डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक सुधारात्मक एवं क्रांतिकारी नीति एनईपी द्वारा लाए गए परिवर्तन और आगे की राह का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञों ने अपनी विचार एवं राय व्यक्त की है। इंडियन स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी के सह-संस्थापक और सीओओ कुणाल वासुदेव ने साझा किया कि कैसे 2020 में शुरू की गई इस सुधारात्मक और क्रांतिकारी नीति ने भारतीय शिक्षा प्रणाली का चेहरा बदल दिया। उन्होंने कहा कि शैक्षिक संस्थानों को अपने पाठ्यक्रम में सुधार करने और बाजार की गतिशीलता के साथ बने रहते हुए अपनी शैक्षणिक प्रथाओं को संशोधित करने के उद्देश्य से दस्तावेज को अब तक सफल माना जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा, नीति के प्रमुख सुधारों में से एक संस्थानों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना है। यह छात्रों को अपनी शिक्षा की योजना बनाने के लिए लचीलापन देता है, जिससे उन्हें वैश्विक प्रदर्शन और पहले से कहीं अधिक विकल्प मिलते हैं। एनईपी छात्रों को समग्र रूप से आगे बढ़ाने पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य सीखने के अनुभव और शिक्षा को अधिक कौशल-आधारित और अंतर्राष्ट्रीय बनाना है, जो अंतत: एक कुशल कार्यबल (वर्कफोर्स) की ओर ले जाएगा।
एनईपी की सफलता इसके तेजी से निष्पादन में निहित है। दुनिया भर में उद्योग तेजी से विकसित हो रहे हैं, इसलिए परिवर्तन की गति भी उतनी ही तेज होनी चाहिए। एक ओर जहां वृद्धिशील परिवर्तन हो रहे हैं, हमें वास्तव में नीति के तेजी से निष्पादन की आवश्यकता है, ताकि बदलती दुनिया के साथ ही नीति के साथ तालमेल बनाए रखा जा सके।
स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, आईआईएलएम यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम के निदेशक प्रोफेसर अरविंद चतुर्वेदी ने एक ओर कदम आगे बढ़ाते हुए बताया कि कैसे नई नीति देश को वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में उभरने में मदद कर रही है। पांच प्रमुख शिक्षा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, जिसमें सामथ्र्य, पहुंच, गुणवत्ता, इक्विटी और जवाबदेही शामिल हैं, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे हमने निचले स्तर के मुद्दों से निपटना तो शुरू कर दिया है मगर अभी भी हम कठिन नीतिगत मुद्दों के लिए अपनाई जाने वाली चीजों के साथ संघर्ष कर रहे हैं।
प्रो. चतुर्वेदी ने कहा, जब एनईपी 2020 शुरू की गई थी, तो यह परिकल्पना की गई थी कि कार्यान्वयन में काफी समय लगेगा और शिक्षा प्रणाली के विभिन्न हिस्से इसे समय के साथ अपनाएंगे। पिछली ऐसी नीति को भारत सरकार द्वारा अपनाए जाने के 34 साल बाद नीति को सुधार पैकेज के रूप में पेश किया गया है। इस प्रकार जब हम अब तक के सफर (पिछले 2 वर्षों में) को देखते हैं, तो हमें संतुष्ट होना चाहिए कि हमने विभिन्न पहलुओं को सही ढंग से लागू करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही हमें निराश नहीं होना चाहिए कि कई पहलुओं को अब तक छुआ नहीं गया है। यह उपलब्धियों का एक मिश्रण रहा है। उन्होंने एनईपी के कई पहलुओं को मान्यता देते हुए कहा, यह सराहना की जाती है कि यूजीसी ने हाल ही में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। शानदार अकादमिक रिकॉर्ड वाले स्नातकों को सीधे पीएचडी के लिए पंजीकरण करने की अनुमति है।
इसके साथ ही उद्योग के गैर-पीएचडी विशेषज्ञों को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों द्वारा भर्ती करने की अनुमति दी गई है। इसे एक सफलता के रूप में भी गिना जा सकता है कि कई विश्वविद्यालयों ने इंडोलॉजी, योग, लिबरल आर्ट्स, संगीत और संस्कृति सहित कई बहु-अनुशासनात्मक कार्यक्रम शुरू किए हैं। उदाहरण के लिए आईआईआईटी लखनऊ ने ऐसे कई तकनीक-आधारित कार्यक्रम पेश किए हैं। कई राज्यों में सफल प्रयासों से स्कूलों में उच्च जीईआर हुआ है, वही सफलता एचईआई में नहीं देखी गई है। लेकिन रुझान उत्साहजनक हैं। हालांकि, उन्होंने नई शिक्षा नीति के कुछ पहलुओं के बारे में झिझक महसूस की। अपनी आशंकाओं को साझा करते हुए उन्होंने कहा, एनईपी ने एक भाषा नीति के तहत सिफारिश की है कि उच्च शिक्षा संस्थानों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, नियामक निकायों की कठोरता और सार्वजनिक संस्थानों में धीमी निर्णय प्रक्रिया को सही बनाए रखने के लिए नए युग के पाठ्यक्रम को अपनाने में लचीलापन नहीं आया है, जिसमें समय लग सकता है। शिक्षा पर जिला सूचना प्रणाली (डीआईएसई) डेटा से पता चलता है कि पब्लिक स्कूलों की संख्या में तो वृद्धि हुई है, लेकिन कुल नामांकन में गिरावट आई है, जबकि निजी स्कूलों के लिए यह बढ़ रहा है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि एनईपी 2020 के बावजूद, विभाजन, असमानता और अंतर जारी है। यह भी एक गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने प्रशंसा की कि एनईपी ने प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित किया है महामारी से उत्पन्न होने वाली गड़बड़ियों के बावजूद सीखने में निरंतरता बनी हुई है। इस संबंध में, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि एनईपी ने तकनीक-आधारित एडटेक सेवा प्रदाताओं की भूमिका को कैसे बढ़ाया। उन्होंने कहा पिछले दो वर्षों में तेजी से बढ़ती मांग के कारण ऐसी कंपनियों की अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।
