'भारत मार्ट' बनाम 'ड्रैगन मार्ट': पश्चिमी देशों में बजेगा भारतीय कंपनियों का डंका, चीन क्यों घबराया?

  • दुबई में विकसित होगा 'भारत मार्ट'
  • दुबई यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास
  • देश के एमएसएमई सेक्टर के उत्पादों को मिलेंगे इंटरनेशनल खरीददार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-17 14:01 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिन पहले संयुक्त राज्य अमीरात (यूएई) के दो दिवसीय दौरे पर गए थे। जहां उन्होंने कई बड़े व्यापार संबंधी परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इस कड़ी में उन्होंने यूएई के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के साथ दुबई में 'भारत मार्ट' की आधारशिला रखी है। ऐसा माना जा रहा है कि 'भारत मार्ट प्रोजेक्ट' से भारतीय निर्यातकों को फायदा होगा। यह मुख्य तौर पर भारतीय एमएसमई क्षेत्र की कंपनियों की पहुंच अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों तक सुलभ कराएगा। यह मार्ट साल 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा। दुबई में भारत मार्ट विकसित करने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है, इससे देश को क्या लाभ मिल सकता है, चीन इसको लेकर क्यों चिंतित है? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब।

क्या है भारत मार्ट?

भारत मार्ट दुबई भारत सरकार की एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य यूएई में भारत के उत्पादों को बढ़ावा देना है। इस मार्ट का निर्माण दुबई के अली बंदरगाह के नजदीक होगा। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत मार्ट देश के माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज (एमएसएमई) सेक्टर के उत्पादों को खाड़ी, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरेशिया के इलाकों में अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों तक पहुंच बनाने का मंच देगा। इससे उनके निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना को पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। साल 2025 तक भारत मार्ट बनकर तैयार हो जाएगा।

क्या सुविधाएं होंगी?

भारत मार्ट करीब 1 लाख वर्ग मीटर से ज्यादा के क्षेत्र को कवर करेगा और एक बहुउद्देशीय सुविधा के रूप में काम करेगा। जिसमें खुदरा शोरूम, गोदाम, कार्यालय और अन्य सहायक सुविधाएं होंगी। इनका काम भारी मशीनरी से लेकर खराब वस्तुओं तक विभिन्न स्तरों के सामानों को समायोजित करने का होगा। इसके साथ ही यह मार्ट वेयरहाउसिंग की सुविधा देगा। इस मार्ट को अली प्री जोन (जाफजा) में बनाया जाएगा जिसका मैनेजमेंट डीपी वर्ल्ड करता है। इसके अलावा यहां सामान खरीदने आने वाले दुनिया भर के खरीदारों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म भी विकसित किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट भारत और यूएई दोनों देशों के लिहाज काफी अहम है। दोनों ही देशों ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीपीए) के तहत साल 2030 तक अपने गैर-पेट्रोलियम व्यापार को दोगुना कर 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है।

द्विपक्षीय व्यापार को मिलेगी बढ़त

भारत मार्ट में मिलने वाली वेयरहाउसिंग की सुविधा से लॉजिस्टिक क्षेत्र में मजबूती मिलेगी जिसका फायदा भारत-यूएई द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को और आगे बढ़ाने में होगा। वेयर हाउस के फैसिलिटी सेंटर में भारतीय एमएसएमई कंपनियों के रिटेल शोरूम, ऑफिस और गोदाम होंगे। इस जगह से भारत की एमएसएमई कंपनियों की अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों तक पहुंच आसान हो पाएगी।

पश्चिम तक पहुंचेंगी एमएसएमई कंपनियां

ऐसा माना जा रहा है कि भारत मार्ट भारतीय एमएसएमई कंपनियों के लिए वरदान साबित हो सकता है। जब यह मार्ट बनकर तैयार हो जाएगा तो उससे देश की एमएसएमई कंपनियां यूरोप, अमेरिका, पश्चिम एशिया जैसे तमाम पश्चिमी देशों में अपने प्रोडक्ट सप्लाई कर सकेंगी। भारतीय कंपनियों को सबसे बड़ा फायदा आयात में होगा। कंपनियों को निर्यात में लगने वाला खर्चा कम होगा।

चीन क्यों है चिंता में?

जब से पीएम मोदी ने दुबई में भारत मार्ट की नींव रखी है तब से चीन की चिंता बढ़ गई है। चीन की चिंता का सबसे प्रमुख कारण है भारत मार्ट का उसी जगह में निर्माण होना जहां चीन का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र 'ड्रैगन मार्ट' का स्थित है। ड्रैगन मार्ट 1 लाख 50 हजार वर्ग मीटर में बना हुआ है। जहां तकरीबन 4000 रिटेल दुकानें हैं। हाल ही इसके बगल में ड्रैगन मार्ट- 2 भी खोला जा चुका है। जहां रेस्टोरेंट, होटल और सिनेमा घरों की सुविधा उपल्बध कराई गई है। अब उसी शहर में भारत की एडवांस तकनीक पर बनने जा रहे भारत मार्ट का शिलान्यास हो गया है। जिसके कारण चीन की टेंशन बढ़ गई है। भारत की एमएसएमई कंपनियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को आसान बनाने के लिए यह मार्ट साल 2025 तक ऑपरेशन में भी आ जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत हो सकेगा मजबूत

भारत और यूएई ने साल 2030 तक गैर-पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात-निर्यात बढ़ाने का फैसला लिया है। इस कड़ी में भारत मार्ट दुबई के साथ-साथ अन्य पश्चमी देशों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। भारत मार्ट के आने से न केवल चीनी उत्पादों को चुनौती मिलेगी बल्कि मिडिल-ईस्ट, सेंट्रल एशिया, यूरोप और अन्य पश्चिमी देशों के बाजार पर भारतीय उत्पादों का प्रभाव भी देखने को मिलेगा।

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