अमेरिका की टेंशन बढ़ी: हमास और इजराइल विवाद में दखल देना अमेरिका को पड़ा भारी, अब दोहरी चुनौती का सामना कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन!
हमास और इजराइल विवाद में दखल देना अमेरिका को पड़ा भारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजराइल और हमास के बीच जारी जंग में अमेरिका की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। या फिर यूं कहें कि अमेरिका ने हमास और इजराइल के मसले में अपनी मौजूदगी दर्ज कराके अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है ऐसा कहना गलत नहीं होगा। आज अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इजराइल के शहर तेल अवीव पहुंचे। लेकिन उससे पहले उन्हें बड़ा झटका लगा है। दरअसल, जो बाइडेन तेल अवीव से जॉर्डन के लिए जाने वाले थे। जहां पर वे जॉर्डन, मिस्र और फिलिस्तीन के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात करने वाले थे। लेकिन, बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान तेल अवीव पहुंचने से पहले ही इन तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इस समिट को रद्द कर दिया। पहले तो इन तीनों देशों ने इजराइल द्वारा किए जा रहे हमले का विरोध जताया और कहा कि ऐसी स्थिति में वार्ता करना असंभव है। बता दें कि, इस वार्ता के दौरान हमास और इजराइल के बीच जारी जंग को रोकने पर बातचीत हो सकती थी।
अमेरिका के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई
इधर, साऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को अपमानित कर चुके हैं। हाल ही में एंटनी ब्लिंकन ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात करने के बाद रियाद पहुंचे। जहां उन्हें क्राउन प्रिंस से मुलकात करने के लिए 15 घंटे तक इंताजार करना पड़ा। मीटिंग को शाम के समय फिक्स किया गया था। लेकिन प्रिंस सलमान ने अमेरिकी विदेश मंत्री से अगली सुबह में बात की।
8 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले पर अमेरिका ने इजराइल का समर्थन किया। साथ ही अमेरिका ने इजराइल के एक्शन को जायज भी ठहराया था। तब कई अरब देशों ने इजराइल के हमले का विरोध किया। लेकिन फिर गाजा पट्टी पर इजराइल का हमला जारी है। भीषण बमबारी के चलते यहां की स्थिति बद से बदतर हो गई है। ऐसे कई अरब देश इजराइल के खिलाफ होने के साथ-साथ अमेरिका से भी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। मंगलवार को गाजा पट्टी के अस्पताल में खतरनाक विस्फोट से हालात और ज्यादा खराब हो गए हैं। जहां एक तरफ इजराइल अपने द्वारा किए जा रहे हमले के लिए हमास को जिम्मेदार ठहराने में लगा हुआ है तो वहीं अरब देश इजराइल को हमले का जिम्मेदार ठहराने में लगे हुए हैं।
अमेरिका से सामने दोहरी चुनौती
इस पूरे युद्ध में इजराइल के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस खड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, हमास और इजराइल युद्ध को लेकर एशिया के देश अलग-अलग नजर आ रहे हैं। रूस और चीन ने खुलकर इजराइल का विरोध किया है। वहीं, भारत ने इस मसले पर संतुलन की रणनीति को अपनाया है। भारत ने हमास के हमले का विरोध करते हुए फिलिस्तीन के मसले में टू स्टेट सिद्धांत की बात की है।
ऐसे में अरब देश, चीन और रूस एक बड़ा तबका इजराइल के खिलाफ नजर आ रहा है। जिसके चलते अमेरिका को किसी भी समझौते की स्थिति में पहुंचना मुश्किल हो पा रहा है। इधर, अमेरिका का दुश्मन देश ईरान अरब देश लेबनान, सीरिया और मिस्र में तेजी से अपना दखल बढ़ा रहा है और अमेरिकी विदेश मंत्री इन देशों में दौरा करके समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं।