Brexit Succeed: EU से अलग हुआ ब्रिटेन, PM जॉनसन बोले- देश की नई शुरूआत
Brexit Succeed: EU से अलग हुआ ब्रिटेन, PM जॉनसन बोले- देश की नई शुरूआत
- ब्रिटेन और EU का 47 साल का रिश्ता खत्म
- साल 1973 में EU में शामिल हुआ था ब्रिटेन
डिजिटल डेस्क, लंदन। आखिरकार 4 साल की खींचतान के बाद ब्रिटेन (UK) ने यूरोपीयन यूनियन (EU) से अपना 47 साल का रिश्ता खत्म किया। ब्रेग्जिट समझौते को EU सांसदों की मंजूरी मिलने के बाद ब्रिटेन आधिकारिक तौर पर EU से शुक्रवार रात 11 बजे अलग हुआ। अब EU 27 देशों का समूह रह गया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि "यह नए बदलाव का क्षण है और देश का EU से अलग होना अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरूआत है।"
Tonight we are leaving the European Union. pic.twitter.com/zZBsrf4BLe
— Boris Johnson (@BorisJohnson) January 31, 2020
सबको साथ लेकर चलना मेरी जिम्मेदारी
पीएम जॉनसन ने कहा - "जितने भी लोगों ने 2016 से ब्रेग्जिट में सहयोग दिया, उनके लिए आज नया आगाज है। बहुत से ऐसे ऑर्गेनाइजेशन्स थे, जो समझते थें कि ये राजनीतिक विरोध कभी खत्म नहीं हो सकता और बहुत लोग वो भी हैं, जिन्हें EU से अलग होना गलत लग रहा है।" उन्होंने आगे कहा कि "मैं सभी की भावनाएं समझता हूं और ये मेरी जिम्मेदारी है कि मैं देश के नागरिकों को एक साथ लेकर चलूं।" उन्होंने आगे कहा कि "आइए अब हम एक साथ मिलकर उन सभी अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं जिससे ब्रिटेन की क्षमता मजबूत होगी।"
UK Prime Minister Boris Johnson: Tonight we"ve left the European Union (EU)-an extraordinary turning point in the life of this country. Let us come together now to make the most of all the opportunities Brexit will bring and let’s unleash the potential of the whole UK. (File Pic) pic.twitter.com/ZJE2UjR0HE
— ANI (@ANI) January 31, 2020
क्या है ब्रेग्जिट
दरअसल ब्रिटेन के नागरिकों पर ब्रिटेन से ज्यादा EU का नियंत्रण रहता था। इसके साथ ही EU कई मौकों पर ब्रिटेन पर बहुत सी शर्तें लगाता था। EU में सालाना अरपों पाउंड की फीस देने के बाद न ही संघ में ब्रिटेन की कोई बात सुनी जाती थी और न ही उसे कुछ खास फायदा मिल रहा था। ऐसे ही कारणों के चलते ब्रिटेन ने ब्रेग्जिट की मांग उठाई थी।
ब्रिटेन का EU से अलग होना ही ब्रेग्जिट कहा गया। इससे पहले देश के नागरिकों से 23 जून, 2016 को वोटिंग के जरिए पूछा गया कि देश को EU से अलग होना चाहिए या नहीं। इसके जवाब में 52 फीसदी जनता ने EU से अलग होना उचित बताया। बता दें कि ब्रिटेन EU में 1973 में शामिल हुआ था।
भारत पर असर
- भारत, ब्रिटेन में इनवेस्ट करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। ब्रिटेन में 800 से भी ज्यादा भारत की कंपनियां हैं, जो करीब 1.10 लाख नागरिकों को एम्प्लॉएमेंट देती हैं। ऐसे में यदि पाउंड (ब्रिटिश करेंसी) में गिरावट आती है, तो भारत को फायदा हो सकता है।
- ब्रिटेन के अलग होने के बाद यूरोप यदि नए नियम बनाता है, तो ब्रिटेन में भारत की कंपनियों को नए करार करने होंगे। इस कारण खर्च में बढ़ोतरी होगी बढ़ेगा और भारत को कई देशों के नियम - कायदों से जूझना पड़ सकता है।