भारी विरोध के बाद वापसी: मालदीव से वापस लौटा चीन का जासूसी जहाज

  • 4500 टन वजनी उच्च प्रौद्योगिकी से लैस चीन का अनुसंधान जहाज
  • चीन का अनुसंधान जहाज मालदीव से हुआ रवाना : खबर
  • अनुसंधान के नाम पर मालदीव आया था चीनी जहाज

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-28 13:44 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माले में पिछले सप्ताह यहां एक बंदरगाह पर पहुंचा 4500 टन वजनी उच्च प्रौद्योगिकी से लैस चीन का अनुसंधान जहाज मालदीव की तट से रवाना हो गया है। स्थानीय मीडिया ने बुधवार को यह खबर दी। आधिकारिक रूप से जियांग यांग हांग थ्री नामक यह चीनी जहाज ने ‘‘कर्मियों को बदलने और आपूर्ति के लिए’ के लिए बंदरगाह पर लंगर डाला था।

समाचार एजेंसी से मिली जानकारी के मुताबिक मालदीव में कई दिनों तक रहने के बाद चीन का जासूसी जहाज अब वापसी के लिए रवाना हो गया है। चीन का यह जहाज अनुसंधान के नाम पर मालदीव आया था। मालदीव पहुंचते ही भारत ने इसका विरोध किया। 

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक 22 फरवरी से माले में लंगर डालने के बाद जियांग यांग हांग थ्री मालदीव विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की सीमा पर वापस लौट गया है। लेकिन माले बंदरगाह से रवाना हो जाने के बाद भी दो दिन पहले ट्रैकिंग साइटों पर इस जहाज का आखिरी सिग्नल हुलहुमाले के निकट नजर आया। हुलमुमाले माले के उत्तर पूर्व में 10 किलोमीटर से भी कम दूरी पर है। यह जहाज 23 फरवरी को थिलाफुशी पर ठहरा था, जो माले से पश्चिम में करीब साढ़े सात किलोमीटर दूर है।

23 जनवरी को चीन समर्थक मालदीव की मुइज्जू सरकार ने कहा था कि उसने अनुसंधान एवं सर्वेक्षण की सुविधाओं से लैस इस अनुसंधान जहाज को माले बंदरगाह पर ठहरने की परमिशन दी है। उस दौरान मुइज्जू सरकार ने किसी भी प्रकार के अनुसंधान करने की अनुमति नहीं दी थी। मालदीव का उस समय कहना था कि जहाज का इस्तेमाल कर्मियों की पाली बदलने के लिए किया जाएगा। लेकिन एक अमेरिकी थिंक टैंक ने चीनी जहाज पर जासूसी करने और अनुसंधान कर आंकड़े जुटाने का आरोप लगाया था। जिससे चीन तिलमिला गया। चीन ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उसके जहाज संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के तहत संचालित होते हैं।

करीब 100 मीटर लंबे इस जहाज को 2016 में चीन के सरकारी समुद्री प्रशासन के बेड़े में शामिल किया गया था। चीन में यह एकमात्र 4500 टन का वजनी जहाज है। 2019 से चीन अपने पायलट ओसियन लेबोरेटरी में ‘तट से दूर समुद्र में ’ एवं ‘गहरे सागर’ में सर्वेक्षण के लिए इस जहाज का इस्तेमाल कर रहा है।

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