लगातार बिगड़ रहे हैं मिस्त्र के हालात, खाने के मामले में हुआ पाकिस्तान जैसा हाल, रूस यूक्रेन युद्ध के चलते आम आदमी को पड़ रहे दो वक्त के खाने के लाले
पाकिस्तान की राह पर मिस्त्र लगातार बिगड़ रहे हैं मिस्त्र के हालात, खाने के मामले में हुआ पाकिस्तान जैसा हाल, रूस यूक्रेन युद्ध के चलते आम आदमी को पड़ रहे दो वक्त के खाने के लाले
- साल 2023 अर्थव्यवस्था के लिहाज से यूरोपीय देशों के लिए कुछ खास नहीं रहेगा
डिजिटल डेस्क, काहिरा। पाकिस्तान के राह पर मिस्त्र भी चल पड़ा है। पाकिस्तान के आर्थिक हालात बेहद नाजुक है। जहां लोगों को खाने के लिए राशन उपलब्ध नहीं है। बीते दिनों जो पड़ोसी मुल्क से तस्वीरें और वीडियोज सामने आए, उसमें देखा गया कि कैसे पाक की अवाम आटे के लिए मारा-मारी कर रही है। ठीक ऐसे ही कुछ हालात मिस्त्र में देखने को मिल रहे हैं। जहां ब्रेड और मांस के बढ़ते दामों ने लोगों की कमर तोड़ दी है। साथ ही रोजमर्रा में काम आने वाले जितने भी खाद्य पदार्थ हैं वो भारी कीमतों में मिल रहे हैं। जिसकी वजह से गरीब जनता को रोटी भी नहीं मिल पा रहा है। भूखमरी जैसे हालात मिस्त्र में बने हुए हैं। वहीं मिस्त्र की सरकार ने अपनी एक एजेंसी को जनता की भूख मिटाने के लिए अजीबो-गरीब सुझाव दिए हैं।
खाद्य पदार्थों की पड़ी कमी
एजेंसी ने अपनी अवाम से कहा है कि इस महंगाई के दौर में सभी लोग प्रोटीन का ख्याल रखते हुए मुर्गे के पंजे खाएं। जो प्रोटीन के साथ ही अन्य चीजों के मुकाबले सस्ता पड़ेगा, और शरीर की जरूरत भी पूरी हो जाएगी। एजेंसी के इस मशवरे की लोग जमकर आलोचना कर रहे हैं। वहीं एजेंसी की इस सलाह पर मिस्त्र के सांसद करीम अल-सादत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि एजेंसी ये सलाह को मौजूदा संकट की सच्चाई से पूरी तरह से अलग है। बता दें कि मिस्त्र अधिकतर खाद्य आयात पर डिपेंड है। जहां खाद्य पदार्थों की बढ़ती महंगाई ने देश की करीब 10 करोड़ अवाम को आर्थिक संकट के मुंह में धकेल दिया है। वहीं सुपरमार्केट्स में जा रहे लोगों को नाप तौल के रोजमर्रा के सामान मिल रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति को तीन कट्टा चावल, दो बोतल दूध और एक बोतल तेल ही मिल रहा है। जो मिस्त्र की स्थिति को साफ दर्शाता है कि देश में किस स्तर पर खाद्य पदार्थों की कमी है।
महंगाई के शिकार हुए लोग
बढ़ती महंगाई और खाद्य पदार्थों के भारी संकट से जुझ रहे मिस्त्र की राजधानी काहिरा में रहने वाली रिहैब नाम की एक महिला ने बताया कि, जो ब्रेड कुछ ही दिनों पहले एक पाउंड मिलती थी, अब उनकी कीमत तीन गुना बढ़ गई है। उन्होंने आगे बताया कि मेरे पति महीने में लगभग 6 हजार पाउंड कमाते हैं। हालांकि अब जैसी महंगाई बढ़ रही है वैसे नहीं लग रहा है कि अब कुछ बच पाएगा। इसी सैलरी में पूरे महीने का राशन चल जाता था, लेकिन अब ऐसा होना मुश्किल है। वहीं 55 साल की रेडा ने कहा कि जो गोश्त सस्ता हुआ करता था, अब उसकी कीमत आसमान छू रही है। उन्होंने कहा कि जो खाद्य पदार्थ एक समय में सस्ते दामों में मिल जाते थे। आज पहुंच से बाहर हो गए हैं। मैं दो-दो जगह काम करके अपने परिवार के 13 सदस्यों का पेट पाल रही हूं।
ऐसी हालात का जिम्मेदार कौन?
दरअसल, रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से कई देशों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। खासतौर से यूरोपीय देशों में युद्ध की वजह से हालात बहुत बिगड़े हैं। न्यूज वेबसाइट बिजनेस रिकॉर्डर के मुताबिक, मिस्र गेहूं को काफी मात्रा में आयात करता है लेकिन युद्ध की वजह से पूरी तरह व्यवसाय ठप पड़ा है। इन्हीं वजह से मिस्त्र को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा कई देशों ने मिस्त्र में अपना निवेश भी किया था। जो रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते पीछे हट गए और निवेश करना बंद कर दिया। इन तमाम कारणों से मिस्त्र को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं अंतराष्ट्रीय मुद्र कोष की प्रमुख जॉर्जिया पहले ही कह चुकी हैं कि साल 2023 अर्थव्यवस्था के लिहाज से यूरोपीय देशों के लिए कुछ खास नहीं रहेगा। इसके साथ ही वो चीन और अमेरिका जैसे बड़े अर्थव्यवस्था वाले देशों को भी आगाह कर चुकी हैं।