Pillar of education in Bihar: प्रो. के. सी. सिन्हा बिहार में शिक्षा के स्तंभ
नालंदा खुला विश्वविधालय के पूर्व कुलपति प्रो.के.सी.सिन्हा
दिल्ली, 15 नवंबर: प्रोफेसर के. सी. सिन्हा, एक ऐसे शिक्षाविद जो गणित की 70 पुस्तकों के लेखक है, इसके अलावा पटना
विश्वविद्यालय के गणित विभाग के पूर्व अध्यक्ष, विज्ञान संकाय के डीन, पटना साइंस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य, और नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति भी रहे हैं।
इसके अलावा, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति के रूप में भी सराहनीय कार्य किया है। प्रो. कृष्ण चंद्र सिन्हा को एक बिहार की शिक्षा जगत में एक जीवित किंवदंती भी माना जाता है।
प्रो.सिन्हा को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें "मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार" (बिहार राज्य का सर्वोच्च शिक्षा पुरस्कार), "आइकॉन ऑफ बिहार" पुरस्कार, "ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड" और केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा "पायनियर्स ऑफ इंडिया" अवार्ड (अगस्त 2024 में दिल्ली में) आदि शामिल हैं।
प्रो. सिन्हा लम्बे वक़्त से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को समाज के वंचित और शोषित वर्गों तक पहुँचाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे है।
वह अवसर ट्रस्ट जैसे अभियानों का हिस्सा भी रहे हैं, जो छात्रों को IIT-JEE की मुफ्त कोचिंग प्रदान करता हैं, और वर्तमान में शिक्षा विभाग (बिहार सरकार) और बिहार गणित सोसाइटी द्वारा IIT पटना में छात्रों को मुफ्त प्रशिक्षण देने की विशेष योजना पर भी काम कर रहा हैं।
विगत 40 वर्षों से, सिन्हा द्वारा लिखित पुस्तकों ने लाखों छात्रों की सहायता की है और अब तक अनेकों छात्रों ने इस IIT-JEE की इस अत्यंत कठिन परीक्षा को पास करने में सफल रहे हैं, और आज भी यह किताबें उतनी ही प्रभावी हैं।
इसके अलावा, सैकड़ों हजारों छात्र हर साल उनकी K-12 किताबों से लाभ उठा रहे हैं। बिहार की शिक्षा जगत में प्रो. सिन्हा को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के लिए भी जाना जाता है।
प्रो. कृष्ण चंद्र सिन्हा सिन्हा का जन्म 29 दिसंबर 1954 को बिहार के भोजपुर जिले में हुआ था। उनके स्कूल और कॉलेज के दिनों में संसाधनों की बेहद कमी रही लेकिन सिन्हा अपने दृढ़ निश्चय के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहे !
उनका मानना है कि जीवन में संघर्ष की भावना उन्हें अपने माता-पिता, स्व. रेवती रमण प्रसाद और स्व. लक्ष्मी देवी से विरासत में मिली।
बोर्ड परीक्षाओं में सबसे अधिक अंक हासिल करने और राष्ट्रीय मेरिट स्कॉलरशिप ने उन्हें पटना में प्रवेश लेने और पटना साइंस कॉलेज से अपनी इंटरमीडिएट शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दिया।
उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से बीएससी. और पटना विश्वविद्यालय से एमएससी. की डिग्री प्राप्त की और यहाँ गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे।
उन दिनों भारत में ऐसा गणित लेखक बनना आसान नहीं था जिसकी लिखी पुस्तकें बाजार में बिक सके !
उनकी पहली किताब (कोऑर्डिनेट ज्योमेट्री) के लिए उस समय कोई प्रकाशक इसे छापने के लिए भी तैयार नहीं थे। लेकिन गणित की जटिल समस्याओं को सरल तरीके से सुलझाने के तरीके ने छात्रों और शिक्षकों के बीच उन्हें पसंदीदा लेखक बना दिया।
यही कारण है कि कई प्रकाशक उनके अगले किताबों के अधिकार पाने के लिए कतार में रहते हैं।
प्रो. सिन्हा ने प्रमुख प्रकाशकों जैसे ईडुवाइज़र , भारती भवन, स्टूडेंट्स फ्रेंड्स, रस्तोगी पब्लिकेशन, जेपीएनपी और किरण प्रकाशन के साथ लम्बे वक़्त तक काम किया है।
वह मानते हैं कि आज के समय में यह महत्वपूर्ण है कि हम समय के साथ चलें, और अपने आप को तकनीक के साथ अपडेट रखें। उन्होंने ईडुवाइज़र के साथ मिलकर विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा को तकनीक के माध्यम से फैलाने की दिशा में सक्रिय योगदान दिया है।
उन्होंने बिहार में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सेवी संगठनों के लिए भी मुफ्त डिजिटल सामग्री बनाई है। सिन्हा का मिशन है कि वे विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में बुनियादी शिक्षा को सुलभ और किफायती बना सकें।
इस मिशन में उन्हें सबसे बड़ा सहयोग उनके पुत्रों - अनुराग चंद्र, अभिषेक चंद्र और अंकित चंद्र से मिला है, जो IIT कानपुर, IIT रुड़की/ISB हैदराबाद और मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक हैं।
डॉ.सिन्हा अपनी पत्नी इंदु सिन्हा को अपनी सफलता की नींव मानते हैं, क्योंकि उनके निरंतर सपोर्ट और सहयोग की बदौलत ही यह संभव हो सका !
प्रो. सिन्हा सोशल मीडिया पर भी बहुत लोकप्रिय और सक्रिय हैं।
उनके ऊपर बने एक यूट्यूब वीडियो 'मैथमेटिकल लव स्टोरी' जबरदस्त वायरल हुआ है, और यह वीडियो काफी दिलचस्प है। फेसबुक पर उनके 116,000 से अधिक प्रशंसक हैं, जो सीधे उनके संपर्क में हैं। अपार सफलता, ख्याति और स्टारडम हासिल कर चुके प्रो.सिन्हा बेहद साधारण जीवन जीते हैं और लाखों -करोड़ों लोगों के आदर्श हैं।
यह लेख दिनेश आनंद द्वारा लिखित है |