भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 14 फरवरी को नहीं हुई थी फांसी की सजा, जानिए वीर शहीदों से जुड़े वायरल पोस्ट का सच

फैक्ट चेक भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 14 फरवरी को नहीं हुई थी फांसी की सजा, जानिए वीर शहीदों से जुड़े वायरल पोस्ट का सच

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-15 11:03 GMT
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 14 फरवरी को नहीं हुई थी फांसी की सजा, जानिए वीर शहीदों से जुड़े वायरल पोस्ट का सच

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हर साल की तरह इस साल भी 14 फरवरी वैलेंटाइन डे के मौके पर शहीद वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि 14 फरवरी के दिन ही इन तीनों वीरों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन वायरल पोस्ट की जांच करने पर हमने पाया कि यह दावा फर्जी है। इन तीनों को 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी और उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। 

वायरल हो रहा है फर्जी पोस्ट

वैलेंटाइन के मौके पर डीके गंगवार नाम के फेसबुक यूजर ने एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि, "आज के ही दिन माँ भारती के सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जी को अंग्रेजों की न्यायपालिका नें फांसी की सजा सुनाई थी! आज बाबर का जन्मदिन भी है और आज ही वेलनटाइन डे भी है। इतिहास से समझों सनातनियों, अभी भी वक्त है! ऊँ नमः शिवाय।" लेकिन इस पोस्ट की जांच करने पर हमने पाया कि यह दावा फर्जी है। 

कैसे पता चला सच?

इस वायरल पोस्ट की जांच के लिए हमने एजी नूरानी द्वारा भगत सिंह पर लिखी गई सबसे चर्चित किताब "द ट्रायल ऑफ भगत सिंह : पॉलिटिक्स ऑफ जस्टिस" की जांच की। इस किताब के 21 नंबर पेज पर बताया गया है कि, इन तीनों वीरों को 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। जबकि 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया गया था।

इसके अलावा एमएस गिल की बुक "ट्रायल्स दैट चेन्ज्ड हिस्ट्री: फ्रॉम सेक्रेट्स टू सद्दाम हुसैन" और लेखक जुगल किशोर गुप्ता द्वारा लिखी गई किताब "हिस्ट्री ऑफ़ सिरसा टाउन" में भी यही बताया गया है। साथ ही बीबीसी समेत कई बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इन फर्जी खबरों के बारे में बताया गया है। इन सभी किताबों और रिपोर्ट्स से यह साबित होता है कि सोशल मीडिया पर वायरल यह पोस्ट फर्जी है। 

 

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