घुप्प अंधेरा, खून जमा देने वाली ठंड, जिस गहराई में टाइटन पनडुब्बी में हुआ विस्फोट, जानिए वहां कितना भयानक होता है समुद्र का माहौल

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-23 13:43 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने के लिए गई टाइटन पनडुब्बी रविवार को जबरदस्त विस्फोट का शिकार हो गई है। पनडुब्बी में सवार 5 अरबपतियों की इस हादसे में मौत हो गई है। हादसा अटलांटिक महासागर में हुआ है। अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने इस बात की पुष्टि की है। अब इस मामले की गंभीरता को समझने के लिए इंटरनेशनल एजेंसियां लगी हुई हैं।

कंपनी ओशनगेट एक्सपेडिशन्स के संचालन में पनडुब्बी समुद्र के नीचे गोता लगाकर कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के करीब टाइटैनिक का मलबा देखने गई थी, लेकिन लगभग डेढ़ घंटों के बाद उसका संपर्क टूट गया। संपर्क टूट जाने के बाद अमेरिका ने तलाशी अभियान तेज कर दिया। पनडुब्बी को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया। अमेरिका ने 10 जहाज और कुछ सबमरीन्स को सर्च ऑपरेशन में शामिल किया था। जानकारी के मुताबिक, पनडुब्बी से जब संपर्क टूटा तब वह अमेरिकी तट से 900 नॉटिकल माइल्स दूर केप कोड के पूर्व में थी।

पनडुब्बी की खोज में जुटे लोगों ने बताया कि समुद्र में फैले मलबे से ऐसा लगता है कि पानी के अंदर टाइटन पनडुब्बी भारी दबाव के चलते एक भयंकर विस्फोट का शिकार हो गई। उन्होंने बताया कि समुद्र तल का वातावरण बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। जिसकी कल्पना हम नहीं कर सकते हैं। हमने जब मलबा को देखा, उससे पता चलता है कि पनडुब्बी Catastrophic Implosion का शिकार हो गई है। उन्होंने बताया कि हम मलबों की तलाश आगे भी जारी रखेंगे।

जानें कितना खतरनाक था विस्फोट?

बता दें कि, Catastrophic implosion विस्फोट से बिल्कुल अलग होता है, इसमें वस्तु खुद में समाकर छोटे से छोटे टुकड़े में बंट जाती है। इसे हम इस प्रकार से समझ सकते हैं कि एक गुब्बारे में लगातार हवा भरी जा रही हो और अचानक वह फट जाए। ठीक ऐसा ही टाइटन पनडुब्बी के साथ हुआ है। सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह का ही एक वीडियो शेयर किए जा रहे हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि विस्फोट का मंजर कुछ ऐसा ही रहा होगा।

कितना चुनौतीपूर्ण रहा टाइटन पनडुब्बी के साथ

अब हम समझने की कोशिश करते हैं कि जब पनडुब्बी समुद्र में अंदर जाती है, तब उस वक्त क्या होता है और पनडुब्बी के अंदर बैठे लोगों को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

समुद्र इतना विशाल है कि वह अपने आप में एक दुनिया है। आज तक वैज्ञानिक समुद्र को 5 फीसदी ही समझ पाए हैं। टाइटैनिक का मलबा जहां डुबा है वह 12500 फीट की गहराई में है। यहां मनुष्य को बहुत सारे खतरों से सामना करना पड़ता है। खतरा इतना की मनुष्य को सोचने का वक्त भी नहीं मिलता है और वे हादसे का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में यह भी समझने की कोशिश करते है कि अटलांटिक महासागर जहां टाइटैनिक जहाज का मलबा बिखरा हुआ है, वहां तक जाने में एक पनडुब्बी को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

सूर्य का प्रकाश समुद्र में

समुद्र में सूर्य की प्रकाश 660 फीट गहराई तक ही पहुंच पाती है। इसके बाद मानो दुनिया से एक तरह का कनेक्शन खत्म हो जाता है। इसके बाद मनुष्य अपने हिसाब से समुद्र में जांच पड़ताल करता है। ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए मनुष्य आज तक 1,575 फीट गहराई तक अंडरवाटर रेस्क्यू कर पाया है। इसके बाद मनुष्य को पनडुब्बी का सहारा लेने पड़ता है।

समा सकते हैं बहुत से बुर्ज खलीफा

समुद्र में यह इतनी गहराई है कि इसमें दुबई में बनी बुर्ज खलीफा भी समा सकता है। समुद्र में 3,300 फीट की गहराई पर स्थिति ऐसी हो जाती है कि यहां आपकों अंधेरा का सामना करना पड़ेगा। यहां तक आते-आते स्थिति काफी खराब हो जाती है। समुद्र के अंदर 3,300 फीट की गहराई में जमा देने वाली ठंड होती है।

समुद्र में 4900 फीट की गहराई पर

समुद्र में आप एंटर करें और आपकों समुद्र जीवों से सामना न करना पड़े, ऐसा कभी नहीं हो सकता है। समुद्र के ऊपरी सतह में तो बहुत सारी मछली और जलीय जीव होती है। जब आप समुद्र के अंदर 4,900 फीट की गहराई पर जाते हैं तो आपकों यहां पर विशाल ऑक्टोपस का सामना करना पड़ेगा। यहां पर स्थिति बेहद खराब होती है। यह भी ध्यान देना होता है कि पनडुब्बी के आगे-पीछे कहीं कोई जलीय जीव तो नहीं घूम रही है। 

समुद्र में 7,000 फीट की गहराई पर

समुद्र में 7,000 फीट की गहराई में व्हेल का जोन शुरू होता है। व्हेल जिसे हम समुद्र के राजा के तौर पर भी जानते हैं। जानकारी के मुताबिक, समुद्र में 7,000 से 8,000 की गहराई में व्हेल रहती है।

10,000 फीट की गहराई में

समुद्र में 10,000 फीट, यह इतनी गहराई है जिसमें दुनिया की कई ऊंची ऊंची चोटियां पूरी की पूरी डूब सकती है। यहां पर आपको न तो सूर्य की प्रकाश देखने को मिलेगा और न ही कोई समुद्री जीव। केवल पनडुब्बी में आप तीन-चार लोग सवार रहेंगे। स्थिति और भवायह होगी। जिस पनडुब्बी से आप समुद्र की गहराई में जा रहे हैं, उस वक्त पनडुब्बी में पानी का दबाव बहुत ज्यादा हो चुका होगा।

12500 फीट गहराई पर टाईटैनिक का मलबा

अटलांटिक महासागर में 12,500 फीट की गहराई पर टाइटैनिक का मलबा बिखरा हुआ है। जिसे देखने लोग पनडुब्बी की मदद से जाते हैं। यहां पर ही टाइडन पनडुब्बी विस्फोट हुआ है। यह बेहद खतरनाक जगह मानी जाती है। इसे मिडनाइट जोन भी कहा जाता है। इसके पीछे की बड़ी वजह यहां घुप्प अंधेरा है। यहां पर कंपा देने वाली ठंड होती है। पानी के तेज बहाव के चलते यहां खतरनाक करंट भी बनता है। बता दें कि ऑशन गेट की टाइटन पनडुब्बी 13,123 फीट गहराई तक ले जाया जा सकता है। माना जा रहा है कि कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते यह हादसा हुआ है। 

Tags:    

Similar News