पत्रकारिता विश्वविद्यालय: भारतीय ज्ञान परंपरा के उद्देश्य से स्थापित की गई टास्क फोर्स : कुलगुरु प्रो.सुरेश

  • एमसीयू में भारतीय ज्ञान परम्परा के अंतर्गत टास्क फोर्स का गठन
  • भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने के उद्देश्य से किया गया गठन
  • एनईपी के अंतर्गत जनरल इलेक्टिव के लिए मॉड्यूल तैयार करेगी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-20 14:30 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश के भोपाल में स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) के अंतर्गत टास्क फोर्स का गठन किया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के बाद विश्वविद्यालय में क्रियान्वयन हेतु गठित सात सदस्यीय टास्क फोर्स में डीन अकादमिक डॉ. पी. शशिकला, भरतमुनि शोध पीठ के समन्वयक गिरीश उपाध्याय, पुस्तकालय एवं सूचना विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. आरती सारंग, सहायक प्राध्यापक लोकेन्द्र सिंह, एडजंक्ट प्रोफेसर शिवकुमार विवेक, सहायक कुलसचिव अकादमिक गिरीश जोशी एवं तारा चित्तुर मेनन हैं । विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो.के.जी. सुरेश ने कहा कि यह टास्क फोर्स पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने के उद्देश्य से स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि टास्क फोर्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत जनरल इलेक्टिव के लिए मॉड्यूल तैयार करेगी एवं आवश्यकता अनुसार संदर्भ ग्रंथ और पाठ्यपुस्तकों को भी तैयार करेगी। उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पूर्व ही विश्वविद्यालय में देवर्षि नारद भारतीय ज्ञान खंड की स्थापना कुलगुरु प्रो. सुरेश द्वारा गई थी । इसमें भारतीय ज्ञान परम्परा से संबंधित पुस्तकें रखी गई हैं।

आपको बता दें कुछ दिन पहले पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के भाषा अध्ययन विभाग ने "राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भाषा" विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। नालंदा पुस्तकालय के सभा कक्ष में आयोजित इस विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रो. डॉ. के. जी. सुरेश ने की, वहीं मुख्य वक्ता के रुप में मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक अशोक कड़ेल ने अपने विचार व्यक्त किए । इस अवसर पर भारतीय भाषा विभाग के रोजगार परख पाठ्यक्रम हिंदी भाषा, प्रौद्योगिकी एवं अनुवाद (ऑनर्स/रिसर्च) के पोस्टर का विमोचन एवं नालंदा पुस्तकालय के अंदर "धर्मगंज सभागृह" का लोकार्पण प्रोफेसर सुरेश एवं  अशोक कड़ेल द्वारा किया गया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. सुरेश ने हिंदी भाषा, प्रौद्योगिकी एवं अनुवाद पाठ्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित है एवं कैरियर के दृष्टिकोण से बहुत ही अच्छा विषय है । प्रो. सुरेश ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रांतिकारी नीति बताते हुए कहा कि हमारे विश्वविद्यालय ने इसे तीन वर्ष पूर्व ही अपना लिया था और आगामी नवीन वर्ष इसका चौथा वर्ष होगा। भाषा में गुणों बखान करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय में भाषा प्रयोगशाला शुरु करने की बात कही। प्रोफेसर सुरेश ने कहा कि मातृभाषा का प्रभाव विद्यार्थी जीवन में दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों से आने वाले विद्यार्थियों की भाषा, बोलचाल,लिखावट में यह साफ दिखाई देता है, लेकिन भाषा प्रयोगशाला के माध्यम से इसे ठीक करने का प्रयास किया जाएगा । कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि विश्वविद्यालय में आगामी सत्रों से सिंधी एवं मराठी भाषा में पाठ्यक्रम शुरु करने की योजना है।

मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक एवं मुख्य वक्ता अशोक कड़ेल ने कहा कि देश के बहुत कम विश्वविद्यालय हैं, जिन्होंने शुरुआत में ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपना लिया था, उसमें माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय सबसे अग्रणी है। अशोक ने भाषा के माध्यम से भाव को व्यक्त करने की बात कहते हुए कहा कि भाषा जीवन में चेतना जगाती है। अशोक ने भाषा को संस्कृति का संवाहक बताया, साथ ही कहा कि भाषा अपनत्व पैदा करती है । मातृभाषा का उपार्जन परिवार में होने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि भावनाओं की बात भाषा से ही आती है। अशोक ने कहा कि भाषा तोड़ती नहीं, भाषा जोड़ती है। कड़ेल ने भाषा, कला, संस्कृति पर भी अपने विचार व्यक्त किए साथ ही हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा किए जा रहे कार्यों पर भी प्रकाश डाला । 

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