अफगानी महिलाओं के लिए तालिबान का एक और तुगलकी फरमान, शिक्षा के बाद अब नौकरी पर भी रोक
चारदिवारी में सिमटा अफगानी महिलाओं का जीवन! अफगानी महिलाओं के लिए तालिबान का एक और तुगलकी फरमान, शिक्षा के बाद अब नौकरी पर भी रोक
- तालिबान के दोबारा सत्ता हासिल करते ही अफगानिस्तान में शुरू हुआ महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत की तरफ से महिलाओं की आजादी पर एक और कुठाराघात किया गया है। यहां महिलाओं की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब उनसे नौकरी करने का अधिकार भी छीन लिया गया है। दरअसल, तालिबान सरकार ने एक सख्त कदम उठाते हुए स्थानीय और देश से बाहर के एनजीओ को उनके संगठन में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को बाहर निकालने का आदेश जारी किया है।
सरकार की तरफ से यह आदेश देश के अर्थव्यवस्था मंत्री कारी दीन मोहम्मद हनीफ ने जारी किया है। उन्होंने एक पत्र के जरिए देश में चल रहे सभी एनजीओ को कहा कि, एनजीओ में काम कर रही महिलाओं को सरकार के आगामी आदेश तक आगे काम करने की परमिशन नहीं है। उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि कुछ एनजीओ अपनी महिला कर्मचारियों के लिए अनिवार्य इस्लामी हिजाब और ड्रेस कोड का पालन नहीं कर रहे थे। मंत्री ने सभी एनजीओ को धमकी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने सरकार के इस आदेश का पालन नहीं किया तो उनका ऑपरेटिंग लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर भी लगा चुका रोक
महिलाओं की नौकरी पर बैन लगाने से पहले तालिबान सरकार की तरफ से उनकी शिक्षा पर भी प्रतिबंध लग चुका है। कुछ दिन पहले ही सरकार ने एक सख्त आदेश देते हुए देश भर के विश्वविद्यालयों में महिलाओं को प्रतिबंधित कर दिया था। तालिबान के इस तुगलकी फरमान पर उसकी अंतराष्ट्रीय स्तर पर काफी किरकिरी हुई थी। संयुक्त राष्ट्र मिशन समेत दुनिया के कई देशों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने उसके इस कदम की कड़ी निंदा की थी।
इसके अलावा 15 अगस्त 2021 में दोबारा सत्ता पर काबिज होते ही तालिबान की तरफ से लड़कियों के स्कूल जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके साथ ही सरकार की तरफ से अन्य कई प्रतिबंध लगाए गए थे। मसलन, लड़कों के स्कूल में लड़कियां नहीं पढ़ेंगी, लड़कियां केवल हाई स्कूल तक ही शिक्षा ग्रहण करेंगी, उन्हें सिर्फ महिला या कोई बुजुर्ग शिक्षक ही पढाएंगे।