भड़का जनआक्रोश: बलूचिस्तान में लोग हो रहे गायब, भड़की आवाम, सरकार के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन की हो रही तैयारी

  • बलूचिस्तान में बीते कई दिनों से लोग हो रहे गायब
  • इस मामले को लेकर भड़की आवाम
  • सरकार के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन की हो रही तैयारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-19 15:06 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान का सबसे अशांत इलाका बलूचिस्तान लोगों के गायब होने की वजह से बीते कई दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है। आए दिन बलूचिस्तान से लोगों के जबरन गायब होने की खबर आती रहती है। ऐसे में फिर एक बार वहां के 12 लोगों के गायब होने की खबर सामने आई है। इससे पहले जूलाई के महीने में भी 20 लोगों के गायब होने की खबर मिली थी। इसे लेकर बलूचिस्तान की जनता पाक सेना और खूफिया एजेंसी को जिम्मेदार मानती है। अब जाकर गायब हो रहे लोगों को लेकर वहां की जनता का गुस्सा फूटा है और वहां के लोग जनविद्रोह करने इरादा बना चुकी है।

यह बात तो पूरी दुनिया को मालूम है कि पाकिस्तानी सरकार से लेकर सेना तक बलूचिस्तान के नागरिकों के साथ पराया वयव्हार करती है। ऐसे में बीते कई दिनों से वहां के लोगों के गायब होने को लेकर जनआक्रोश बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल, हालिया रिपोर्ट के अनुसार बलूचिस्तान के डेरा बुग्ती इलाके से बीते दिनों 12 लोग गायब हो गए थे। वहां के लोगों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि इन लोगों के गायब होने के पीछे पाक सेना और खूफिया एजेंसी का हाथ है। इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है। बता दें, बीते जुलाई में करीब 18 लोग गायब हो गए थे जिसके बाद इनमें से 5 के शव बरामद हुए और 4 लोग घर वापस लौट गए थे। लेकिन अब भी 9 लोगों की कोई जानकारी नहीं मिली।

इसी बीच बलूच कार्यकर्ता महरंग बलूच ने इन घटनाओं को चिंताजनक बताते हुए वहां के लोगों को इस मामले पर आवाज उठाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा, "डेरा बुग्ती में 12 बलूच व्यक्तियों को बलात्कारी तरीके से गायब कर दिया गया है, जिनमें एक एसएचओ लेवल का अधिकारी भी शामिल है। उनका परिवार निराश है और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। यह चिंताजनक लहर सभी द्वारा विरोध किया जाना चाहिए।"

इसके अलावा इस विषय पर बलूच यकजेती कमेटी (बीवाईसी) ने भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से मदद मांगी है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा था, "गायब हुए व्यक्तियों में से एक एसएचओ है। डेरा बुग्ती से जबरन अगवा किए जाने की एक और लहर सामने आई है। हमें इस क्रूर प्रथा को समाप्त करने के लिए विरोध करना होगा।"

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