शिक्षा में एफडीआई को सबसे कम खतरनाक मानते हैं भारतीय नागरिक
नई दिल्ली शिक्षा में एफडीआई को सबसे कम खतरनाक मानते हैं भारतीय नागरिक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अधिकांश भारतीय नागरिक देश में विदेशी निवेश का स्वागत करते हैं, लेकिन साथ ही, उन्हें लगता है कि कुछ प्रमुख क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों का दबदबा देश के लिए खतरनाक है।आईएएनएस-सीवोटर कंज्यूमर ट्रैकर में सामने आए निष्कर्षो से यह जानकारी मिली है। सीवोटर ट्रैकर भारत का एकमात्र दैनिक ओपिनियन ट्रैकिंग एक्सरसाइज है, जो एक कैलेंडर वर्ष में रैंडमली चुने गए 100,000 से अधिक उत्तरदाताओं की मैपिंग करता है। ट्रैकर 11 भारतीय भाषाओं में चलाया जाता है, जिसने पिछले दस वर्षों में व्यक्तिगत रूप से और सीएटीआई में 10 लाख से अधिक उत्तरदाताओं का साक्षात्कार लिया है। मुख्य ट्रैकर के हिस्से के रूप में अखिल भारतीय स्तर पर सैंपल साइज 3,000 है। यानी उक्त मुद्दे पर तीन हजार लोगों की राय ली गई है।
दिलचस्प बात यह है कि जब विभिन्न क्षेत्रों की बात आती है तो उत्तरदाताओं की राय भिन्न दर्ज की गई है। उदाहरण के लिए, 52 प्रतिशत से अधिक भारतीय रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेशकों के प्रभुत्व को देश के लिए बेहद खतरनाक मानते हैं। इसकी उम्मीद भी की जा रही थी। हालांकि, 48.6 प्रतिशत भारतीय मनोरंजन क्षेत्र में भी विदेशी निवेशकों का दबदबा बेहद खतरनाक मानते हैं, जिसमें फिल्में, ओटीटी प्लेटफॉर्म और टीवी चैनल शामिल हैं। वास्तविकता यह है कि मनोरंजन क्षेत्र, विशेष रूप से ओटीटी प्लेटफॉर्म और स्ट्रीमिंग सेवाओं पर पहले से ही नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और डिजनी हॉटस्टार जैसे विदेशी दिग्गजों का दबदबा है।
इसके विपरीत लगभग 27 प्रतिशत भारतीय सोचते हैं कि विदेशी निवेशकों का दबदबा बेहद खतरनाक है, जबकि 31 प्रतिशत इसे शिक्षा क्षेत्र में बेहद खतरनाक मानते हैं। इस सर्वे के दौरान उत्तरदाताओं को अपनी राय को अत्यंत खतरनाक, कुछ खतरनाक और बिल्कुल भी खतरनाक नहीं के रूप में वर्गीकृत करने के लिए कहा गया था। सर्वेक्षण किए गए दस क्षेत्रों में से, अत्यधिक खतरनाक और कुछ हद तक खतरनाक का संयोजन सबसे अधिक देखने को मिला। शिक्षा के क्षेत्र में देखने को मिला कि लोग बिल्कुल भी खतरनाक नहीं वाले विकल्प के साथ अधिक राय दर्ज करा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में एफडीआई को लेकर 42 प्रतिशत ने बिल्कुल भी खतरनाक नहीं वाले विकल्प को चुना।
सी-वोटर सर्वेक्षण से और भी दिलचस्प अंतर सामने आए। जहां 47 प्रतिशत से अधिक भारतीयों ने पाया कि दूरसंचार, मोबाइल और इंटरनेट क्षेत्र में विदेशी निवेशकों का दबदबा बेहद खतरनाक है, वहीं कंज्यूमर ड्यूरेबल्स क्षेत्र में लगभग 32 प्रतिशत ने इसी प्रकार की राय जाहिर की। कृषि क्षेत्र में भी, 45.5 प्रतिशत भारतीयों ने विदेशी निवेशकों का दबदबा बेहद खतरनाक बताया। निष्कर्ष स्पष्ट है। भारतीय विदेशी निवेश का स्वागत करते हैं, लेकिन वे नहीं चाहते कि यह भारतीय उद्यमियों को कहीं न कहीं दरकिनार करते हुए भारतीय बाजार पर पूरी तरह हावी हों।
(आईएएनएस)