पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय में बनेंगी महिला न्यायाधीश, जानें कौन है आयशा मलिक?
पाक ने दिखाई दरियादिली पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय में बनेंगी महिला न्यायाधीश, जानें कौन है आयशा मलिक?
- पाक में आयशा मलिक को महिला अधिकारों का पैरोकार माना जाता है
डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में आयशा मलिक पहली महिला न्यायाधीश बनेंगी। पाकिस्तान के न्यायिक इतिहास में ये पहली बार हो रहा है कि कोई महिला सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनने जा रही है। बता दें कि उच्चस्तरीय न्यायिक समिति ने लाहौर की न्यायाधीश आयशा मलिक की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।
आयशा अपनी मेहनत के बल पर बनेंगी सुप्रीम कोर्ट की जज
बता दें कि आयशा मलिक अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी के दम पर सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश बनने जा रही हैं। देश के न्यायिक आयोग ने उनके नाम को हरी झंडी दे दे दी है और बस संसदीय समिति से मंजूरी मिलने के बाद वह यह दर्जा हासिल कर लेंगी। यह बात सही है कि समिति से मंजूरी मिलने के बाद आयशा मलिक पाकिस्तान में एक ऐसा दर्जा हासिल कर लेंगी, जो वहां की महिलाओं के लिए किसी ख्वाब से कम नहीं है। पाकिस्तान में महिलाओं के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है आयशा।
जानें आयशा मलिक के बारें में
गौरतलब है कि आयशा का जन्म जून 1966 में हुआ था। उन्होंने कराची के ग्रामर स्कूल से शुरूआती पढ़ाई करने के बाद कराची स्कूल ऑफ कॉमर्स इकोनॉमिक्स से स्नातक की उपाधि ली थी। इसके बाद कानूनी शिक्षा की तरफ उनका मन लगा और लाहौर के कॉलेज ऑफ लॉ से डिग्री लेने के बाद अमेरिका में मेसाच्यूसेट्स के हॉवर्ड स्कूल ऑफ लॉ से एलएलएम (विधि परास्नातक) की पढ़ाई की। उन्हें 1998-1999 में "लंदन एच गैमोन फेलो" चुना गया।
आयशा ने अपना करियर यहां से शुरू किया था
आपको बता दें कि आयशा मलिक ने अपने करियर की शुरूआत कराची में फखरूद्दी जी इब्राहिम एंड कंपनी से शुरू की थी, साल 1997 से 2001 तक चार साल यहीं गुजारी थी। उन्होंने कई मशहूर कंपनियों में लगभग 10 साल तक सेवा दी और खूब नाम कमाया। साल 2012 में वह हाईकोर्ट में जज के पद पर नियुक्ति हुईं और कानून की दुनिया में काफी प्रसिद्धि हासिल की। अपने निष्पक्ष और बेबाक फैसलों के कारण अक्सर आयशा सुर्खियों में भी बनीं रहती है।
हाल ही में आयशा की नियुक्ति को लेकर कुछ वकीलों और न्यायाधीशों ने विरोध भी किया है। उन्होंने आयशा की वरिष्ठता और इस पद के लिए योग्यता पर सवाल खड़ा किया है। हालांकि "वीमन इन लॉ इनिशिएटिव-पाकिस्तान" ने इस विरोध के जवाब में इससे पहले के 41 मौकों का हवाला दिया है, जब वरिष्ठता को दरकिनार कर नियुक्ति की गई। पिछले बरस न्यायिक आयोग ने इस पद पर आयशा की नियुक्ति से इंकार कर दिया था।
आयशा महिला अधिकारों की पैरोकार मानी जाती हैं
आपको बता दें कि आयशा महिला अधिकारों को लेकर काफी ज्यादा सख्त है, महिलाओं के हितों में कड़े फैसले लेने में उनका नाम शुमार है। इसीलिए उन्हें महिला अधिकारों की पैरोकार भी कहा जाता है और उन्होंने इसी दिशा में प्रयास भी किए हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण उनका पिछले वर्ष का एक ऐतिहासिक फैसला है, जिसमें बलात्कार के मामलों में महिलाओं पर किए जाने वाले एक विवादित जांच को उन्होंने रद्द कर दिया, जो अक्सर आरोपियों को बचने में मददगार साबित होता था।
पाकिस्तानी लेखिका ने किया समर्थन
बता दें कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में आयशा की नियुक्ति मिलने पर पाक लेखिका बीना शाह ने उनकी समर्थन कर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान में महिलाओं की हालात दुनिया में किसी से छिपी नहीं हैं और महिला अधिकारों के पैरोकारों के संघर्ष का इतिहास रहा है।
उम्मीद है कि आयशा मलिक की नियुक्ति से महिला अधिकारों की बहाली की दिशा में भी एक नया इतिहास लिखा जाएगा। आयशा मलिक की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को लेकर पाक की महिलाओं का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। तथा महिलाओं को इस बात की खुशी है कि उनके अधिकारों की रक्षा में और मजबूती आएगी।