ज्ञान आधारित आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए हमें शिक्षा परिदृश्य में बदलाव लाना चाहिए
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ज्ञान आधारित आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए हमें शिक्षा परिदृश्य में बदलाव लाना चाहिए
- प्रधान ने आगे कहा कि इग्नू को ज्ञान के पुनर्जागरण का नेतृत्व करना है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को दुनिया का ज्ञान केंद्र बनाने का आह्वान किया है। प्रधान के मुताबिक, 21वीं शताब्दी ज्ञान की सदी है, अगर हम भारत को ज्ञान आधारित आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करना चाहते हैं तो हमें अपने शिक्षा परिदृश्य में एक आदर्श बदलाव सुनिश्चित करना चाहिए। शिक्षा मंत्री का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 हमारी शिक्षा और कौशल के परि²श्य को रूपांतरित करने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है।
प्रधान ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को दुनिया का ज्ञान केंद्र बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने मंगलवार को इग्नू के 35वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। प्रधान ने अपने संबोधन में वंचितों तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने का आह्वान किया।
प्रधान ने कहा कि इग्नू दीक्षांत समारोह बड़ी आशा और प्रोत्साहन देने वाला है और विश्वविद्यालय ने नवीन शिक्षण के अवसरों को प्रतिबिंबित किया है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले सबसे गरीब व्यक्ति तक शिक्षा पहुंचाने के लिए एक आधुनिक शिक्षा संस्थान के रूप में उभरा है।
प्रधान ने कहा, प्रौद्योगिकी समानता लाने वाला एक नया कारक है। हमें नवाचार के माध्यम से अपनी जनसंख्या, विशेषकर जो सबसे निचले स्तर पर हैं, उनका सशक्तिकरण सुनिश्चित करना चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षा की पहुंच वंचितों तक भी हो। उन्होंने आगे बताया कि डिजिटल विश्वविद्यालय और अन्य ई-शिक्षण पहल इस दिशा में उठाए गए कदम हैं।
प्रधान ने कहा, हमें अपनी सभ्यतागत संपदा का उपयोग करना होगा और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के अनुरूप हमारी शिक्षा प्रणाली को अधिक समग्र, सहानुभूतिपूर्ण और वैश्विक कल्याण के लिए बनाने को लेकर हमारी भारतीय ज्ञान प्रणाली में अपार क्षमता भी है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी, नवाचार, इंटरनेट और डिजिटल का लाभ उठाते हुए इग्नू को शिक्षा के दायरे को और अधिक विस्तारित करने, ई-सामग्री (कंटेंट) संरचना को मजबूत करने व विश्व में एक मानक ज्ञान केंद्र के रूप में सामने आना का प्रयास करना चाहिए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री के मुताबिक, हमें अपनी सभ्यतागत संपदा का उपयोग करना होगा और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के अनुरूप हमारी शिक्षा प्रणाली को अधिक समग्र, सहानुभूतिपूर्ण और वैश्विक कल्याण के लिए बनाने को लेकर हमारी भारतीय ज्ञान प्रणाली में अपार क्षमता भी है।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी, नवाचार, इंटरनेट और डिजिटल का लाभ उठाते हुए इग्नू को शिक्षा के दायरे को और अधिक विस्तारित करने, ई-कंटेंट संरचना को मजबूत करने व विश्व में एक मानक ज्ञान केंद्र के रूप में सामने आने का प्रयास करना चाहिए। प्रधान ने आगे कहा कि इग्नू को ज्ञान के पुनर्जागरण का नेतृत्व करना है।
(आईएएनएस)