दो प्लेटों की मार झेल रही है तुर्की की जमीन, इस वजह से हर महीने आते हैं बड़े भूकंप, जानिए तुर्की के भूगोल में छुपा है भूकंप का कौन सा राज?

भूकंप का मारा तुर्की दो प्लेटों की मार झेल रही है तुर्की की जमीन, इस वजह से हर महीने आते हैं बड़े भूकंप, जानिए तुर्की के भूगोल में छुपा है भूकंप का कौन सा राज?

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-06 08:38 GMT
दो प्लेटों की मार झेल रही है तुर्की की जमीन, इस वजह से हर महीने आते हैं बड़े भूकंप, जानिए तुर्की के भूगोल में छुपा है भूकंप का कौन सा राज?
हाईलाइट
  • सुबह करीब सवा चार बजे तुर्की में बड़ा भूकंप महसूस किया गया

डिजिटल डेस्क, तुर्कीय। सुबह करीब सवा चार बजे तुर्की में बड़ा भूकंप महसूस किया गया है। जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 मापी गई है। इसका केंद्र सीरिया सीमा के पास गजियांटेप इलाके में रहा। इस भूकंप की तीव्रता से अब तक सैकड़ों लोगों के मारे जाने की खबर है। भूकंप इतना भयावह रहा कि इस प्राकृति आपदा की चपेट में दर्जनों इमारतें जमींदोज हो गई हैं। जबकि पेट्रोल की पाइपलाइन फटने की वजह से कई जगहों पर भयानक तरीके से आग लगने की भी खबरें आ रही हैं। जिसमें जान माल की क्षति काफी संख्या में हुई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भूकंप की वजह से तुर्की में करीब 24 वर्षों से अब तक 18 हजार से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं।

40 सेकंड तक महसूस किए गए झटके

तुर्की में दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। पहले की तीव्रता 7.8 जबकि दूसरे की 7.5 रिक्टर स्केल पर तीव्रता दर्ज की गई। दो बार लगातार भूकंप आने की वजह से तुर्की के साथ सीरिया के लोगों में भी दहशत बनी हुई है। बताया जा रहा है कि, सबसे बड़ा झटका 40 सेकंड तक महसूस किया गया। इसी ने सबसे बड़ी तबाही मचाई है। दरअसल, तुर्की में हर महीने भूकंप आने की संभावना बनी रहती है। इसकी वजह तुर्की का टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन पर बसा होना है। जब भी इन प्लेटों में कोई हलचल होती है तो पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन जाता है।

एंटीक्लॉकवाइज घूम रहा है एनाटोलिटन टेक्टोनिक प्लेट

भूकंप आने की एक मुख्य वजह तुर्की का ज्यादा हिस्सा एनोटोलियन प्लेट पर होना है। एनोटोलियन का अर्थ है छोटा एशिया। इस प्लेट के पूर्व में ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट है। लेफ्ट की ओर ट्रांसफॉर्म फॉल्ट है, जो अरेबियन प्लेट के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में अफ्रीकन प्लेट है। जबकि, उत्तर दिशा की तरफ यूरेशियन प्लेट है, जो उत्तरी एनाटोलियन फॉल्ट जोन से जोड़ता है।

तुर्की के नीचे स्थित एनाटोलिटन टेक्टोनिक प्लेट घड़ी के विपरीत दिशा यानी एंटीक्लॉकवाइज घूम रही है। जिसे अरेबियन प्लेट धक्का दे रही है। अब घूमती हुई एनाटोलियन प्लेट को जब अरेबिन प्लेट धक्का देती है, तब यह यूरेशियन प्लेट से टकराती है तभी भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।

 

धंसता जा रहा है एनाटोलियन प्लेट

विशेषज्ञों के मुताबिक, एनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेट धरती के क्रस्ट का एक तैरता हुआ बड़ा भाग है। जो तीन प्लेटों के बीच समुद्र में तैर रहा है। विज्ञानिकों ने जब उत्तरी एनाटोलियन प्लेट की स्टडी की तो पती चला कि, वह एनाटोलिया यूरेशियन प्लेट से अलग हो चुकी है। जिसे अब अरेबियन प्लेट भरपूर दबा रहा है। वहीं इसे रोकने की भरपूर कोशिश यूरेशियन प्लेट कर रही है। जबकि अफ्रीकन प्लेट लगातार एनाटोलियन प्लेट के नीचे धंसती जा रही है। ये प्राकृतिक घटना साइप्रस के नीचे हो रही है।

ऐसा भूकंप साल 1939 के बाद महसूस किया गया

तुर्की में 7 रिक्टर से ऊपर करीब 8 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। जिसमें लाखों हजारों लोगों की मौतें हो चुकी हैं। आज भूकंप के जो झटके महसूस किए गए थे, वैसे ही झटके इससे पहले साल 1939 में ऐसे ही झटके महसूस किए गए थे। उस समय हजारों लोगों की मौतें हुई थीं। जिसमें करीब 32 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबरें आई थी। इसी तरह साल दर साल भूकंप के तेज झटके आते रहे हैं और हजारों लोगों की मौतें होती रही हैं।

हर महीने इतने भूकंप आने का आंकलन

तुर्की के लिए भूकंप हमेशा से एक बड़ा खतरा रहा है। जहां हर महीने लोगों में यह दहशत बनी हुआ रहती है कि कब कहां और कैसे भूकंप का सामना करना पड़ जाए। आइए जानते हैं कि हर महीने और एक साल के अदंर तुर्की वासियों को कितने भूकंप के झटके महसूस करने पड़ते हैं। 

जनवरी- पांच भूकंप

फरवरी- सात भूकंप

मार्च- छह भूकंप 

अप्रैल - पांच भूकंप 

मई - नौ भूकंप

जून - पांच भूकंप

जुलाई- आठ भूकंप

अगस्त- सात भूकंप

सितंबर- सात भूकंप

अक्टूबर- नौ भूकंप

नवंबर - छह भूकंप

दिसंबर - चार भूकंप

लाखों लागों ने गवांई है जान

आपको बता दें कि, तुर्की में यह प्राकृतिक आपदा पहली बार नहीं है। इससे पहले कई बार लोगों को इस आपादा से जुझना पड़ा है और लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। साल 1900 से पहले आई भूकंप ने तुर्की को अंदर से हिला डाला था। इस भूकंप के चपेट में लाखों लोग आए थे। जिसमें से 6 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इसी तरह साल 1900 से 1999 तक इस आपदा से करीब 70 हजार लोगों की मौतें हुई थी। जबकि 2000 से अब तक 18 हजार से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

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