पटना के गंगा तट पर हो रही प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी, रविवार को सैकड़ों छात्र देते हैं टेस्ट
प्रतियोगी छात्रों का जमावड़ा पटना के गंगा तट पर हो रही प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी, रविवार को सैकड़ों छात्र देते हैं टेस्ट
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में आपने रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म और किसी मंदिर परिसर में प्रतियोगिता परीक्षा देने वाले छात्रों की कोचिंग चलते देखा और सुना होगा, लेकिन राज्य की राजधानी पटना में प्रतियोगिता परीक्षा खास कर रेलवे भर्ती बोर्ड की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों का नया ठिकाना गंगा तट बन गया है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों छात्र पहुंचते हैं और साथ में पढ़ाई करते हैं। पटना के काली घाट पर सीढ़ी पर बैठ कर तैयारी कर रहे इन छात्रों का शनिवार और रविवार को कोचिंग दे रहे एस के झा टेस्ट भी लेते हैं। गंगा के घाट की सीढ़ियों पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के छात्र मिल जाएंगें, जो यहां आकर पढ़ाई करते हैं। झा बताते हैं रेलवे की आरआरबी-एनटीपीसी रेलवे परीक्षा के लिए कल (रविवार) को आयोजित मॉक टेस्ट में करीब सात हजार छात्रों ने हिस्सा लिया है।
यह कोचिंग पूरी तरह मैकेनिकल इंजीनियर एस के झा की योजना है, जो वर्ष 2014 से छात्रों को रेलवे और एसएसबी की प्रतियोगिता परीक्षा की कोचिंग दे रहे हैं। झा कहते हैं कि टेस्ट के कारण छात्रों को उनकी योग्यता देखने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि यह बेरोजगारी के खिलाफ एक तरह अभियान है। शनिवार और रविवार को सुबह 6 बजे हम टेस्ट करवाते हैं। छह से सात हजार छात्र आते हैं। यह कार्य पिछले दो महीने से चल रहा है, इसके लिए कोई फीस नहीं ली जाती है। उन्होंने कहा कि 25 लोगों की एक टीम पूरे सप्ताह छात्रों के लिए टेस्ट पेपर बनाने का काम करती है।
झा आगे बताते हैं कि इनमें से कई छात्र गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके अभिभावक दिहाड़ी मजदूर, किसान, रिक्शा चालक या ठेला लगाने वाले हैं। उन्होंने बताया कि उनकी कोचिंग में 1000 से 1200 छात्र पढ़ते हैं। उनके केंद्र में लगभग 2,000 छात्र नामांकित हैं और उनके यूट्यूब चैनल के लगभग 6.5 लाख सक्रिय सब्सक्राइबर हैं। वह अपने चैनल पर एक विषय पढ़ाने के लिए 99 रुपये लेते हैं। झा यहां आने वाले छात्रों की पृष्ठभूिम नहीं पूछी जाती है, और वे केवल पढाई करते हैं। छात्र भी झा सर की इस योजना की तारीफ करते हैं।
पूर्णिया के छात्र केशव कहते हैं कि पटना में कोई भी कोचिंग सेंटर मुफ्त में शिक्षा नहीं देता। यहां रहकर कोचिंग के लिए पैसा देना हम जैसे किसान पुत्रों के लिए संभव नहीं। एक अन्य छात्र बताता है कि यहां आने से ग्रुप डिस्क्शन से काफी लाभ हो रहा है तथा इसके बाद टेस्ट में क्षमता का भी आकलन हो जा रहा है। बहरहाल, गंगा तट के इस कोचिंग की तस्वीर अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसकी लोग तारीफ भी कर रहे हैं।
(आईएएनएस)