छत्तीसगढ़ की मां चंडी देवी पर नहीं चढ़ाई गई 786 लिखी चादर, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट है फर्जी

फैक्ट चैक छत्तीसगढ़ की मां चंडी देवी पर नहीं चढ़ाई गई 786 लिखी चादर, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट है फर्जी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-09 13:07 GMT
छत्तीसगढ़ की मां चंडी देवी पर नहीं चढ़ाई गई 786 लिखी चादर, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट है फर्जी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मंदिर की फोटो खूब वायरल हो रही है। इस वायरल फोटो में मंदिर के अंदर 786 लिखा हुआ एक झंडा लटका दिखाई दे रहा है। इस फोटो को शेयर करते हुए यह दावा किया जा रहा है कि, वक्फ बोर्ड ने छत्तीसगढ़ की मां चंडी देवी के मंदिर पर अपना दावा किया है। 

फेसबुक यूजर ने शेयर किया फोटो

इस वायरल फोटो को "एक भारत श्रेष्ठ भारत नाम" के एक फेसबुक यूजर ने शेयर किया है। यूजर ने इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा कि, "मां चंडी देवी मंदिर, गुंडरदेही छत्तीसगढ़। वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि यह उनकी संपत्ति है।" यूजर के इस दावे को अन्य यूजर ने सच मान लिया और इस फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। लेकिन इस वायरल फोटो की जांच करने पर हमने पाया कि, यह दावा बिल्कुल गलत और बेबुनियाद है। इस मंदिर में सैकड़ों सालों से ही मां चंडी को चादर चढ़ाया जा रहा है और यह मंदिर हिंदू और मुस्लिम वर्ग के लोगों के लिए भाईचारे और एकता का प्रतीक है। 

कैसे पता चला सच?

हमने इस वायरल फोटो की जांच में सबसे पहले इस मंदिर के बार में पता किया। इस मंदिर के बारे में पता करने पर हमें नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर एक खबर मिली। इस खबर में लिखा था कि, "मंदिर के गर्भगृह में चंडी देवी की प्रतिमा है तो छत पर इसाल का प्रतीक 786 लिखा हुआ है। यहां हिन्दू और मुस्लिम शांति और एकता से साथ पूजा करते हैं। यहां हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग आते हैं। बताया जाता है कि ये मंदिर करीब 100 साल पुराना है और तभी से दोनों धर्म के लोगों के लिए आस्था का केन्द्र है।" साथ ही नवभारत की इस खबर में इस मंदिर पर लगे 786 वाले झंडे के बारे में भी बताया गया है। 

इसके साथ ही हमें जांच करने पर ना सिर्फ नवभारत टाइम्स बल्कि कई अन्य मीडिया वेबसाइट्स पर भी इस मंदिर के बारे में खबरें छपी मिली। इन सभी खबरों में यही बताया गया था कि, मां चंडी और उनका मंदिर एकता की एक बड़ी मिसाल है। यहां सैकड़ों वर्षों से हिन्दू और मुस्लिम वर्ग के लोग एक साथ पूजा-पाठ करते हैं। इस तरह हमें इस वायरल फोटो की सच्चाई पता चली। इन सभी वेबसाइडों पर लगी खबरों से यह साफ होता है कि फेसबुक यूजर द्वारा शेयर किया गया पोस्ट बेबुनियाद और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाला साबित हुआ।
 

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