विश्वविद्यालयों को यूजीसी का निर्देश : रैगिंग के खिलाफ उठाने होंगे सख्त कदम
- यूजीसी ने देशभर में विश्वविद्यालयों कॉलेजों व अन्य सभी उच्च शिक्षण संस्थाओं को दिया निर्देश
- सख्ती से एंटी रैगिंग गाइडलाइंस लागू करने को कहा गया है
- यूजीसी का कहना है कि रैगिंग रोकने के लिए उसने कड़े नियम बनाए हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूजीसी ने देशभर में विश्वविद्यालयों कॉलेजों व अन्य सभी उच्च शिक्षण संस्थाओं को रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है। देशभर के इन सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को सख्ती से एंटी रैगिंग गाइडलाइंस लागू करने को कहा गया है। यूजीसी का कहना है कि रैगिंग रोकने के लिए उसने कड़े नियम बनाए हैं। देशभर के जो भी उच्च शिक्षण संस्थान इन नियमों को लागू करने में विफल रहते हैं उनके खिलाफ यूजीसी कार्रवाई करेगा।
यूजीसी का कहना है कि यदि किसी उच्च शिक्षा संस्थान में रैगिंग और आत्महत्या जैसा गंभीर मामला सामने आता है तो फिर संबंधित विश्वविद्यालय को इसके लिए समन किया जाएगा। यूजीसी के मुताबिक, विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारियों को नेशनल एंटी रैगिंग मॉनिटरिंग कमिटी के सामने पेश होना होगा। यहां उनसे रैगिंग को लेकर प्रश्न किए जाएंगे, जिनका स्पष्ट उत्तर देना अनिवार्य होगा।
यूजीसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार, उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने परिसर में ये नियम लागू करना अनिवार्य है। यूजीसी के नियमों के मुताबिक, उच्च शिक्षण संस्थानों में एंटी बैंगिग कमिटी, एंटी रैगिंग स्क्वायड, एंटी रैगिंग सेल बनाना अनिवार्य है।
यूजीसी का कहना है कि उसने विश्वविद्यालयों व कॉलेज के स्तर पर रैगिंग रोकने के लिए जवाबदेही तय की है। विश्वविद्यालय को सतर्क करते हुए यूजीसी ने कहा है कि यदि उनके परिसर में रैगिंग की घटना होती है और जांच में सिद्ध होता है कि यूजीसी नियमों का उल्लंघन हुआ है तो ऐसे संस्थान के खिलाफ तुरंत व सख्त कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं, जो कॉलेज या विश्वविद्यालय रैगिंग के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे उन संस्थानों के खिलाफ यूजीसी कठोर कार्रवाई करेगा।
यूजीसी का स्पष्ट मानना है कि शिक्षण संस्थानों में रैगिंग का कोई स्थान नहीं है और यह एक अपराध है। विश्वविद्यालयों व कॉलेज को छात्रों और अभिभावकों से रैगिंग के खिलाफ ऑनलाइन अंडरटेकिंग लेनी होगी। सभी छात्रों को बताया जाएगा की किसी को भी शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करना रैगिंग की श्रेणी में आता है। यूजीसी ने कॉलेज से यह भी कहा है कि उनके परिसर में सीसीटीवी, एंटी-रौगंग वर्कशॉप्स और सेमिनार होने चाहिए। शिक्षण संस्थानों को हेल्पलाइन नंबर और मेल आईडी जारी करने को कहा गया है। इसके साथ ही रैगिंग रोकने के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति भी करनी होगी।
यूजीसी के मुताबिक, प्राप्त होने वाली प्रत्येक शिकायत की जांच जरूरी है। मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज से संबंधित से शिकायत पर रेगुलेटरी बॉडी और काउंसिल को कमिटी बनाकर जांच करनी होगी। हॉस्टल, कैंटीन, रेस्ट रूम, बस स्टैंड में औचक निरीक्षण जरूरी होगा। नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन 1800-180-5522 पर भी छात्र 24 घंटे अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
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