आईएमएफ प्रमुख जॉर्जीवा ने जताई चिंता, अमेरिका समेत इन देशों में रहने वाली हैं मंदी, चरमरा सकती है अर्थव्यवस्था?
मंदी ने बढ़ाई मुश्किलें आईएमएफ प्रमुख जॉर्जीवा ने जताई चिंता, अमेरिका समेत इन देशों में रहने वाली हैं मंदी, चरमरा सकती है अर्थव्यवस्था?
- 2023 में चरमरा सकती है अर्थव्यवस्था
डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मौजूदा प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने एक इंटरव्यू में मंदी को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि दुनिया की तीन सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश साल 2023 में भारी मंदी से गुजरने वाले हैं। जिसमे संयुक्त्त राज्य अमेरिका, चीन और यूरोप शामिल हैं। जॉर्जीवा ने दावा किया कि अगले कुछ महीने चीन के लिए उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी, वजह है कोविड-19 का भयानक प्रभाव।
कठिन रहने वाला है यह साल
आईएमएफ चीफ जॉर्जीवा ने साक्षात्कार में कहा कि, हम उम्मीद करते हैं कि विश्व अर्थव्यवस्था का एक तिहाई मंदी में होगा। यहां तक कि उन देशों के लिए जो मंदी में नहीं हैं, वहां भी लाखों के लिए मंदी जैसा महसूस होगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि साल 2023 वैश्विक अर्थव्यवस्था पिछले वर्ष की तुलना में अधिक कठिन होने वाला है।
निराशाजनक बनी रहेगी
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, इन सभी देशों में कोरोना के बढ़ते मामले, बड़ी महाशक्तियों के बीच भू-राजनीतिक तनाव व सबसे बड़ी वजह यूक्रेन और रूस का युद्ध है। जिसने मंदी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, जॉर्जीवा ने कहा कि अमेरिका मंदी से बच सकता है, लेकिन यूरोप में यूक्रेन व रूस के युद्ध की वजह से हालात निराशाजनक रहने वाले हैं। आधा यूरोपीय संघ मंदी से गुजर सकता है। जो पूरी तरह से अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक, साल 2022 में वैश्विक विकास दर 3.2 फीसदी रही थी, लेकिन इस वर्ष 2.7 फीसद रहने का अनुमान है।
दूसरी बड़ी शाक्ति है चीन
चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। जिस पर सबसे बड़ी मार पड़ी है। रिपोर्ट्स की मुताबिक, चीन में आर्थिक मंदी पड़ने की वजह कोरोना के बढ़ते मामले, जिसने उसकी कमर तोड़ कर रख दी है। चीन ने संक्रमण को बढ़ते देख देश में जीरो-कोविड पॉलिसी को लागू कर दिया था। जिसकी वजह से सप्लाई चेन पूरी तरह से बाधित हो गई थी। जिस वजह से उसे व्यापार और निवेश में भारी नुकसान पहुंचा है। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उम्मीद जताई थी कि पिछले साल से 4.4 फीसदी तक की अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी। जो कई अर्थशास्त्रियों के अनुमान से कहीं अधिक रही है। हालांकि, चीन की विकास दर साल 2021 में 8.4 फीसदी रही थी।
मंदी रहेगी चीन में
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख ने कहा कि चीन की विकास दर वैश्विक वृद्धि के समान या उससे कम रहने की संभावना है। जॉर्जिया ने चीन पर कहा कि 40 साल में पहली बार 2022 में चीन की वृद्धि वैश्विक विकास के बराबर या उससे कम रहने की संभावना है।
कोविड से पहले, चीन वैश्विक विकास का 34,35,40 फीसदी तक देता था, यह अब ऐसा नहीं कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने कोरोना पर लगाए गए जितने भी प्रतिबंध रहे वो सारे दिसंबर की शुरूआत में ही हटा लिए थे। ऐसी संभावना है कि एक बार फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था को कुछ राहत मिल सके, लेकिन अभी भी रिकवरी अनिश्चित और दर्दनाक रहने वाली है।