एनईपी सिफारिशों के कार्यान्वयन में एडटेक की बढ़ती भूमिका के बारे में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए, यूफियस लनिर्ंग के सह-संस्थापक अमित कपूर ने कहा, परिवर्तनकारी शिक्षा नीति - एनईपी 2020 - ने शिक्षक और शिक्षार्थी को केंद्र में रखा है। यह नीति शिक्षकों का ध्यान गैर-शैक्षणिक कार्यों से हटाकर शिक्षार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर जोर देती है। नीति डिजिटलीकरण और स्वचालन को सक्षम बनाती है, इसलिए एडटेक फर्मों के लिए व्यापक गुंजाइश है।
स्कूल अब एक सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने के लिए एडटेक फर्मों के साथ काम कर सकते हैं, जो 21वीं सदी की शैक्षिक सामग्री, सीखने के मंच के साथ-साथ एक गतिशील स्कूल प्रबंधन प्रणाली को एकीकृत करता है। नीति डिजिटल लाइब्रेरी, ऑनलाइन होमवर्क, आकलन और वर्चुअल हॉबी, शिक्षकों को सशक्त बनाने जैसी चीजों के लिए मार्ग प्रशस्त करती है।
इसी तरह, यह छात्रों को कक्षा और घर दोनों में उनके प्रदर्शन का आकलन करने और गुणवत्ता एवं सामग्री (क्वालिटी एंड कंटेट) तक पहुंच स्थापित करने के लिए डिजिटल साधनों का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। डिजिटलीकरण की मदद से, माता-पिता अपने बच्चे के विकास की नियमित प्रगति देख सकते हैं और उसमें सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं। प्रधानाध्यापक भी ऐसे समाधानों से लाभान्वित हो सकते हैं, स्कूल के प्रशासन पर नियंत्रण रख सकते हैं और समय पर शुल्क संग्रह (फीस क्लेक्शन) सुनिश्चित कर सकते हैं। साथ ही, ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर्स के बीच निरंतर संचार अपडेट की अनुमति देता है, जिससे सभी हितधारकों - प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, माता-पिता और छात्रों को समान रूप से लाभ होता है।
एडटेक के अलावा, एनईपी 2030 के लिए संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए देश की सहायता के लिए भी सामने आई है। इसकी प्रगति और आगे के मार्ग की समीक्षा करते हुए, फिक्की एराइज एंड जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, एक प्रगतिशील शिक्षा नीति है, जिसमें भारत जैसे देश में एक बड़ी आबादी को प्रभावित करने की क्षमता है। गुणवत्ता, संस्थागत स्वायत्तता और नवाचार की आवश्यकता के अलावा यह नीति समानता, समावेशिता, पहुंच स्थापित करने और अन्वेषण एवं प्रयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान देती है।
अभी-अभी तीसरे वर्ष में प्रवेश करने वाली बहुप्रशंसित नीति ने न केवल ऐसी चीजों पर पकड़ बनाई है, बल्कि यह इसके प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा, फिक्की सरकार और अन्य हितधारकों के साथ एनईपी के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर काम कर रहा है, जो आगे चलकर पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को बाधित करेगा और वैश्विक नेतृत्व और महत्वपूर्ण सोच के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) में उद्योग की बारीकियों को स्थापित करेगा।
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 2030 के मद्देनजर भी अधिक विकास की गुंजाइश है। एनईपी ने हमें एक झलक दी है कि शिक्षा की दुनिया को बदलकर क्या किया जा सकता है। देश के मानव संसाधन की गुणवत्ता को बढ़ाने से लेकर आर्थिक उत्पादन और 21वीं सदी की चुनौतियों को नए युग के कौशल के साथ हल करने की क्षमता तक तमाम चीजें संभव हैं। छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से बनाई गई नीति समग्र कौशल विकास के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ बहु-विषयक शिक्षा के मिश्रण को बढ़ावा देती है। यद्यपि देश के युवाओं के लिए विकास के अवसरों को सुनिश्चित करने वाली इस प्रगतिशील, महत्वाकांक्षी और सावधानीपूर्वक तैयार की गई नीति को कुछ और वर्षों की आवश्यकता होगी और वांछित परिणाम को पूरी तरह से प्राप्त करने के लिए कुछ संशोधन भी करने होंगे।
(आईएएनएस)
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