द्विपक्षीय संबंध: भारत को नेपाल से दूर करने की चीन की चाल, शी जिनपिंग की नेपाल पीएम प्रचंड से हुई मुलाकात
- चीन की नई चाल
- नेपाल से नजदीकियां भारत से दूरी
- प्रचंड ने शी को बताया दूरदर्शी वैश्विक नेता
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड इन दिनों चीनी दौरे पर हैं। वो हांगझू एशियाई खेलों के लिए चीन पहुंचे हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री प्रचंड ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने विकासीय मुद्दों को लेकर बात की। इस दौरान चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि वो चीन और नेपाल को जोड़ेंगे और बुनियादी ढांचे के विकास सहित कनेक्टिविटी सुविधाओं को भी बेहतर बनाने में सहयोग करेंगे। जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों ने 'ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क' सहित अन्य प्रोजेक्ट्स में सफलता हासिल की है। जिससे दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी।
नेपाल के विदेश मामलों का संस्थान प्रज्ञा घिमिरे ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि नेपाल ने सात चीनी बंदरगाहों तक पहुंच बनाने के लिए परिवहन-पारगमन समझौते पर हस्ताक्षर किए। बैठक में नौ बीआरआई परियोजनाएं का भी सेलेक्शन किया गया। बैठक के दौरान शी ने कहा कि हमें एक-दूसरे की समस्याओं पर एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए। प्रचंड ने शी को दूरदर्शी वैश्विक नेता बताते हुए नेपालियों के लिए एक अच्छा दोस्त बताया।
आपको बता दें नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद पुष्प कमल दहल का ये पहला चीनी दौरा हैं। इससे पहले प्रचंड भारत और अमेरिका के दौरे पर आए थे। विदेशी मीडिया की खबरों के मुताबिक नेपाल और तिब्बत के बीच बीहड़ इलाके हैं। इसलिए दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए ट्रांस-हिमालयन कनेक्टिविटी परियोजनाओं के तहत सड़क और रेल नेटवर्क का विकास किया जाएगा।
चीन नेपाल को भारत से दूर करने की कोशिश करेगा। नेपाल का अधिकांश आयात भारत से होता है। नेपाल में अपना विस्तार करने के लिए चीन नेपाल की भारत से निर्भरता कम करना चाहता है। हालांकि, नेपाल में कई चीनी परियोजनाएं अटकी हुईं हैं, जिसमें कई बुनियादी ढांचों का विकास शामिल है।