माइका खदान में कभी मजदूरी करने वाली काजल बन गई बाल अधिकारों पर मुखर आवाज

प्रेरणा माइका खदान में कभी मजदूरी करने वाली काजल बन गई बाल अधिकारों पर मुखर आवाज

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-27 08:30 GMT
माइका खदान में कभी मजदूरी करने वाली काजल बन गई बाल अधिकारों पर मुखर आवाज

डिजिटल डेस्क, रांची। सात-आठ साल पहले तक कोडरमा में बंद पड़ी माइका खदानों में मजदूरी करने वाली काजल नाम की लड़की आज दुनिया के शीर्ष मंचों पर बाल अधिकारों की मुखर आवाज बन गई है। वह न्यूयॉर्क में यूनाइटेड नेशंस की ओर से पिछले हफ्ते आयोजित ट्रांसफॉमिर्ंग एजुकेशन समिट में वल्र्ड लीडर्स के सामने भारत की ओर से अपनी बेबाक राय रखकर अभी-अभी लौटी हैं।

काजल ने बाल मजदूर के तौर पर भोगी हुई पीड़ा और इस अभिशाप से मुक्ति के लिए वैश्विक मुहिम की जरूरत पर अपनी बात रखी। एक बाल मजदूर की जिंदगी से बाहर निकल एक प्रखर वक्ता और वल्र्ड लीडर के रूप में उसके ट्रांसफॉर्मेशन की कहानी अपने आप में प्रेरक है।

काजल कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत की रहने वाली है। घर की खराब माली हालत के चलते 2016 में वह स्कूल से ड्रॉप आउट हो गई। उस वक्त उसकी उम्र 14 साल थी। वह बंद पड़ी अभ्रक खदानों में अभ्रक के अवशेष चुनने का काम करने लगी। लेकिन उसके मन में पढ़ाई छूटने की कसक थी। इस बीच बाल अधिकारों के लिए काम करनेवाली संस्था कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के कुछ कार्यकर्ताओं के संपर्क में आई। उन्होंने काजल को फाउंडेशन के बाल मित्र ग्राम प्रोजेक्ट से जोड़ा। इस प्रोजेक्ट के जरिए उसने वापस पढ़ाई शुरू की। फिर बाल पंचायत की अध्यक्ष चुनी गई और अपनी तरह के दूसरे बच्चों को बाल मजदूरी के अभिशाप से मुक्त कराने की मुहिम में भी जुट गई।

काजल आज कॉलेज में स्नातक की छात्रा है। कोडरमा, गिरिडीह और आसपास के जिलों में उसकी पहचान एक मुखर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है। उसने अब तक 35 से ज्यादा बच्चों को बाल मजदूरी से बाहर निकाला है। इतना ही नहीं, उसने अब तक तीन बाल विवाह भी रुकवाये हैं। इसके लिए उसने बच्चियों के मां-पिता को समझाने से लेकर पुलिस-प्रशासन तक दौड़ लगाई। कोरोना काल में जब स्कूल बंद थे, तब उसने दर्जनों बच्चों को ऑनलाइन क्लास से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। काजल को जिले के एसपी, डीसी समेत जिले के तमाम सीनियर अफसर पहचानते हैं।

बीते 21 सितंबर को न्यूयॉर्क में आयोजित यूएन ट्रांसफॉमिर्ंग एजुकेशन समिट को संबोधित करते हुए काजल ने कहा कि बाल श्रम और बाल शोषण के खात्मे में शिक्षा से बड़ा दूसरा कोई औजार नहीं। उसने अपने अनुभव भी साझा करते हुए कहा कि इसके लिए वैश्विक स्तर पर साझा मुहिम चलायी जानी चाहिए, क्योंकि बच्चे एक बेहतर दुनिया और भविष्य के हकदार हैं।

इस समिट में नोबेल विनर कैलाश सत्यार्थी के अलावा नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लीमा जीबोवी, स्वीडन के पूर्व पीएम स्टीफन लोवेन, वैश्विक स्तर पर चर्चित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैरी केनेडी सहित कई वल्र्ड लीडर्स मौजूद रहे। घर लौटी काजल का बीते सोमवार से कोडरमा जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अभिनंदन हो रहा है। काजल के पिता अशोक यादव कहते हैं कि उनकी बेटी ने पूरे इलाके का नाम रोशन किया है।

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Tags:    

Similar News