कश्मीर का मसला द्विपक्षीय, मध्यस्थता से अमेरिका का इनकार

कश्मीर का मसला द्विपक्षीय, मध्यस्थता से अमेरिका का इनकार

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-13 05:24 GMT
कश्मीर का मसला द्विपक्षीय, मध्यस्थता से अमेरिका का इनकार
हाईलाइट
  • भारतीय राजदूत हर्षवर्धन सिंगला ने की पुष्टि
  • कश्मीर का मसला द्विपक्षीय- अमेरिका
  • कश्मीर पर मध्यस्थता से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का इनकार

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। जम्मू-कश्मीर मसले पर मध्यस्थता को लेकर अमेरिका ने अपना रुख साफ कर दिया है। अमेरिका ने कहा है कि वह भारत-पाक के बीच चल रहे कश्मीर मसले पर मध्यस्थता नहीं करेगा। अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्षवर्धन सिंगला के हवाले से बात की पुष्टि की गई है। उन्होंने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर को द्विपक्षीय मसला बताते हुए मध्यस्थता वाली बात से साफ इनकार कर दिया है। 

भारतीय राजदूत हर्षवर्धन सिंगला के मुताबिक अमेरिका अपनी पुरानी नीति पर चलना चाहता है। अमेरिका चाहता है कि भारत और पाकिस्तान एक साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करें। सिंगला ने बताया कि ट्रंप स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर दोनों देश चाहते हैं कि अमेरिका मध्यस्थता करे तो ये संभव है, लेकिन किसी एक देश के चाहने से ऐसा हो पाना संभव नहीं है। ये मसला द्विपक्षीय है इसलिए अमेरिका इस मामले में किसी भी प्रकार की दखल नहीं देना चाहता है। भारत-पाक को इस मामले पर बातचीत कर कोई रास्ता निकलना चाहिए। 

बता दें कि जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दुनिया के सामने मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा को किसी देश में तवज्जो नहीं मिल रही है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन दौरे पर मदद मांगने गए थे लेकिन वहां भी पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी है।

रूस ने साफ शब्दों में कहा कि जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार ही लिया गया था। भारत को दुनिया के कई देशों से जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसला का समर्थन मिल चुका है। इस फैसले पर भारत का समर्थन रूस ने भी किया है।

पाकिस्तान ने इस विषय को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाने का फैसला किया है, लेकिन वर्तमान में यूएनएससी की अध्यक्षता संभाल रहे पोलैंड ने साफ कर दिया है कि दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच विवादित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही होना चाहिए। पोलैंड के इस दृष्टिकोण के बाद पाक को एक बार फिर झटका लगा है। 

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