चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण ने बढ़ाई अमेरिका की चिंता
दिल्ली चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण ने बढ़ाई अमेरिका की चिंता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राजनेताओं ने चेतावनी दी है कि चीन द्वारा गुप्त रूप से दुनिया भर में परमाणु-सक्षम मिसाइल उड़ाए जाने की खबरों के बाद वे एक नया शीत युद्ध हारने के लिए तैयार हैं। डेली मेल की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
लॉन्ग मार्च हाइपरसोनिक रॉकेट, जो ध्वनि की गति से पांच गुना गति से यात्रा कर सकता है, के बारे में कहा जा रहा है कि अगस्त में एक परीक्षण उड़ान के दौरान अपने लक्ष्य से 24 मील दूर जाकर गिरा था। बीजिंग ने यह दावा करते हुए विवाद को कम किया है कि उक्त प्रक्षेपण एक नए अंतरिक्ष यान का महज एक नियमित परीक्षण था।
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि चीन की स्पष्टीकरण के बावजूद अमेरिकी निरस्त्रीकरण राजदूत रॉबर्ट वुड ने सोमवार को कहा कि वे इसे लेकर बहुत चिंतित हैं। उन्होंने कहा, हम नहीं जानते कि हम उस प्रकार की तकनीक से कैसे बचाव कर सकते हैं।
कांग्रेसी माइक गैलाघेर ने अमेरिकी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, इस परीक्षण को कॉल टू एक्शन के रूप में लिया जाना चाहिए। अगर हम अपने वर्तमान पाठ्यक्रम पर बने रहते हैं.. हम नया शीत युद्ध हार जाएंगे।
उन्होंने कहा, इस परीक्षण को कॉल टू एक्शन के रूप में लिया जाना चाहिए। यदि हम अपने वर्तमान आत्मसंतुष्ट पाठ्यक्रम पर टिके रहते हैं - या एकीकृत निरोध जैसे दिवालिया होने की उम्मीदों पर भरोसा करते हैं - तो हम दशक के भीतर कम्युनिस्ट चीन के साथ नया शीत युद्ध हार जाएंगे।
उन्होंने कहा, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पास अब हमारी मिसाइल सुरक्षा को कमजोर करने और पारंपरिक और परमाणु हमलों दोनों से अमेरिकी मातृभूमि को खतरे में डालने की एक विश्वसनीय क्षमता है। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाला तथ्य यह है कि अमेरिकी तकनीक ने पीएलए के हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम में योगदान दिया है।
गैलाघेर ने कहा कि अमेरिकी सरकार लंबे समय से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य-नागरिक संलयन रणनीति के खिलाफ अधिकतम दबाव बनाने में विफल रही है। हमारी मातृभूमि अब उजागर हो गई है, आंशिक रूप से, सैन्य-नागरिक संलयन से प्राप्त उन्नत तकनीक द्वारा, हमें सैन्य-नागरिक संलयन से जुड़ी किसी भी चीज से आक्रामक रूप से अलग होने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा, हमें सैन्य-नागरिक संलयन से जुड़े क्षेत्रों को शामिल करने वाले संयुक्त उद्यम, निवेश और अनुसंधान सहयोग को समाप्त करना चाहिए। हमें वॉल स्ट्रीट पूंजी के चीनी तकनीक में प्रवाह को रोकने की भी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, अमेरिकी संस्थाओं के पास एक स्पष्ट विकल्प है : वे हमारे देश का पक्ष ले सकते हैं, या वे नरसंहार कम्युनिस्ट शासन का पक्ष ले सकते हैं, जो अब हमारे शहरों के लिए खतरा है। वे दोनों नहीं कर सकते। यह चुनने का समय है।
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, इस रहस्योद्घाटन ने कि चीन ने ऐसी मिसाइल का परीक्षण किया है - और यह कि यह परमाणु-सक्षम है - ने दुनिया भर में सदमे की लहरें पैदा कर दी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, चीन अकेला नहीं है, लेकिन उसने दिखाया है कि यह पश्चिम के संदेह से कहीं अधिक उन्नत है। अब वाशिंगटन और अन्य विश्व की राजधानियां बीजिंग के प्रभाव के प्रति जाग रही हैं, जो एक ऐसी मिसाइल है, जो ध्वनि की गति से पांच गुना गति से दुनिया को घेर सकती है - और अमेरिकी मिसाइल रोधी रक्षा प्रणालियों के रडार के नीचे जा सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, चीनी हाइपरसोनिक परीक्षण की खबर से पहले ही, पेंटागन के पूर्व मुख्य सॉफ्टवेयर अधिकारी निकोलस चैलन ने चेतावनी दी थी कि बीजिंग कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लनिर्ंग और साइबर क्षमताओं में अपनी प्रगति के कारण वैश्विक प्रभुत्व की ओर बढ़ रहा है और यह अंतर बढ़ रहा है।
वहीं दूसरी ओर चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि चीनी विशेषज्ञों ने कहा है कि पश्चिमी देश घबरा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने बहुत लंबे समय तक चीन की अंतरिक्ष क्षमता को कम करके आंका है। इसलिए जब चीन अपनी उन्नत अंतरिक्ष तकनीक दिखा रहा है - भले ही वह शांतिपूर्ण उपयोग के लिए होगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऐसे में कुछ पश्चिमी मीडिया इसे चीन के खतरे के सिद्धांत का प्रचार करने की कोशिश करेगा।
बता दें कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन ने इसी साल अगस्त में परमाणु क्षमता संपन्न हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था। यह मिसाइल अपने लक्ष्य से करीब 24 मील दूर जाकर गिरी थी। हालांकि चीन ने इस मिसाइल परीक्षण की बात को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि यह हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण नहीं बल्कि हाइपरसोनिक व्हीकल का परीक्षण था।
चीन के इस परीक्षण ने अमेरिका की चिंताएं बढ़ा दी हैं और खुफिया एजेंसिंया भी इसे लेकर चिंतिंत हैं। यह भी माना जा रहा है कि चीन अमेरिका से आगे बढ़ने की होड़ में न केवल अपना आर्थिक दबदबा कायम करना चाहता है, बल्कि चुराए गए तकनीकी कौशल के मामले में भी वह अपना दबादबा बनाए रखना चाहता है।
(आईएएनएस)