मीडिया का भारतीयकरण और समाज का आध्यात्मीकरण जरूरीः प्रो.संजय द्विवेदी
पत्रकारिता के मूल्यबोध पर चर्चा मीडिया का भारतीयकरण और समाज का आध्यात्मीकरण जरूरीः प्रो.संजय द्विवेदी
- समाधानमूलक पत्रकारिता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान,नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है कि मीडिया का भारतीयकरण किए जाने की जरूरत है। इसके बिना पत्रकारिता मूल्यबोध और संवादकेंद्रित नहीं बन सकती। ब्रह्माकुमारीज के उत्तरी परिसर विश्व कल्याण सरोवर जी टी रोड, सोनीपत, हरियाणा में पत्रकारों तथा मीडिया कर्मियों के लिए आयोजित संगोष्ठी में मुख्यअतिथि की आसंदी से उन्होंने कहा कि जर्नलिज्म का प्रारंभ पश्चिम से हुआ, जहां कुछ अशोभन या नकारात्मक घटित होने पर ही समाचार बनाने की बात कही गयी है। ऐसे में पत्रकारिता में नकारात्मकता उसका अनिवार्य अंग बन गयी है। पत्रकारिता के पाश्चात्य मूल्यों के बजाए मीडिया को भारतीय संचार सिद्धांतों पर खड़ा करने की जरूरत है, जिससे वह लोकमंगल की वाहक बन सके।
भारत में संवाद और शास्त्रार्थ की परंपरा
आईआईएमसी के महानिदेशक ने कहा कि भारत में संवाद और शास्त्रार्थ की परंपरा रही है, क्योंकि संवाद कभी नकारात्मक नहीं होता। उसके माध्यम से मानवता के सामने उपस्थिति हर सवाल के उत्तर पाए जा सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज की मीडिया विवाद और वितंडावाद पर केंद्रित है। जो भारतीय मूल्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमें पत्रकारिता का भारतीयकरण और समाज का आध्यात्मीकरण करना होगा। जिसमें संवाद, स्वीकार्यता, सौम्यता एवं संतुलन है। आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के बिना कोई भी समाज न तो प्रगति कर सकता है न ही सुखी रह सकता है। प्रो.द्विवेदी ने कहा कि हमें समाज के संकटों के निदान खोजने के लिए समाधानमूलक पत्रकारिता की ओर बढ़ना होगा।
आध्यात्मिकता को भारतीयता की प्राचीनतम धरोहर
अखिल भारतीय पत्रकार संघ के अध्यक्ष रास बिहारी ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में आध्यात्मिकता का ह्रास हुआ है। आज पत्रकार स्वयं में तनावग्रस्त, नकारात्मक एवं चाटुकार हुआ है। दिल्ली दूरदर्शन के सलाहकार संपादक मनीष वाजपेई ने आध्यात्मिकता को भारतीयता की प्राचीनतम धरोहर कहा। उनका कहना था कि तन, मन, धन का संतुलन आध्यात्मिक मानसिकता से ही संभव है। आध्यात्मिक ज्ञान हमें तनाव मुक्त एवं उत्साहित बनाता है। मर्यादित जीवन का आधार भी आध्यात्मिकता ही है।
ब्रम्हकुमारीज के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक बी के सुशांत ने कार्यक्रम का महत्व बताते हुए आध्यात्मिकता को आवश्यक बताया। राजयोगी सुशांत ने धर्म का यथार्थ मर्म को समझने को वर्तमान समय की आवश्यकता बताया।
आजादी के अमृत महोत्सव
माउंट आबू से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार शांतनु ने आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत सरकार के सहयोग से कार्यक्रम के बारे में बताया। आध्यात्मिकता के बिना हमारे जीवन से शांति, सहयोग, सुख, करुणा आदि मूल्य समाप्त हो रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों को जून माह में आयोजित माउंट आबू मीडिया महासम्मेलन में आने का आमंत्रण भी दिया। दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की संयोजिका ब्रह्माकुमारी सुनीता दीदी ने अपने आशीर्वचन में आध्यात्मिकता को अपनाकर कार्यक्षमता को बढ़ाने की बात कही। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी सुशील ने राजयोग की अनुभूति कराई। विश्व कल्याण सरोवर के राजयोगी ब्रह्माकुमार सतीश ने सभी का स्वागत किया। पीस आफ माइंड चैनल की प्रसिद्ध एंकर बी के पूनम ने कार्यक्रम का संचालन किया। बी के गणेश ने आभार ज्ञापन किया।