युद्ध के चलते फिर देश छोड़ने को मजबूर अजमल रहमानी, पहले तालिबान अफगानिस्तान युद्ध की वजह से छोड़ा था अपना देश

रूस और यूक्रेन युद्ध युद्ध के चलते फिर देश छोड़ने को मजबूर अजमल रहमानी, पहले तालिबान अफगानिस्तान युद्ध की वजह से छोड़ा था अपना देश

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-28 10:15 GMT
युद्ध के चलते फिर देश छोड़ने को मजबूर अजमल रहमानी, पहले तालिबान अफगानिस्तान युद्ध की वजह से छोड़ा था अपना देश
हाईलाइट
  • अजमल अभी पोलैंड में है।
  • उनका परिवार 30 किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड सीमा आया है।

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली।  यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध अभी भी जारी है। इस युद्ध ने दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। यूक्रेन के कई शहरों पर रूसी सेना ने मिसाइलों और बमों से हमला किया है। युद्ध से जहां यूक्रेनी नागरिक परेशान है वहीं दूसरे देशों से यूक्रेन आए लोगों के साथ ही बड़ी संख्या में  मौजूद छात्र भी परेशान है। लेकिन अजमल रहमानी नाम का एक ऐसा शख्स भी है जो युद्ध से परेशान होकर, शान्ति के लिए अपना देश छोड़कर  यूक्रेन आ गया था। 

अफगान के रहने वाले अजमल रहमानी ने शायद ही यह सोचा होगा की जिस देश में वह शांन्ति की तलाश में जा रहे है, वहां से भी उनको 1 साल  के अंदर नए आशियाने को भी छोड़ना पड़ेगा। लेकिन इस युद्ध के कारण अजमल रहमानी 1 साल में दूसरी बार अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो गए।

पहली बार देश छोड़ने की वजह बना तालिबान 
आपको बता दें अफगान के रहने वाले अजमल रहमानी के अफगानिस्तान को छोड़कर जाने की असली वजह तालिबान है। तालिबान के डर से ही अजमल ने अपने देश को छोड़ा था। लेकिन फिर से वह उसी मोड़ पर आ गए जिससे वह 1 साल पहले परेशान थे। 
 
युद्ध ही है दूसरी बार घर छोड़ने का कारण
 अजमल अभी पोलैंड में है। रूस के यूक्रेन पर हमलों की वजह से एक हफ्ते पहले ही उनको पोलैंड का रुख करना पड़ा। 40 साल के अजमल रहमानी ने पोलैंड आने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, "मैं एक युद्ध से भागकर दूसरे देश में आता हूं, लेकिन वहां भी दूसरा युद्ध शुरू हो जाता है. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है." रहमानी के साथ उनकी पत्नी मीना,11 साल का बेटा ओमर और 7 साल की बेटी भी है। उनका परिवार 30 किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड सीमा आया है।

अफगानिस्तान में नाटो के लिए कर रहे थे काम 

अफगानिस्तान के रहने वाले रहमानी ने  मीडिया से बताया कि उन्होंने नाटो के लिए अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट में 18 सालों तक काम किया। लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिका के हटने के फैसले से 4 महीने पहले ही देश छोड़ने का फैसला किया था। वह बताते है कि वहां उन्हें और बच्चों को स्कूल जाने के कारण धमकी मिलती थी। अपना घर, कार,अच्छी सैलेरी होने के बाद भी शांति की तलाश में उनको सबकुछ बेचना पड़ा था।  इसके बाद बड़ी मुश्किल से उनको यूक्रेन का वीजा मिला था फिर वह यूक्रेन आ गए। यहां आने के बाद उन्होंने ओडेसा में घर भी लिया था। लेकिन युक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध के कारण वह दूसरी जगह जाने के लिए मजबूर हो गए।  

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