विशेष व्याख्यान: डिजिटल युग ने फिल्म की भाषा में क्रांतिकारी बदलाव लाया है : कुलगुरु प्रो. सुरेश

  • मीडिया प्रबंधन एवं सिनेमा अध्ययन विभाग में विशेष व्याख्यान
  • व्यक्तित्व: करियर वृद्धि की कुंजी का आयोजन
  • अंडरस्टैंडींग फिल्म लैंग्वेज इन डिजिटल एरा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-13 13:46 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय के मीडिया प्रबंधन विभाग एवं सिनेमा अध्ययन विभाग में गुरुवार को विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। मीडिया प्रबंधन विभाग ने एक दिवसीय व्यक्तित्व विकास उन्मुखीकरण कार्यक्रम "व्यक्तित्व: करियर वृद्धि की कुंजी" का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो.(डॉ.) के.जी. सुरेश के उद्घाटन भाषण से हुई, जहां उन्होंने व्यक्तित्व विकास के कुछ बुनियादी बिंदुओं संवाद कौशल, आत्म-आत्मविश्वास, विश्वसनीयता और ज्ञान पर प्रकाश डाला। प्रो. सुरेश ने बताया कि सफलता केवल व्यक्ति की बाहरी दिखावट से नहीं मिलती, बल्कि उनके बातचीत, चलने-फिरने, इशारों और व्यवहार से होती है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर सजल मुखर्जी, अप्पेजय इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, द्वारका, नई दिल्ली के निदेशक ने कहा कि बुनियादी विकास बहुत ही प्रारंभिक अवस्था यानि इंद्रियों से शुरू होना चाहिए। उन्होंने व्यक्तित्व विकास के सात चरणों के बारे में बताया, जो कि नाम से लेकर संस्कार तक होते हैं। छात्रों ने शरीर मुद्राओं, व्यवहार और इशारों के उदाहरणों से व्यक्तित्व विकास के बारे में बहुत कुछ सीखा। विभागाध्यक्ष प्रो डॉ. अविनाश वाजपेयी ने कहा कि व्यक्तिगत विकास प्राप्त करने के लिए सबसे पहला कदम ज्ञान प्राप्त करना होता है।

इधर दूसरी ओर सिनेमा अध्ययन विभाग द्वारा " अंडरस्टैंडींग फिल्म लैंग्वेज इन डिजिटल एरा" विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजित किया गया। "लता मंगेशकर सभागार में आयोजित इस सत्र को भारतीय जनसंचार संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रचना शर्मा ने संबोधित किया। व्याख्यान की अध्यक्षता कुलगुरु प्रो. सुरेश द्वारा की गई।

 

इस मौके पर सिनेमा अध्ययन विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रो डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो डॉ. के.जी. सुरेश और डॉ. रचना शर्मा का स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। कुलगुरु प्रो. सुरेश ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में सिनेमा की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैसे-जैसे सिनेमा की दुनिया विकसित होती जा रही है, डिजिटल युग ने फिल्म की भाषा में एक परिवर्तनकारी बदलाव की शुरुआत की है। फिल्म निर्माण में यह नया अध्याय नवीन तकनीकों, उन्नत प्रौद्योगिकी का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में सिनेमा की नयी तकनीकों और नए आयामों का अध्यन करने वाला पहला विश्वविद्यालय है। प्रो सुरेश ने कहानी लेखन के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा की कहानी मौजूदा समय को ध्यान में रख कर लिखी जानी चाहिए। कथानक हमारे आसपास बिखरे पड़े हैं, जरूरत है पैनी दृष्टि औरकहानी के प्रस्तुतीकरण को समझने की। एक कहानीकार में स्वभाव का खुलापन होना चाहिए, उसका बहिर्मुखी होना भी जरूरी है।

 

डॉ. रचना शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज फिल्मों में टेक्नोलॉजी का बहुत इस्तेमाल किया जा रहा है, डिजिटल सिनेमैटोग्राफी के आगमन के साथ, फिल्म निर्माताओं के पास अब अभूतपूर्व रचनात्मक नियंत्रण है। हाई डेफिनिशन कैमरे, डिजिटल एडिटिंग टूल और सीजी ने फिल्मों की कहानी कहने के तरीके को फिर से परिभाषित किया है। और इसने दर्शकों के फिल्म देखने के अनुभव को भी बदला है। इस विकास ने फिल्म निर्माण की तरीकों का भी विस्तार किया है, जिससे स्वतंत्र रचनाकारों और फिल्मकारों को छोटे बजट में उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री बनाने का अधिकार मिला है। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग ने फिल्म वितरण के लिए नए प्लेटफ़ॉर्म को जन्म दिया है, जिससे फिल्म निर्माताओं और दर्शकों के बीच पारंपरिक बाधाएँ टूट गई हैं।

स्ट्रीमिंग सेवाओं, सोशल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट प्लेटफ़ॉर्म ने फिल्मों के देखने और रिलीज़ के तरीके में क्रांति ला दी है। डॉ. रचना ने आगे कहा कि फिल्म की भाषा को समझने के लिए फिल्म में इस्तेमाल शॉट्स, कैमरा एंगल, कलर्स, नरेशन सभी का अध्यन किया जाना चाहिए। सत्र के अंत में सिनेमा अध्ययन विभाग के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गजेंद्र अवास्या न औपचारिक आभार व्यक्त किया।

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