हुक्का बार में हिन्दू लड़कियों के साथ मुस्लिम लड़के होने का दावा है गलत
जानें वायरल तस्वीर का सच हुक्का बार में हिन्दू लड़कियों के साथ मुस्लिम लड़के होने का दावा है गलत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर आज- कल सांप्रदायिक संदेश तेजी से वायरल किए जा रहे हैं। इनमें दो समुदाय के बीच खाई बनाने का काम किया जा रहा है। वैसे तो ऐसे कई सारे पोस्ट आए दिन वायरल होते हैं, लेकिन हाल ही में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के हुक्काबार का एक पोस्ट वायरल हो रहा है।
इस वायरल तस्वीर के जरिए दावा किया जा रहा है कि, हुक्काबार में पकड़ाए जाने वाले 30 लोगों में से 15 लड़कियां हिन्दू हैं, जबकि सभी 15 लड़के मुस्लिम। वायरल वीडियो का लक्ष्य भारत की एकता और अखंडता को भंग करना प्रतीत होता है। क्या है इस वायरल वीडियो का सच, आइए जानते हैं...
क्या श्रीनगर में 31 साल बाद मनाया गया गणेश उत्सव? जानें क्या है सच्चाई?
क्या है वायरल पोस्ट में
फ़ेसबुक युजर अनामिका गुप्ता ने एक हफ्ते पहले एक तस्वीर पोस्ट की। तस्वीर के कैप्शन में लिखा- मध्यप्रदेश के हुक्का बार में हुई छापेमारी में 30 लोगों को पकड़ा गया, जिसमें से 15 लड़के और 15 लड़कियां थी। अनामिका गुप्ता ने अपनी पोस्ट में लिखा की सभी लड़कियां हिंदू थी और सभी लड़के मुस्लिम समुदाय से थे। पोस्ट में आगे, कि किसी को इस बारे में सोचना हो तो संतुलित दिमाग से सोचे, वरना जो चल रहा है वो चलता रहेगा।
क्या है सच्चाई ?
जब इस केस की जांच पड़ताल की गई तो मालूम हुआ, यह तस्वीर वर्तमान की नहीं है। मामला 2020 का है, जब कोरोनावायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन लगा हुआ था। इसी बीच भोपाल के शाहपुर क्षेत्र के ट्रायोलॉजी हुक्का लाउंज में धारा 144 का उल्लंघन करने के जुर्म में पुलिस ने 26 लड़के और 7 लड़कियों को गिरफ्तार किया था।
यहां नावेद खान नाम के एक व्यक्ति द्वारा दी गई पार्टी में पुलिस ने छापा मारा था। जिसमें 26 लड़कों और 7 लड़कियों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। पब के मैनेजर रवि राय और मालिक मनोज रामचंदानी को भी धारा 144 के उल्लंघन में गिरफ़्तार किया था। असल में 26 लड़को में से 19 मुस्लिम और सात हिन्दू थे। वहीं 7 लड़कियों में से 6 हिंदू और एक ईसाई थी।
तालिबान के मुख्य सचिव ने कहा, RSS और BJP सबसे ताकतवर! जानिए सच
निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर अगर देखा जाए तो अब यह स्पष्ट हो गया है कि, वर्ष 2020 में हुई इस छापेमार कार्रवाई में ना ही गिरफ्तारी संप्रदाय से कोई वास्ता रखती है और ना ही उस समय की खबरें। लेकिन उस समय की तस्वीर को हाल ही में सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रूप देकर वायरल किया जा रहा है।