पाठ्यक्रम बदलाव के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भेजा केंद्र को नोटिस, जानिए पूरा मामला
नीट-एसएस 2021 परीक्षा पाठ्यक्रम बदलाव के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भेजा केंद्र को नोटिस, जानिए पूरा मामला
- एनबीई
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) पीजी सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 (नीट एसएस 2021) के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में बदलाव के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) और अन्य को नोटिस जारी किया। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और बी.वी. नागरत्ना ने सोमवार को एनबीई, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और केंद्र को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होना तय किया।
शीर्ष अदालत प्रतीक रस्तोगी और 40 स्नातकोत्तर योग्य डॉक्टरों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अंतिम क्षणों में सिलेबस में अचानक हुए बदलावों को चुनौती दी है और कहा है कि यह सामान्य चिकित्सा उम्मीदवारों के पक्ष में किया गया है। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पीठ के समक्ष दलील दी कि इस साल 13-14 नवंबर को होने वाली परीक्षा के लिए अधिसूचना 23 जुलाई को जारी की गई थी। हालांकि, 31 अगस्त को पाठ्यक्रम को बदलने के लिए एक और अधिसूचना जारी की गई थी। परीक्षा की तैयारी के लिए समय की कमी के कारण उम्मीदवारों को काफी नुकसान हुआ है।
तर्क दिया गया कि प्रचलित पैटर्न के अनुसार, 2018 से 2020 तक सुपर स्पेशियलिटी में प्रश्न से 60 प्रतिशत अंक आवंटित किए गए थे, जबकि 40 प्रतिशत अंक फीडर पाठ्यक्रमों के प्रश्नों के लिए वितरित किए गए थे। हालांकि, यह दावा किया गया था कि प्रस्तावित पैटर्न के अनुसार, क्रिटिकल केयर सुपर स्पेशियलिटी के लिए संपूर्ण प्रश्न सामान्य चिकित्सा से लिए जाएंगे, जो अन्य विषयों के उम्मीदवारों को एक तंग जगह पर छोड़ देगा।
दीवान ने कहा, इस बात का कोई संकेत नहीं है कि पैटर्न में कोई बदलाव होने जा रहा है। अधिवक्ता जावेदुर रहमान के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षो से जो पैटर्न बना हुआ है, उसके अनुसार उम्मीदवार तैयारी कर रहे हैं। याचिका में आगे कहा गया है कि पहले के मौकों पर, जब पैटर्न/ योजना में बदलाव करने का प्रस्ताव दिया जाता था, तो बदले हुए पैटर्न/योजना को परीक्षा से लगभग छह महीने पहले सार्वजनिक किया जाता था। पीठ ने दलीलें सुनने के बाद कहा, यह कहा गया है कि नए पैटर्न में सामान्य चिकित्सा के क्षेत्र से 100 प्रतिशत प्रश्न होंगे जो सामान्य चिकित्सा में छात्रों के लिए फायदेमंद होंगे।
(आईएएनएस)