ईरानी महिलाओं से मिली अफगानी महिलाओं को हिम्मत, हिजाब के खिलाफ किया तालिबान के सामने किया विरोधप्रदर्शन, फायरिंग करने की आई नौबत
महिलाओं पर अत्याचार ईरानी महिलाओं से मिली अफगानी महिलाओं को हिम्मत, हिजाब के खिलाफ किया तालिबान के सामने किया विरोधप्रदर्शन, फायरिंग करने की आई नौबत
- ईरानी दूतावास के सामने जमकर हिजाब का विरोध प्रदर्शन
डिजिटल डेस्क, काबुल। ईरान में हिजाब का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। ईरानी महिलाएं लगातार हिजाब को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। वहां की सरकार को इस विरोध प्रदर्शन से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गुरूवार को ईरानी महिलाओं के सर्मथन में अफगानिस्तान में भी महिलाओं ने रैली निकाली। हालांकि, तालिबानी लड़ाकों ने इस विरोध प्रदर्शन को खत्म करने के लिए हवाई फायरिंग की।
समाचार एजेंसी के एएफपी अनुसार, ईरानी महिलाओं के सर्मथन में अफगानिस्तान के काबुल में 25 महिलाओं ने ईरानी दूतावास के सामने जमकर हिजाब पहनने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। महिला तथा प्रदर्शनकारियों को ईरानी दूतावास के सामने से हटाने के लिए तालिबानी लड़ाकों ने हवा में फायरिंग कर भीड़ को तितर- बितर किया। जिसके बाद अफरा-तफरी का माहौल बन गया। वैसे अफगानिस्तान में महिलाओं ने पहली बार ऐसा प्रदर्शन नहीं किया है। इससे पहले भी अपने अधिकारों को लेकर कई बार सड़कों पर उतर चुकी हैं। गौरतलब है कि तालिबानी सरकार सत्ता में वापसी के बाद से ही अफगान महिलाओं पर अत्याचार कर रही है। बताया जा रहा है कि तालिबानी क्रूरता की वजह से कई महिलाओं मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो चुकी हैं।
महिला प्रदर्शनकारियों ने लगाए नारे
काबुल में महिलाओं ने हिजाब के विरोध में बैनर लिए हुए नारे लगाए- "ईरान बढ़ गया है, अब हमारी बारी है!" और "काबुल से ईरान तक, तानाशाही को ना कहो!" प्रदर्शन से गुस्साए तालिबानी बलों ने प्रदर्शकारी महिलाओं से बैनरों को छीन लिया और प्रदर्शनकारियों के सामने ही बैनरों को फाड़ दिया। जिसके बाद तालिबानी लड़ाकों ने हवा में फायरिंग कर महिलाओं को वहां से खदेड़ा।
पिछले साल अगस्त माह में तालिबानी लड़ाकों ने जबरदस्ती अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा जमा लिया था। जिसके बाद तालिबानियों को अफगानी नागरिकों से विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। सत्ता में आने के बाद से तालिबानियों ने अफगानिस्तानी आम नागरिकों को खासकर के महिलाओं पर बेहद कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। जिसमें शरिया कानून भी शामिल है। अफगान महिलाओं के अधिकारों का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में भी उठ चुका है। वहां पर महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार पर यूएन भी इसकी निंदा कर चुका है।