महाराष्ट्र: 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं दो चरणों में कराने की तैयारी, विद्यार्थियों पर कम होगा मानसिक दबाव, नई शिक्षा नीति के मुताबिक 2024-25 से हो सकती है शुरुआत
10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं दो चरणों में कराने की तैयारी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। दसवीं और बारहवीं बोर्ड की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों का तनाव कम करने के लिए परीक्षाएं दो चरणों में आयोजित करने की तैयारी की जा रही है। नई शिक्षा नीति के मुताबिक यह बदलाव किए जाएंगे। परीक्षा का एक सत्र दीपावली के पहले जबकि अंतिम सत्र मार्च में होगा। जिन विषयों में विद्यार्थियों की तैयारी पूरी हो चुकी है उनकी परीक्षा पहले दे सकेंगे और विद्यार्थी चाहें तो वे पहले दी गई परीक्षा में मिले नंबर को ही मार्कशीट में रख सकेंगे।
फिलहाल केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय बोर्ड परीक्षा और पाठ्यक्रम जैसे विषयों पर अभिभावकों, शिक्षकों और आम लोगों की राय ले रहा है। लोगों से पूछा गया है कि क्या बोर्ड की परीक्षा के पैटर्न में बदलाव किया जाना चाहिए या वे वर्तमान व्यवस्था से खुश हैं। इसे शैक्षणिक सत्र 2024-25 या 2025-26 से नया पैटर्न लागू किया जा सकता है।
प्रस्ताव से खुशी
नए प्रस्ताव से अभिभावक, शिक्षक और विद्यार्थी सभी खुश हैं। दक्षिण मुंबई स्थित गोपी बिर्ला मेमोरियल स्कूल की प्रिंसिपल मधु वडके ने कहा कि यह अच्छा कदम होगा, विद्यार्थियों को दो हिस्सों में पढ़ाई का मौका मिलेगा तो उनका भार भी कम हो जाएगा। 12वीं कक्षा में पढ़ रहे ईशान पांडे ने कहा कि यह अच्छा होगा। फिलहाल मैं पूरे साल पढ़ाई कर रहा हूं और परीक्षाएं एक साथ मार्च महीने में देनी होगी। अगर दो चरणों में परीक्षा होती तो मुझे सिलेबस दो हिस्सों में बांटकर बेहतर तरीके से तैयारी का मौका मिलता। अभिभावक अनीता दुबे ने भी इस कदम को सही बताया।
उन्होंने कहा कि फिलहाल दसवीं कक्षा में पढ़ रहा मेरा बेटा इस बात को लेकर तनाव में रहता है कि एक साथ पूरे सिलेबस की तैयारी कैसे करूंगा। यह अच्छी बात है कि भविष्य में बच्चों के लिए पैटर्न बदलेगा और उन्हें दो हिस्सों में परीक्षा की तैयारी का मौका मिलेगा। पैरेंट्स टीचर्स एसोसिएशन से जुड़ी अरुंधती चव्हाण ने कहा कि दो हिस्सों में परीक्षा से विद्यार्थियों का तनाव तो कम होगा ही साथ ही करियर के लिहाज से विद्यार्थियों को कुछ खास विषयों में अलग से तैयारी करने का मौका भी मिलेगा। बस एक ही डर है कि पहली परीक्षा में अच्छे अंक लाने के बाद विद्यार्थी दूसरी परीक्षा में ढिलाई न बरतने लगें।