की थी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुये वर्चुअल सम्मेलन और उससे पहले हुई 2प्लस2 बैठक में भी इस विषय पर चर्चा हुई थी। उस वक्त भी ब्लिंकेन ने कहा था कि दोनों देश वैश्विक बाजार तथा विश्व खाद्य कार्यक्रम में अधिक अनाज की आपूर्ति पर सहमत हैं।

 

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