इजरायल-हमास जंग: हमास से युद्ध के बीच नेतन्याहू को लगा दोहरा झटका, अमेरिका ने सैन्य मदद ली वापस, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किए न्यायिक कानून
- इजरायली पीएम के लिए खराब रही नए साल की शुरूआत
- लगे दो बड़े झटके
- अमेरिका ने वापस ली सैन्य मदद
- सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक कानून को रद्द किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायली पीएम नेतन्याहू के लिए नया साल बुरी खबर लेकर आया है। जहां पिछले 88 दिनों से हमास से जंग लड़ रहे नेतन्याहू को अमेरिका ने सैन्य मदद देने से इनकार कर दिया है वहीं दूसरी तरफ देश के सुप्रीम कोर्ट ने उनके विवादित न्यायिक कानूनों को रद्द करने का फैसला सुनाया है। ऐसे में अंतराष्ट्रीय मोर्च से लेकर अपने देश में भी इजरायली पीएम आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं।
अमेरिका ने हटाया सुरक्षा कवच
गाजा पट्टी पर इजरायली हमले के बाद से ही अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देशों ने उसका साथ दिया था। इन देशों की ओर से इजराइल को भरपूर सैन्य और आर्थिक सहायता दी गई थी। इसी क्रम में अमेरिका ने इजरायल को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए भूमध्यसागर में अपने सबसे विशाल युद्धपोत यूएसस गेराल्ड आर फोर्ड की तैनाती करवाई थी। ताकि वह अपने पड़ोसी देशों के हमलों से सुरक्षित रह सके।
क्या है अमेरिकी कवच
अमेरिकी नेवी के सिक्स्थ फ्लीट ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, जिस युद्धपोत को नेवी ने इजराइल-हमास युद्ध की शुरूआत में इजरायल की सहायता के लिए पूर्वी भूमध्य सागर में तैनात किया था। उसे वह वापस बुला रही है। बता दें कि दुनिया के सबसे बड़े इस युद्धपोत का वजन 100000 टन के करीब है। जिसमें F/A-18 सुपर हॉर्नेट जेट लड़ाकू विमानों की एक टुकड़ी भी तैनात की गई थी। साथ ही इसमें एंटी मिसाइल सिस्टम को भी तैनात किया गया था। यह युद्धपोत 1,100 फीट से लंबा, चौड़ाई में 255 फीट और ऊंचाई में 250 फीट से लंबा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 बिलियन डॉलर की भारी भरकम रकम में निर्मित इस युद्धपोत का डेक F-35 लड़ाकू जेट के साथ अन्य 90 विमानों का भार झेलने की क्षमता रखता है। यह युद्धपोत इतना विशाल है कि इसमें F-35s, F/A-18 सुपर हॉर्नेट, E-2D एटवांस्ड हॉकआईज, EA-18G ग्रोलर्स, SH-60/MH-60 सीहॉक हेलीकॉप्टर और अन्य हवाई हथियार के साथ-साथ 90 विमानों को बड़े आराम से लोड किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका
वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नेतन्याहू को अपने देश के सुप्रीम कोर्ट से भी तगड़ा झटका मिला है। दरअसल, कोर्ट की 15 जजों की बैंच ने भारी बहुमत के साथ उनकी सरकार के द्वारा लागू विवादित न्यायिक सुधारों को हटाने का फैसला सुनाया है। बता दें कि, पिछले साल इजराइल में इस कानून को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के 15 में से 8 जजों ने इस कानून के खिलाफ अपने फैसला सुनाया। जिसमें कहा गया कि, "इस कानून से लोकतांत्रिक राज्य के रूप में इजराइल राज्य की बुनियादी विशेषताओं को गंभीर और अभूतपूर्व नुकसान होगा। "
टाइम्स ऑफ इजराइल की खबर की अनुसार, देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब संवैधानिक बुनियादी कानूनों में से एक को हटाया गया है। माना जा रहा है इस ऐतिहासिक फैसले से देश में तनाव की स्थिति बन सकती है। क्योंकि गाजा में हमला बोल रहे प्रधानमंत्री नेतन्याहू अब चारों ओर से घिर चुके हैं।
विपक्ष के निशाने पर आए पीएम
यह फैसला ऐसे समय आया जब इजराइली प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सेना गाजा में हमास के साथ जंग लड़ रही है। ऐसे में सेना के कुछ सैनिकों को हटाने का निर्णय लेना पड़ा है। वहीं, शीर्ष न्यायालय के इस फैसले के बाद से इजराइली पीएम एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।
नेतन्याहू सरकार में फूट
सुप्रीम कोर्ट के फैसला का असर इजराइल की आपातकालीन सरकार पर भी दिखाई दिया है। माना जा रहा है कि इससे सरकार की एकजुटता पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हाल ही में जब पीएम नेतन्याहू इन कानूनों की वकालत कर रहे थे तो उसी समय उनकी सरकार में वित्त मंत्री बेजलेल और रक्षा मंत्री योव गैलेंट इसके विरोध में थे। ऐसे में कोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार पर दो धड़ों में बंटने का खतरा बढ़ गया है।